Vikrant Shekhawat : Sep 28, 2021, 08:26 AM
जालौर: खबर का शीर्षक पढ़ने के बाद सोच रहे होंगे कि कैसी बिना सिर पैर की बात है। क्योंकि बिल्ली के पंजा मारने और गोली लगने के दर्द में जमीन आसमान का अंतर होता है! लेकिन भैया, राजस्थान के जालौर जिले में बिजली विभाग में काम करने वाला एक लाइनमैन इस अंतर को नहीं समझ सका। नेमीचंद नाम का ये शख्स कथित तौर पर यह सोच रहा था कि उसके सीने में ‘बिल्ली के पंजा’ मारने से घाव हुआ है, जबकि सच्चाई यह थी कि उसके सीने में एक गोली फंसी हुई थी।जब कमरे से मिला गोली का खाली खोलघटना 16 सितंबर की है। दरअसल, जब नेमीचंद गहरी नींद में सो रहा था, तो उसे हल्का दर्द महसूस हुआ। उसने यह समझकर दर्द को इग्नोर कर दिया कि शायद बिल्ली पंजा मार गई होगी। अगले 7 घंटों के लिए 35 वर्षीय नेमीचंद उस दर्द को भूलकर अपने तीन दोस्तों के साथ एक कमरे में सो रहा था। पर जब उसके साथी को कमरे में गोली का खाली खोखा मिला, तो वह समझ गए कि सीने के दर्द की वजह ‘बिल्ली का झपट्टा’ नहीं है।पसलियों के बीच फंसी थी गोलीफिर नेमीचंद अस्पताल गए। जहां डॉक्टर ने उनका एक्स-रे करवाया। पता चला कि उसकी रिब्स केव (पसलियों के बीच एक हिस्सा) में एक गोली फंसी है, जिसे वो पहले ‘बिल्ली का झपट्टा’ समझ रहा था। 17 सितंबर को नेमीचंद का ऑपरेशन कर डॉक्टर्स ने गोली को बाहर निकाल दिया। डॉक्टरों ने बताया कि गोली हार्ट के निचले हिस्से में लगी थी। पसलियों को सीधी हिट ना करके थोड़ी दिशा बदलते हुए पसलियों और चमड़ी के बीच मांस में तिरछी चली जाने से गहरी नहीं गई थी।किसी को पता ही नहीं गोली कब चलीगजब बात तो यह है कि जब शख्स को गोली लगी उस वक्त ना ही नेमीचंद और ना ही उसके अन्य साथियों को उसकी आवाज सुनाई पड़ी। साथ ही, कमरे में किसी के आने-जाने के निशान भी नहीं मिले। ऐसे में ये पूरा मामला संदिग्ध नजर आ रहा है। फिलहाल, रानीवाड़ा पुलिस ने नेमीचंद की शिकायत पर केस दर्ज कर मामले की तहकीकात शुरू कर दी है। लेकिन पुलिस के सामने बहुत से सवाल हैं, जिनके जवाब का इंतजार सबको है। आखिर कैसे नेमीचंद को गोली लगी। गोली क्या नेमीचंद ने खुद ही मारी या फिर उसे मारी गई या फिर दुर्घटनावश लगी।