News18 : Sep 18, 2020, 09:11 AM
नई दिल्ली। भारत में मई से अगस्त के दौरान 66 लाख लोगों नौकरी जाने का अनुमान है। इनमें इंजीनियर, शिक्षक, डॉक्टर सहित कई तरह के पेशेवर शामिल हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Centre for Monitoring Indian Economy CMIE) की रिपोर्ट के मुताबिक, मई से अगस्त के दौरान 50 लाख औद्योगिक श्रमिकों को भी अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। पेशेवरों के रोजगार की दर 2016 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गई।हालांकि, लॉकडाउन का असर व्हाइट कॉलर क्लेरिकल कर्मचारियों पर नहीं पड़ा है। इनमें ऑफिस क्लर्क से लेकर बीपीओ/केपीओ वर्कर्स, डाटा एंट्री ऑपरेटर्स जैसी नौकरियां शामिल हैं।
वर्क फ्रॉम होम' मोड में ट्रांसफर से बच गई लाखों नौकरियां-ऑफिस क्लर्क से लेकर बीपीओ/केपीओ वर्कर्स, डाटा एंट्री ऑपरेटर्स जैसी नौकरियां करने वालों की नौकरियों नहीं गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात की संभावना है कि इन कर्मचारियों की नौकरियां वर्क फ्रॉम होम' मोड में ट्रासफर हो गई हैं। इससे पहले सीएमआईआई ने अप्रैल में 1.21 करोड़ नौकरियां जाने का अनुमान लगाया था। लेकिन, इनमें से ज्यादातर नौकरियां अगस्त में वापस मिल गई थीं।नौकरियों पर आई CMIE रिपोर्ट की खास बातेंCMIE की रिपोर्ट में बताया गया है कि नौकरीपेशा लोगों में सबसे ज्यादा नौकरियां व्हाइट-कॉलर पेशेवरों की गई हैं। इनमें सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक और निजी क्षेत्र में काम करने वाले दूसरे लोग शामिल हैं। इनमें स्वरोजगार करने वाले लोग शामिल नहीं हैं। सीएमआईई ने कहा है, पिछले साल मई-अगस्त में नौकरी करने वाले व्हाइट कॉलर पेशेवरों की संख्या 1.88 करोड़ थी। इस साल मई-अगस्त के दौरान यह संख्या घटकर 1.22 करोड़ पर आ गई।2016 के बाद यह इन पेशेवरों की रोजगार की सबसे कम दर है। इस वजह से लॉकडाउन के दौरान पिछले चार साल में रोजगार के मौकों में हुई वृद्धि पर पानी फिर गया।सीएमआईआई के मुताबिक, सबसे ज्यादा नुकसान औद्योगिक श्रमिकों के मामले में हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है, अगर साल-दर-साल आधार पर तुलना की जाए तो ऐसे 50 लाख लोगों ने नौकरियां गई हैं। इसका मतलब है कि एक साल पहले के मुकाबले औद्योगिक श्रमिकों के रोजगार में 26 फीसदी कमी आई है।
वर्क फ्रॉम होम' मोड में ट्रांसफर से बच गई लाखों नौकरियां-ऑफिस क्लर्क से लेकर बीपीओ/केपीओ वर्कर्स, डाटा एंट्री ऑपरेटर्स जैसी नौकरियां करने वालों की नौकरियों नहीं गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात की संभावना है कि इन कर्मचारियों की नौकरियां वर्क फ्रॉम होम' मोड में ट्रासफर हो गई हैं। इससे पहले सीएमआईआई ने अप्रैल में 1.21 करोड़ नौकरियां जाने का अनुमान लगाया था। लेकिन, इनमें से ज्यादातर नौकरियां अगस्त में वापस मिल गई थीं।नौकरियों पर आई CMIE रिपोर्ट की खास बातेंCMIE की रिपोर्ट में बताया गया है कि नौकरीपेशा लोगों में सबसे ज्यादा नौकरियां व्हाइट-कॉलर पेशेवरों की गई हैं। इनमें सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक और निजी क्षेत्र में काम करने वाले दूसरे लोग शामिल हैं। इनमें स्वरोजगार करने वाले लोग शामिल नहीं हैं। सीएमआईई ने कहा है, पिछले साल मई-अगस्त में नौकरी करने वाले व्हाइट कॉलर पेशेवरों की संख्या 1.88 करोड़ थी। इस साल मई-अगस्त के दौरान यह संख्या घटकर 1.22 करोड़ पर आ गई।2016 के बाद यह इन पेशेवरों की रोजगार की सबसे कम दर है। इस वजह से लॉकडाउन के दौरान पिछले चार साल में रोजगार के मौकों में हुई वृद्धि पर पानी फिर गया।सीएमआईआई के मुताबिक, सबसे ज्यादा नुकसान औद्योगिक श्रमिकों के मामले में हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है, अगर साल-दर-साल आधार पर तुलना की जाए तो ऐसे 50 लाख लोगों ने नौकरियां गई हैं। इसका मतलब है कि एक साल पहले के मुकाबले औद्योगिक श्रमिकों के रोजगार में 26 फीसदी कमी आई है।