- भारत,
- 07-Apr-2025 01:03 PM IST
Share Market News: आज भारतीय शेयर बाजार में ऐसा तूफान आया कि बड़े-बड़े निवेशक भी सकते में आ गए। जिस तरह से लॉर्ज कैप स्टॉक्स—जैसे रिलायंस, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, इंफोसिस और एचसीएल टेक—10% तक गिर गए, उसने बाजार में अफरा-तफरी मचा दी है। एक ही दिन में निवेशकों के लगभग 19 लाख करोड़ रुपये डूब गए। यह गिरावट सिर्फ एक तकनीकी सुधार नहीं लगती, बल्कि इसके पीछे कई बड़ी वजहें छिपी हैं, जो बाजार की दिशा तय कर सकती हैं।
अगर आप भी निवेशक हैं, तो जाहिर है यह सवाल आपको परेशान कर रहा होगा—क्या ये गिरावट यहीं थमेगी या अभी और नीचे जाना बाकी है? आइए जानते हैं बाजार की इस गिरावट की 5 प्रमुख वजहें, और साथ ही यह भी कि आगे क्या हो सकता है।
1. वैश्विक स्तर पर बिकवाली का दबाव
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों (Tariff Terror) ने एक बार फिर दुनियाभर के बाजारों में हलचल मचा दी है। ट्रंप प्रशासन ने आयात शुल्क को लेकर कोई नरमी नहीं दिखाई है, जिससे वैश्विक निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं। इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा है। निवेशकों ने बड़ी मात्रा में शेयरों की बिकवाली की, जिससे बाजार धड़ाम हो गया।
2. मंदी की आशंका बढ़ी
ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीतियों ने वैश्विक आर्थिक माहौल में अनिश्चितता बढ़ा दी है। 180 से अधिक देशों पर लगाए गए टैरिफ के चलते व्यापार में रुकावट और अस्थिरता आई है। इसके चलते निवेशकों को डर है कि कहीं एक बार फिर वैश्विक मंदी ना आ जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये स्थिति बनी रही तो भारत में भी आर्थिक सुस्ती गहरा सकती है।
3. महंगाई का खतरा और कॉरपोरेट मुनाफे पर असर
टैरिफ की वजह से आयात महंगा हो गया है, जिससे महंगाई बढ़ने की आशंका है। बढ़ती लागत के चलते कंपनियों के मुनाफे पर भी असर पड़ेगा। उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति घटेगी और बाजार में मांग कमजोर होगी। यह एक डोमिनो इफेक्ट की तरह काम करेगा—कम मांग, कम मुनाफा, और अंततः शेयरों में गिरावट।
4. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अप्रैल में फिर से भारतीय बाजार से पैसे निकालने शुरू कर दिए हैं। अभी तक वे ₹13,730 करोड़ के शेयर बेच चुके हैं। जब एफपीआई जैसे बड़े निवेशक बाजार से निकलते हैं, तो उसका मनोवैज्ञानिक असर भी होता है, जिससे घरेलू निवेशक भी घबरा जाते हैं। यह बिकवाली बाजार को और नीचे धकेल रही है।
5. साइकोलॉजिकल ब्रेकडाउन
बाजार केवल आँकड़ों पर नहीं, भावनाओं पर भी चलता है। जब लॉर्ज कैप कंपनियां—जिन्हें सुरक्षित और स्थिर माना जाता है—इतनी बड़ी गिरावट दर्ज करती हैं, तो छोटे निवेशकों में घबराहट फैल जाती है। यही हुआ है अभी। निवेशकों को लग रहा है कि कुछ भी सुरक्षित नहीं है, जिससे घबराहट में और अधिक बिकवाली हो रही है।
अब आगे क्या?
बाजार विशेषज्ञ सिद्धार्थ कुंआवाला का कहना है कि “टैरिफ के बादल भारतीय बाजार पर छाए हुए हैं। स्थिरता लौटने में कुछ वक्त लग सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए यह गिरावट एक सुनहरा मौका भी बन सकती है।”
वहीं, विशेषज्ञ अयोध्या प्रसाद शुक्ला का मानना है कि “बाजार को सेटल होने में कम से कम 2 से 3 महीने लग सकते हैं। अमेरिका के टैरिफ का असर भारत के हर सेक्टर पर देखने को मिलेगा, लेकिन सबसे ज्यादा झटका ऑटो और टेक सेक्टर को लग सकता है।”
निवेशकों के लिए सलाह:
-
घबराएं नहीं, रणनीति बनाएं।
-
लॉन्ग टर्म नजरिए से निवेश पर विचार करें।
-
क्वालिटी स्टॉक्स में SIP के जरिए निवेश जारी रखें।
-
छोटे निवेशकों के लिए फिलहाल नई खरीद से बचना बेहतर।
-
फंडामेंटल मजबूत कंपनियों की लिस्ट तैयार रखें।