AajTak : Aug 26, 2020, 08:29 AM
Delhi: इसे नियति का खेल कहा जाता है। कभी रिलायंस की शानदार कारोबारी विरासत का बंटवारा कर अलग-अलग कारोबार शुरू करने वाले धीरूभाई अंबानी परिवार के दो राजकुमारों अनिल और मुकेश अंबानी में आज जमीन-आसमान का अंतर हो गया है। अंबानी परिवार के छोटे राजकुमार अनिल अंबानी ने कभी रिलायंस ग्रुप के सुनहरे दिनों को देखा है, लेकिन आज वह व्यक्तिगत दिवालिया प्रक्रिया का सामना करने की कगार पर हैं।
भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में कई बैंकों ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इन्फ्राटेल को करीब 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा था। इसके लिए अनिल अंबानी ने पर्सनल गारंटी दी थी। एनसीएलटी ने अनिल अंबानी के खिलाफ आदेश देते हुए दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे दिया है। मिला था बढ़िया कारोबार दिग्गज कारोबारी धीरूभाई अंबानी से रिलायंस का कारोबार मुकेश और अनिल अंबानी को विरासत में मिला था। हालांकि दोनों में बाद में जायदाद के बंटवारे को लेकर जमकर विवाद-तनाव रहा और आखिरकार मां कोकिला बेन और परिवार के कई अन्य करीबियों के दबाव में बंटवारा किया गया। मुकेश अंबानी को पुराना पेट्रोकेमिकल कारोबार मिला, तो अनिल अंबानी को नए जमाने का टेलीकॉम, फाइनेंसियल सर्विसेज और एनर्जी कारोबार। नहीं कर पाये कमाल लेकिन नए जमाने के कारोबार के साथ भी अनिल अंबानी कोई कमाल नहीं कर पाए, दूसरी तरफ मुकेश अंबानी लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं। अनिल अंबानी की टेलीकॉम कारोबार को लेकर काफी महत्वाकांक्षी योजना थी। वह टेलीकॉम, पावर और इन्फ्रास्ट्रक्चर में देश के सबसे बड़े खिलाड़ी बनना चाहते थे। लेकिन शायद इन्हीं कारोबार ने उन्हें बर्बाद कर दिया। इंस्टीट्यूशन इनवेस्टर्स एडवाइजर्स सर्विसेज के एमडी अमित टंडन कहते हैं कि एक कारोबार से दूसरे कारोबार में कूदते जाने और क्रियान्वयन में खामी की वजह से उनके कई प्रोजेक्ट में पैसा बहुत लग गया और रिटर्न कुछ नहीं मिला। इसकी वजह से कर्ज बढ़ता गया। बढ़ता गया कर्ज साल 2018 तक अनिल धीरूभाई अंबानी (ADAG) समूह की कंपनियों के पास 1।72 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था। करीब 46,000 करोड़ रुपये के कर्ज की वजह से ग्रुप की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस को बैंकरप्शी कोर्ट का सामना करना पड़ा। वित्त वर्ष 2010 के 27,710 करोड़ रुपये की तुलना में वित्त वर्ष 2020 तक RCom की आय घटकर 1,734 करोड़ रुपये रह गई। रिलायंस समूह की अन्य कंपनियों का भी यही हश्र हुआ। पावर कारोबार के प्रोजेक्ट अधूरे रह गए, रिलायंस कैपिटल का कारोबार नहीं चल पाया और डिफेंस कंपनी रिलायंस नवल ऐंड इंजीनियरिंग के ऊपर भी काफी कर्ज हो गया है। बुलंदी पर पहुंचते गए मुकेश दूसरी तरफ उनके भाई मुकेश अंबानी न सिर्फ भारत के सबसे अमीर शख्स हैं बल्कि वह दुनिया के सबसे ज्यादा अमीरों की टॉप 10 सूची में भी हैं। रिलायंस जियो के लॉन्च होने के बाद से तो उनका सितारा और चमकता गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज की बाजार पूंजी करीब 13।23 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई है। इस साल मुकेश समूह की जियो प्लेटफॉर्म्स में इस साल एक दर्जन से भी ज्यादा विदेशी कंपनियों से करीब 1।52 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया है। अनिल की कंपनियां परेशान दूसरी तरफ अनिल अंबानी की कंपनियों को कई तरह की दिक्कतों और बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। साल 2002 में आरकॉम की शुरुआत पर एडीएजी ने कोड डिवीजन मल्टीपल एक्ससे यानी (सीडीएमए) टेक्नोलॉजी अपनाने का फैसला किया जो कि एक बेहद गलत निर्णय साबित हुआ। यह टेक्नोलॉजी 2जी और 3जी तक सीमित है। इसलिए जब 4जी और 5जी का जमाना आ गया आरकॉम मैदान से बाहर होना ही था। साल 2008 में जब आरकॉम को स्पेक्ट्रम मिला तब तक उसके उपर 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था।यूपीए सरकार के दूसरे दौर के खत्म होने तक 2जी स्पेक्ट्रम के कथित घोटाले की वजह से 2 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट फंस गए। यह अनिल अंबानी समूह के लिए एक और झटका साबित हुआ। साल 2018 में अनिल अंबानी ने एजीएम में घोषित कर दिया कि वे टेलीकॉम सेक्टर से बाहर जा रहे हैं। रिलायंस पावर ने साल 2008 में आईपीओ से रिकॉर्ड 11,563 करोड़ रुपये जुटाये थे। उसने महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा-कुल 28,200 मेगावॉट क्षमता के 13 गैस, कोल और हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट का। लेकिन इन प्रोजेक्ट को गैस नहीं मिल पाई। बड़े भाई मुकेश अंबानी ने सस्ती दर पर गैस देने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी मुकेश के पक्ष में फैसला दिया। अनिल अंबानी को रिलायंस पावर के एसेट बेचने को मजबूर होना पड़ा। कंपनी का 1।2 लाख करोड़ रुपये का निवेश फंस गया।साल 2015 में डिफेंस सेक्टर में कदम रखते हुए मुकेश अंबानी ने पिपावाव डिफेंस को खरीद लिया। इस कंपनी के ऊपर पहले से ही 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। आगे यह करीब 10,700 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान नहीं कर पायी। आईडीबीआई बैंक और आईएफसीआई ने इसे एनसीएलटी में घसीट लिया। सितंबर 2018 तक अनिल अंबानी समूह के उपर कुल 1।72 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया। कंपनी ने अपने सारे एसेट बेचने शुरू कर दिये। रिलायंस एंटरटेनमेंट ने तो साल 2014 में बिग सिनेमाज को बेच दिया था। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने मुंबई सिटी पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारोबार अडानी को 18,000 करोड़ रुपये में बेच दिया। रिलायंस इन्फ्रा ने अपना सीमेंट कारोबार 4,800 करोड़ रुपये में बिड़ला कॉरपोरेशन को बेच दिया। लाख करोड़ से हजार करोड़ पर आए अपने शीर्ष समय में साल 2008 में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह (ADAG) की कंपनियों की मार्केट वैल्यू करीब 4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी, लेकिन साल 2019 में यह महज 2,361 करोड़ रुपये रह गई है। दूसरी तरफ, मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज देश की नंबर वन कंपनी है और उसका वैल्यूएशन 13 लाख करोड़ रुपये के पार हो गया है।
भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में कई बैंकों ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इन्फ्राटेल को करीब 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा था। इसके लिए अनिल अंबानी ने पर्सनल गारंटी दी थी। एनसीएलटी ने अनिल अंबानी के खिलाफ आदेश देते हुए दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे दिया है। मिला था बढ़िया कारोबार दिग्गज कारोबारी धीरूभाई अंबानी से रिलायंस का कारोबार मुकेश और अनिल अंबानी को विरासत में मिला था। हालांकि दोनों में बाद में जायदाद के बंटवारे को लेकर जमकर विवाद-तनाव रहा और आखिरकार मां कोकिला बेन और परिवार के कई अन्य करीबियों के दबाव में बंटवारा किया गया। मुकेश अंबानी को पुराना पेट्रोकेमिकल कारोबार मिला, तो अनिल अंबानी को नए जमाने का टेलीकॉम, फाइनेंसियल सर्विसेज और एनर्जी कारोबार। नहीं कर पाये कमाल लेकिन नए जमाने के कारोबार के साथ भी अनिल अंबानी कोई कमाल नहीं कर पाए, दूसरी तरफ मुकेश अंबानी लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं। अनिल अंबानी की टेलीकॉम कारोबार को लेकर काफी महत्वाकांक्षी योजना थी। वह टेलीकॉम, पावर और इन्फ्रास्ट्रक्चर में देश के सबसे बड़े खिलाड़ी बनना चाहते थे। लेकिन शायद इन्हीं कारोबार ने उन्हें बर्बाद कर दिया। इंस्टीट्यूशन इनवेस्टर्स एडवाइजर्स सर्विसेज के एमडी अमित टंडन कहते हैं कि एक कारोबार से दूसरे कारोबार में कूदते जाने और क्रियान्वयन में खामी की वजह से उनके कई प्रोजेक्ट में पैसा बहुत लग गया और रिटर्न कुछ नहीं मिला। इसकी वजह से कर्ज बढ़ता गया। बढ़ता गया कर्ज साल 2018 तक अनिल धीरूभाई अंबानी (ADAG) समूह की कंपनियों के पास 1।72 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था। करीब 46,000 करोड़ रुपये के कर्ज की वजह से ग्रुप की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस को बैंकरप्शी कोर्ट का सामना करना पड़ा। वित्त वर्ष 2010 के 27,710 करोड़ रुपये की तुलना में वित्त वर्ष 2020 तक RCom की आय घटकर 1,734 करोड़ रुपये रह गई। रिलायंस समूह की अन्य कंपनियों का भी यही हश्र हुआ। पावर कारोबार के प्रोजेक्ट अधूरे रह गए, रिलायंस कैपिटल का कारोबार नहीं चल पाया और डिफेंस कंपनी रिलायंस नवल ऐंड इंजीनियरिंग के ऊपर भी काफी कर्ज हो गया है। बुलंदी पर पहुंचते गए मुकेश दूसरी तरफ उनके भाई मुकेश अंबानी न सिर्फ भारत के सबसे अमीर शख्स हैं बल्कि वह दुनिया के सबसे ज्यादा अमीरों की टॉप 10 सूची में भी हैं। रिलायंस जियो के लॉन्च होने के बाद से तो उनका सितारा और चमकता गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज की बाजार पूंजी करीब 13।23 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई है। इस साल मुकेश समूह की जियो प्लेटफॉर्म्स में इस साल एक दर्जन से भी ज्यादा विदेशी कंपनियों से करीब 1।52 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया है। अनिल की कंपनियां परेशान दूसरी तरफ अनिल अंबानी की कंपनियों को कई तरह की दिक्कतों और बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। साल 2002 में आरकॉम की शुरुआत पर एडीएजी ने कोड डिवीजन मल्टीपल एक्ससे यानी (सीडीएमए) टेक्नोलॉजी अपनाने का फैसला किया जो कि एक बेहद गलत निर्णय साबित हुआ। यह टेक्नोलॉजी 2जी और 3जी तक सीमित है। इसलिए जब 4जी और 5जी का जमाना आ गया आरकॉम मैदान से बाहर होना ही था। साल 2008 में जब आरकॉम को स्पेक्ट्रम मिला तब तक उसके उपर 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था।यूपीए सरकार के दूसरे दौर के खत्म होने तक 2जी स्पेक्ट्रम के कथित घोटाले की वजह से 2 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट फंस गए। यह अनिल अंबानी समूह के लिए एक और झटका साबित हुआ। साल 2018 में अनिल अंबानी ने एजीएम में घोषित कर दिया कि वे टेलीकॉम सेक्टर से बाहर जा रहे हैं। रिलायंस पावर ने साल 2008 में आईपीओ से रिकॉर्ड 11,563 करोड़ रुपये जुटाये थे। उसने महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा-कुल 28,200 मेगावॉट क्षमता के 13 गैस, कोल और हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट का। लेकिन इन प्रोजेक्ट को गैस नहीं मिल पाई। बड़े भाई मुकेश अंबानी ने सस्ती दर पर गैस देने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी मुकेश के पक्ष में फैसला दिया। अनिल अंबानी को रिलायंस पावर के एसेट बेचने को मजबूर होना पड़ा। कंपनी का 1।2 लाख करोड़ रुपये का निवेश फंस गया।साल 2015 में डिफेंस सेक्टर में कदम रखते हुए मुकेश अंबानी ने पिपावाव डिफेंस को खरीद लिया। इस कंपनी के ऊपर पहले से ही 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। आगे यह करीब 10,700 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान नहीं कर पायी। आईडीबीआई बैंक और आईएफसीआई ने इसे एनसीएलटी में घसीट लिया। सितंबर 2018 तक अनिल अंबानी समूह के उपर कुल 1।72 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया। कंपनी ने अपने सारे एसेट बेचने शुरू कर दिये। रिलायंस एंटरटेनमेंट ने तो साल 2014 में बिग सिनेमाज को बेच दिया था। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने मुंबई सिटी पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारोबार अडानी को 18,000 करोड़ रुपये में बेच दिया। रिलायंस इन्फ्रा ने अपना सीमेंट कारोबार 4,800 करोड़ रुपये में बिड़ला कॉरपोरेशन को बेच दिया। लाख करोड़ से हजार करोड़ पर आए अपने शीर्ष समय में साल 2008 में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह (ADAG) की कंपनियों की मार्केट वैल्यू करीब 4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी, लेकिन साल 2019 में यह महज 2,361 करोड़ रुपये रह गई है। दूसरी तरफ, मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज देश की नंबर वन कंपनी है और उसका वैल्यूएशन 13 लाख करोड़ रुपये के पार हो गया है।