Vikrant Shekhawat : Apr 01, 2022, 09:23 AM
रूस-यूक्रेन जंग के बीच भारत का रुख वैश्विक समुदाय के लिए अब तक अहम रहा है। खुद रूस भारत से अपील कर चुका है कि, वह अपने पुराने संबंधो को बरकरार रखे। वहीं अमेरिका भारत को अपने पाले में लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। इस बीच रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव नई दिल्ली की यात्रा पर हैं। वह आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। लावरोव की इस भारत यात्रा पर अमेरिका नजर टिकाए हुए है। पीएम मोदी और एस जयशंकर से मुलाकात से पहले अमेरिका की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि, हम ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते कि रूस और भारत अपने संबंधों में किसी प्रकार का बदलाव करें। भारत-रूस के संबंध इतिहास का तथ्य अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि, विभिन्न देशों के रूसी संघ के साथ अपने संबंध रहे हैं। यह इतिहास का तथ्य है। एक भौगोलिक सच है। हम इसे बिल्कुल नहीं बदलना चाहते हैं। हम यह देखने का प्रयास कर रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक स्वर में बोल रहा है कि नहीं। उन्होंने कहा कि, भारत समेत कई देशों को इस अनुचित, अकारण आक्रामकता के खिलाफ प्रमुखता से बोलना चाहिए और हिंसा को खत्म करने का आह्वान करना चाहिए। रुपए-रूबल कंवर्जन पर हो सकती है बातइस दौरान अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से जब पूछा गया कि, भारत रूस के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए रुपये-रूबल कंवर्जन पर काम कर रहा है तो उन्होंने कहा कि जब भी इसकी बात आती है तो मैं भारतीय साझेदारों से कहना चाहूंगा कि हम इस पर बात कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग रूस के साथ खड़े हैं उन्हें अमेरिका के साथ खड़े लोगों की तुलना में ज्यादा फायदा हो सकता है। दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे हैं सर्गेईरूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव गुरुवार को दो दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे हैं। यह फरवरी में यूक्रेन पर रूस की ओर से हमले की शुरुआत करने के बाद से पहली भारत यात्रा है। यूक्रेन के खिलाफ अपनी कार्रवाई को रूस एक विशेष सैन्य अभियान कहता है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जराखोवा ने बताया कि लावरोव शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। हालांकि, लावरोव की यात्रा को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी की गई मीडिया एडवायजरी में पीएम के साथ लावरोव की बैठक का कोई उल्लेख नहीं है।समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, वार्ताओं की तैयारियों की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि इस दौरान भारत विभिन्न सैन्य हार्डवेयर और एस-400 मिसाइल के कंपोनेंट की समय से आपूर्ति करने पर जोर दे सकता है, जो रूस से खरीदे गए हैं। भारत आने से पहले लावरोव चीन की यात्रा पर थे। वह ऐसे समय में भारत आए हैं जब अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह और ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस भी यहां आई हुई हैं।