देश / केंद्र का पलटवार- रातोंरात नहीं बढ़ सकता टीके का उत्पादन, वजह भी बताई

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि टीके के उत्पादन में समय लगता है और इसे रातोंरात नहीं बढ़ाया जा सकता। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एक जैविक उत्पाद होने की वजह से टीके को तैयार करने और इसकी गुणवत्ता जांच में समय लगता है और सुरक्षित उत्पाद सुनिश्चित करने के चलते यह रातोंरात नहीं किया जा सकता है।

Vikrant Shekhawat : May 29, 2021, 10:27 AM
New Delhi: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि टीके के उत्पादन में समय लगता है और इसे रातोंरात नहीं बढ़ाया जा सकता। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एक जैविक उत्पाद होने की वजह से टीके को तैयार करने और इसकी गुणवत्ता जांच में समय लगता है और सुरक्षित उत्पाद सुनिश्चित करने के चलते यह रातोंरात नहीं किया जा सकता है।

मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार, कोविड-19 के लिए टीकाकरण पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के माध्यम से देश में टीके उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं के साथ नियमित रूप से बातचीत कर रही है जिसमें फाइजर, मॉडर्ना जैसे निर्माता शामिल हैं।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'ठोस कार्रवाई इस बात का मजबूत संकेत है कि भारत सरकार देश में टीके का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ विदेशी टीका निर्माताओं को राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए आवश्यक टीके की खुराक की आपूर्ति के लिए आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

मंत्रालय ने कहा कि उपलब्धता की बाधाओं के बावजूद, भारत ने केवल 130 दिनों में 20 करोड़ लोगों का टीकाकरण करते हुए अच्छा प्रदर्शन किया है, जो दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी कवरेज है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह बयान उस समय आया है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने टीकाकरण की गति पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि वैक्सीनेशन के लिए सरकार के पास कोई रणनीति नहीं है। उन्होंने कहा था कि मौजूदा गति से पूरे देश की आबादी को टीका लगाने में तीन साल का समय लगेगा और तब तक भारत में कोरोना की कई लहर आ चुकी होंगी। हालांकि, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी इन आलोचनाओं का जवाब यह कहकर दिया था कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश की पूरी आबादी को दिसंबर 2021 तक टीका देने के लिए रोडमैप तैयार कर लिया है।