MP Election 2023 / राहुल गाँधी के बाद प्रियंका गाँधी का MP दौरा, मालवा-निमांड़ पर क्यों है फोकस, जानिए

मध्य प्रदेश के मालवा इलाके पर कांग्रेस खास फोकस कर रही है. राहुल गांधी के दौरे के बाद अब प्रियंका गांधी गुरुवार को मालवा क्षेत्र में पहुंच रही हैं. राहुल गांधी ने शनिवार को शाजापुर के कालापीपल में रैली को संबोधित किया तो प्रियंका गांधी धार जिले के मोहनखेड़ा से कांग्रेस के चुनावी अभियान को धार देंगी और आदिवासी वोटों को साधने की कवायद करती हुई नजर आएंगी. प्रियंका कल जैन समाज के तीर्थ स्थल मोहनखेड़ा में दर्शन कर चुनावी

Vikrant Shekhawat : Oct 04, 2023, 09:00 PM
MP Election 2023: मध्य प्रदेश के मालवा इलाके पर कांग्रेस खास फोकस कर रही है. राहुल गांधी के दौरे के बाद अब प्रियंका गांधी गुरुवार को मालवा क्षेत्र में पहुंच रही हैं. राहुल गांधी ने शनिवार को शाजापुर के कालापीपल में रैली को संबोधित किया तो प्रियंका गांधी धार जिले के मोहनखेड़ा से कांग्रेस के चुनावी अभियान को धार देंगी और आदिवासी वोटों को साधने की कवायद करती हुई नजर आएंगी. प्रियंका कल जैन समाज के तीर्थ स्थल मोहनखेड़ा में दर्शन कर चुनावी हुंकार भरेंगी. इस स्थान से उनकी दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी चुनावी अभियान का आगाज करती रही है. देखना है कि इस बार के चुनावी रण में कांग्रेस के लिए मोहनखेड़ा सियासी मुफीद होता है कि नहीं?

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सियासत दो बड़े नेताओं के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. एक कमलनाथ और दूसरे है दिग्विजय सिंह. दोनों ही नेताओं को राजनीति में चार दशक से ज्यादा हो चुके हैं. इन दोनों दिग्गज नेताओं के अलावा मध्य प्रदेश कांग्रेस के दो युवा नेता भी उभर रहे हैं. कांग्रेस के एक युवा नेता ने राहुल गांधी की सभा करवाई तो दूसरा युवा नेता प्रियंका गांधी की सभा करा रहा है. प्रियंका आदिवासी बहुल मोहनखेड़ा में रैली को संबोधित कर मालवा के छह जिले की विधानसभा सीटों को साधने की कवायद करती हुई नजर आएंगी.

कांग्रेस के युवा नेताओं में जीतू पटवारी का नाम आता है. वो तेज तर्रार नेता माने जाते हैं और मालवा के इंदौर से आते हैं. जीत पटवारी को राहुल गांधी के करीबी नेताओं में गिना जाता है. यही वजह रही कि तीन दिन के भीतर ही राहुल गांधी का दौरा कालापीपल विधानसभा में बनाया गया. ये राहुल गांधी की एमपी चुनाव में पहली सभा थी. राहुल गांधी की सभा 30 सितंबर शनिवार को हुई थी. राहुल गांधी की चुनावी सभा करवाकर जीत पटवारी ने अपना दम दिखाया था. राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इन क्षेत्रों से होकर गुजरते थे. मालवा के खंडवा, खरगोन, इंदौर, उज्जैन और आगर जिले से गुजरते हुए आदिवासी समुदाय के लोगों को साधने की कवायद की थी.

सिंघार को प्रियंका का करीबी माना जाता है

कांग्रेस के आदिवासी नेता उमंग सिंघार भी अब पार्टी में अपना दम दिखा रहे है. प्रियंका गांधी की सभा धार ज़िले में होने जा रही है. इस सभा का ज़िम्मा कांग्रेस नेता उमंग सिंघार के कंधों पर है. इस सभा के जरिए उमंग भी प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को ये बताना चाहते है की उनकी पहुंच सीधे केंद्रीय नेतृत्व तक है. ये वही उमंग सिंघार हैं जिन्होंने कमलनाथ सरकार में मंत्री रहते हुए दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रखा था. हालांकि, ना उनका इस्तीफा हुआ था और ना ही कोई कार्रवाई हुई. अब प्रियंका गांधी की रैली कराकर सिंघार सीधे सियासी संदेश देने की रणनीति बनाई है ताकि आदिवासी वोटों को साधा जा सके.

एमपी में आदिवासी वोटर्स निर्णायक भूमिका में

मध्य प्रदेश में आदिवासी वोटर्स काफी निर्णायक भूमिका में है और बिना उनके सत्ता पर काबिज होना मुश्किल है. सूबे में कुल 230 सीटों में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, लेकिन उनका प्रभाव 80 से ज्यादा सीटों पर है. 2018 के चुनाव में आदिवासी वोटरों के छींटकने के चलते ही भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ गई थी. पिछले चुनाव में 47 में से 30 सीटें कांग्रेस ने जीती और 16 सीटें बीजेपी के खाते में गईं जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. आदिवासी समुदाय एमपी में मालवा-निमाड़ में सबसे अहम माने जाते हैं. आदिवासी समुदाय के लिए सुरक्षित 47 सीटों में से मालवा-निमाड़ में 22 सीटें है.

बीजेपी के लिए मालवा-निमाड़ काफी अहम

मालवा-निमाड़ एक दौर में बीजेपी गढ़ माना जाता था, लेकिन 2018 के चुनाव में पार्टी इस जीत को नहीं दोहरा सकी. इंदौर संभाग के आठ जिलों की 37 सीटों में से बीजेपी को महज 11 सीटें ही मिलीं. उज्जैन संभाग की 29 सीटों में बीजेपी को 17 सीटों पर ही सिमटना पड़ा था, इस कारण भाजपा इस क्षेत्र में खासा जोर लगा रही है तो वहीं कांग्रेस पूरी ताकत लगा रखा है. बीजेपी के लिए मालवा-निमाड़ कितना महत्वपूर्ण है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां की एक सीट से पार्टी ने महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस इस इलाके को फतह करने के लिए अपने दिग्गज नेताओं को उतार दिया है. राहुल गांधी के बाद प्रियंका गांधी के उतरने का सियासी फायदा कांग्रेस को क्या मिलता है यह तो चुनाव नतीजे के बाद ही पता चल सकेगा?