News18 : Dec 25, 2019, 02:47 PM
नई दिल्ली। कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने निवेशकों के धन को सुरक्षित रखने के लिये एक और कदम उठाने की पहल की है। सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिटों ((Mutual Fund Units) के लेनदेन में निवेशकों के रखे गये धन (Pool Accounts) का इस्तेमाल रोकने का प्रस्ताव किया है। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग (Karvy Stock Broking) घटनाक्रम के बाद सेबी ने ब्रोकर्स अथवा क्लियरिंग कॉरपोरेशन सदस्यों के पास रखे म्यूचुअल फंड के फंड्स या यूनिटों के सीधे इस्तेमाल को रोकने का प्रस्ताव किया है।भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कहा है कि इस तरह के मामले सामने आये हैं, जहां ट्रेडिंग और क्लियरिंग सदस्यों द्वारा उनके पास रखे गये निवेशकों और ग्राहकों के फंड्स या सिक्योरिटीज का इस्तेमाल खुद के अथवा किसी तीसरे पक्ष के मार्जिन दायित्वों अथवा सौदों के निपटान दायित्वों को पूरा करने में इस्तेमाल किया गया है। कई बार इन सिक्योरिटीज का इस्तेमाल शेयरों के एवज में कर्ज जुटाने के लिये भी किया गया।
निवेशकों की सुरक्षा पर सेबी सख्त
सेबी का कहना है कि इसी प्रकार जब स्टॉक ब्रोकर, क्लियरिंग सदस्यों और म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (MFDs) और निवेश सलाहकारों (Investment Advisors) द्वारा उपलब्ध कराये गये डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये म्यूचुअल फंड सौदे किये जाते हैं तो ऐसे में उपलब्ध निवेश राशि के दुरुपयोग की गुंजाइश बनी रहती है। सेबी का कहना है कि ऐसे सौदों में म्यूचुअल फंड कोषों को पता नहीं चलता है कि फंड कहां से आ रहा है, क्योंकि उन्हें जो फंड प्राप्त होता है वह निवेशकों के पूल खाते अथवा अलग से रखे गये एस्क्रो खाते (Escrow Accounts) से आता है।कार्वी ने 2,000 करोड़ रुपये का किया था घोटालानिवेशकों की सुरक्षा के लिहाज से इस तरह की चुनौतियों का समाधान निकालने के लिये सेबी ने प्रस्ताव किया है कि स्टॉक ब्रोकर, म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर, निवेश सलाहकार और दूसरे प्लेटफॉर्म, म्यूचुअल फंड लेनदेन के लिये अब फंड की पूलिंग अथवा म्यूचुअल फंड यूनिट नहीं रख सकेंगे।कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग का मामला सामने आने के बाद सेबी ने इस प्रस्ताव की पहल की है। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग मामले में ब्रोकिंग कंपनी ने उसके ग्राहकों की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि की सिक्योरिटीज का दुरुपयोग करने का आरोप हैजारी किया था परिचर्चा पत्र
सेबी ने सोमवार को इस संबंध में जो परिचर्चा पत्र जारी किया है उसमें कहा गया है कि किसी एक्सचेंज के प्लेटफार्म पर शेयर ब्रोकर के जरिये होने वाले सौदे के मामले में शेयर बाजारों को बेहतर प्रणाली स्थापित करनी चाहिये। इसमें ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये भुगतान सीधे निवेशक के बैंक खाते से मान्यता प्राप्त क्लियरिंग कॉरपोरेशन को प्राप्त हो और निवेशक को भुगतान करने के मामले में सीधे क्लियरिंग कारपोरेशन से निवेशक के बैंक खाते में किया जाना चाहिये।
निवेशकों की सुरक्षा पर सेबी सख्त
सेबी का कहना है कि इसी प्रकार जब स्टॉक ब्रोकर, क्लियरिंग सदस्यों और म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (MFDs) और निवेश सलाहकारों (Investment Advisors) द्वारा उपलब्ध कराये गये डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये म्यूचुअल फंड सौदे किये जाते हैं तो ऐसे में उपलब्ध निवेश राशि के दुरुपयोग की गुंजाइश बनी रहती है। सेबी का कहना है कि ऐसे सौदों में म्यूचुअल फंड कोषों को पता नहीं चलता है कि फंड कहां से आ रहा है, क्योंकि उन्हें जो फंड प्राप्त होता है वह निवेशकों के पूल खाते अथवा अलग से रखे गये एस्क्रो खाते (Escrow Accounts) से आता है।कार्वी ने 2,000 करोड़ रुपये का किया था घोटालानिवेशकों की सुरक्षा के लिहाज से इस तरह की चुनौतियों का समाधान निकालने के लिये सेबी ने प्रस्ताव किया है कि स्टॉक ब्रोकर, म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर, निवेश सलाहकार और दूसरे प्लेटफॉर्म, म्यूचुअल फंड लेनदेन के लिये अब फंड की पूलिंग अथवा म्यूचुअल फंड यूनिट नहीं रख सकेंगे।कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग का मामला सामने आने के बाद सेबी ने इस प्रस्ताव की पहल की है। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग मामले में ब्रोकिंग कंपनी ने उसके ग्राहकों की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि की सिक्योरिटीज का दुरुपयोग करने का आरोप हैजारी किया था परिचर्चा पत्र
सेबी ने सोमवार को इस संबंध में जो परिचर्चा पत्र जारी किया है उसमें कहा गया है कि किसी एक्सचेंज के प्लेटफार्म पर शेयर ब्रोकर के जरिये होने वाले सौदे के मामले में शेयर बाजारों को बेहतर प्रणाली स्थापित करनी चाहिये। इसमें ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये भुगतान सीधे निवेशक के बैंक खाते से मान्यता प्राप्त क्लियरिंग कॉरपोरेशन को प्राप्त हो और निवेशक को भुगतान करने के मामले में सीधे क्लियरिंग कारपोरेशन से निवेशक के बैंक खाते में किया जाना चाहिये।