NavBharat Times : Aug 10, 2020, 09:43 AM
Delhi: भारत ने अपने दम पर चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के बीच अंडर-सी केबल लिंक (Under Sea Cable Link) तैयार कर लिया है। यानी अब समुद्र के भीतर ऑप्टिकल फाइबर केबल (Optical fiber cable) बिछाने के लिए उसे किसी और देश की जरूरत नहीं है। 2,300 किलोमीटर लंबे इस केबल लिंक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को करेंगे। पीएम मोदी ने दिसंबर 2018 में इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी। इस केबल की वजह से भारतीय द्वीपों तक बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी सुलभ हो सकेगी। इस केबल से पोर्ट ब्लेयर को स्वराज द्वीप, लिटल अंडमान, कार निकोबार, कमोरटा, ग्रेट निकोबार, लॉन्ग आइलैंड और रंगत को भी जोड़ा जा सकेगा। आइए जानते हैं कि समुद्र के भीतर आखिर ये केबल बिछाई कैसे जाती हैं।
टोटल 400 Gbps की स्पीड देगी यह केबलयह केबल लिंक चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर के बीच 2x200 गीगाबिट पर सेकेंड (Gbps) की बैंडविड्थ देगा। पोर्ट ब्लेयर और बाकी आइलैंड्स के बीच बैंडविड्थ 2x100 Gbps रहेगी।
कुछ सेकेंड्स में 40 हजार गाने डाउनलोडइन केबल्स के जरिए अधिकतम 400 Gbps की स्पीड मिलेगी। यानी अगर आप 4K में दो घंटे की मूवी डाउनलोड करना चाहें जो करीब 160 GB की होगी तो उसमें बमुश्किल 3-4 सेकेंड्स लगेंगे। इतने में ही 40 हजार गाने डाउनलोड किए जा सकते हैं।
ऐसे शुरू होता है केबल बिछाने का काम
समुद्र में केबल बिछाने के लिए खास तरह के जहाजों का इस्तेमाल किया जाता है। ये जहाज अपने साथ 2,000 किलोमीटर लंबी केबल तक ले जा सकते हैं। जहां से केबल बिछाने की शुरुआत होती है, वहां से एक हल जैसे उपकरण का यूज करते हैं जो जहाज के साथ-साथ चलता है।
पहले केबल के लिए बनाई जाती है जगहसमुद्र में एक खास उपकरण के जरिए फ्लोर पर केबल के लिए जमीन तैयार की जाती है। इसे समुद्रतल पर जहाज के जरिए मॉनिटर करते हैं। इसी से केबल जुड़ी होती हैं। साथ-साथ केबल बिछाई जाती रहती है।
फिर डाला जाता है रिपीटरटेलिकॉम केबल्स बिछाने के दौरान रिपीटर का यूज होता है जिससे सिग्नल स्ट्रेंथ बढ़ जाती है।
केबल क्रॉसिंग के लिए खास व्यवस्थाअगर दो केबल्स को आपस में क्रॉस कराना है तो उसके लिए फिर से वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो दूसरे स्टेप में अपनाई गई थी।
फिर केबल के एंड को करते हैं कनेक्टजहां केबल को खत्म होना होता है, वहां सी फ्लोर से केबल को उठाकर ऊपर लाते हैं।
एक बार फिर होती है चेकिंगआखिर में रिमोटली ऑपरेटेड अंडरवाटर व्हीकल (ROV) के जरिए पूरे केबल लिंक का इंस्पेक्शन किया जाता है कि कहीं कोई चूक तो नहीं हुई।
केबल की सुरक्षा के लिए आखिरी स्टेपसबसे आखिर में केबल शिप के जरिए यह चेक किया जाता है कि केबल सी-बेड यानी समुद्र की सतह पर ठीक से बिछी है या नहीं। चूंकि समुद्र की सतह भी पहाड़ और खाइयां होती हैं इसलिए यह चेक करना बहुत जरूरी है वर्ना दबाव बढ़ने पर केबल टूट भी सकती है।
टोटल 400 Gbps की स्पीड देगी यह केबलयह केबल लिंक चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर के बीच 2x200 गीगाबिट पर सेकेंड (Gbps) की बैंडविड्थ देगा। पोर्ट ब्लेयर और बाकी आइलैंड्स के बीच बैंडविड्थ 2x100 Gbps रहेगी।
कुछ सेकेंड्स में 40 हजार गाने डाउनलोडइन केबल्स के जरिए अधिकतम 400 Gbps की स्पीड मिलेगी। यानी अगर आप 4K में दो घंटे की मूवी डाउनलोड करना चाहें जो करीब 160 GB की होगी तो उसमें बमुश्किल 3-4 सेकेंड्स लगेंगे। इतने में ही 40 हजार गाने डाउनलोड किए जा सकते हैं।
ऐसे शुरू होता है केबल बिछाने का काम
समुद्र में केबल बिछाने के लिए खास तरह के जहाजों का इस्तेमाल किया जाता है। ये जहाज अपने साथ 2,000 किलोमीटर लंबी केबल तक ले जा सकते हैं। जहां से केबल बिछाने की शुरुआत होती है, वहां से एक हल जैसे उपकरण का यूज करते हैं जो जहाज के साथ-साथ चलता है।
पहले केबल के लिए बनाई जाती है जगहसमुद्र में एक खास उपकरण के जरिए फ्लोर पर केबल के लिए जमीन तैयार की जाती है। इसे समुद्रतल पर जहाज के जरिए मॉनिटर करते हैं। इसी से केबल जुड़ी होती हैं। साथ-साथ केबल बिछाई जाती रहती है।
फिर डाला जाता है रिपीटरटेलिकॉम केबल्स बिछाने के दौरान रिपीटर का यूज होता है जिससे सिग्नल स्ट्रेंथ बढ़ जाती है।
केबल क्रॉसिंग के लिए खास व्यवस्थाअगर दो केबल्स को आपस में क्रॉस कराना है तो उसके लिए फिर से वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो दूसरे स्टेप में अपनाई गई थी।
फिर केबल के एंड को करते हैं कनेक्टजहां केबल को खत्म होना होता है, वहां सी फ्लोर से केबल को उठाकर ऊपर लाते हैं।
एक बार फिर होती है चेकिंगआखिर में रिमोटली ऑपरेटेड अंडरवाटर व्हीकल (ROV) के जरिए पूरे केबल लिंक का इंस्पेक्शन किया जाता है कि कहीं कोई चूक तो नहीं हुई।
केबल की सुरक्षा के लिए आखिरी स्टेपसबसे आखिर में केबल शिप के जरिए यह चेक किया जाता है कि केबल सी-बेड यानी समुद्र की सतह पर ठीक से बिछी है या नहीं। चूंकि समुद्र की सतह भी पहाड़ और खाइयां होती हैं इसलिए यह चेक करना बहुत जरूरी है वर्ना दबाव बढ़ने पर केबल टूट भी सकती है।