Mauritius Elections / US के बाद इस देश में भी अब सत्ता परिवर्तन, भारत के लिए क्या मायने?

मॉरीशस में हालिया संसदीय चुनावों में प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा। नवीन रामगुलाम (77) तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। पीएम मोदी ने उन्हें बधाई दी और दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने की उम्मीद जताई। भारत और मॉरीशस के रिश्ते लंबे समय से घनिष्ठ रहे हैं

Vikrant Shekhawat : Nov 12, 2024, 11:40 AM
Mauritius Elections: अमेरिका के बाद अब भारत के पड़ोसी देश मॉरीशस में भी सत्ता में बदलाव हो रहा है। हाल ही में संपन्न संसदीय चुनावों में प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के गठबंधन एल अलायंस लेपेप को हार का सामना करना पड़ा है। नवीन रामगुलाम के नेतृत्व में 'अलायंस ऑफ चेंज' ने चुनावी जीत हासिल की है, और अब 77 वर्षीय रामगुलाम हिंद महासागर के इस द्वीपसमूह के नए नेता बनेंगे। इस अवसर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामगुलाम को बधाई दी और दोनों देशों के बीच "विशेष एवं अनूठी साझेदारी" को और मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाएं

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर नवीन रामगुलाम से बातचीत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने मॉरीशस के नए प्रधानमंत्री को बधाई देते हुए कहा, "मेरे मित्र नवीन रामगुलाम से गर्मजोशी से बातचीत हुई और उन्हें चुनाव में ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी। मैंने मॉरीशस का नेतृत्व करने में उनकी सफलता की कामना की और भारत आने का निमंत्रण दिया।" पीएम मोदी ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक साझेदारी को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में मिलकर काम करने के इच्छुक हैं।

तीसरी बार प्रधानमंत्री बने रामगुलाम

नवीन रामगुलाम मॉरीशस में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। इससे पहले वह 1995-2000 और 2005-2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। रामगुलाम के पिता सिवसागर रामगुलाम मॉरीशस के पहले प्रधानमंत्री थे और देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। मॉरीशस की जनता ने संसद की 62 सीटों के लिए वोटिंग की थी, जिसमें 'अलायंस ऑफ चेंज' को बहुमत मिला है।

भारत-मॉरीशस संबंधों का महत्व

मॉरीशस की 1.2 मिलियन की जनसंख्या में लगभग 70% लोग भारतीय मूल के हैं, जो इसे भारत के लिए एक प्रमुख साझेदार बनाता है। भारत और मॉरीशस के बीच संबंध औपनिवेशिक काल से ही घनिष्ठ रहे हैं। मॉरीशस को 1968 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने से पहले, 1948 में ही भारत और मॉरीशस के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हो चुके थे। तब से लेकर अब तक भारत संकट के समय मॉरीशस के साथ खड़ा रहा है, चाहे वह कोविड-19 महामारी हो या फिर वाकाशियो तेल रिसाव संकट।

कोविड-19 के दौरान, भारत ने मॉरीशस को 13 टन दवाओं और एक भारतीय रैपिड रिस्पांस मेडिकल टीम भेजकर समर्थन दिया। इसके अतिरिक्त, भारत ने मॉरीशस को कोविशील्ड वैक्सीन की 1 लाख खुराक भी मुफ्त प्रदान की थी।

व्यापारिक साझेदारी में वृद्धि

भारत पिछले 17 वर्षों से मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक बना हुआ है। वित्त वर्ष 2022-2023 में भारत से मॉरीशस को 462.69 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ, जबकि मॉरीशस से भारत को 91.50 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात किया गया। पिछले वर्षों में दोनों देशों के व्यापार में 132% की वृद्धि हुई है, जो द्विपक्षीय संबंधों में प्रगाढ़ता को दर्शाता है।

मॉरीशस में भारतीय संस्कृति का प्रभाव

मॉरीशस में भारतीय संस्कृति की गहरी छाप है। इस साल जनवरी में अयोध्या मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर मॉरीशस में हिंदुओं को धार्मिक कार्यों में भाग लेने के लिए विशेष दो घंटे की छुट्टी दी गई थी। इसके अलावा, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जुलाई में मॉरीशस का दौरा किया और नवीन रामगुलाम तथा अन्य विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी। इन सब कदमों ने भारत और मॉरीशस के रिश्तों को मजबूत बनाए रखा है।

नई सरकार के साथ भारत के रिश्तों की उम्मीदें

भले ही विपक्षी गठबंधन ने चुनाव जीत लिया हो, परंतु भारत को मॉरीशस की नीतियों में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है। नवीन रामगुलाम की सरकार के साथ भी भारत के मजबूत संबंध बने रहने की संभावना है, क्योंकि दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी और लंबे समय से चल रहे सांस्कृतिक व ऐतिहासिक संबंध हैं।

निष्कर्ष

मॉरीशस में नवीन रामगुलाम की सरकार का सत्ता में आना भारत के लिए एक अवसर है कि वह इस विशेष साझेदारी को और मजबूत बनाए। रामगुलाम के नेतृत्व में मॉरीशस और भारत के बीच संबंधों में नई ऊंचाइयां देखने को मिल सकती हैं।