देश / बच्चे ने प्रधानमंत्री को लिखा- धार्मिक ट्रस्ट अपनी 80% दौलत देश को दान करें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाला छात्र का नाम अभिनव कुमार शर्मा है जो सेंट जोसेफ अकादमी का छात्र है। अभिनव कुमार शर्मा ने 26 मार्च, 2020 को एक ईमेल भेजा। अभिनव ने अपने पत्र में लिखा कि 21 दिनों से चल रहे लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था को झटका लगने वाला है। अभिनव ने पीएम से अपील की है कि सभी धार्मिक ट्रस्टों के लिए अपने फंड का 80% हिस्सा पीएम के राहत कोष में दान करना अनिवार्य हो चाहें

AajTak : Apr 01, 2020, 12:57 PM
देहरादून के एक 15 साल के छात्र ने कोरोना वायरस आपदा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि सभी धार्मिक संस्थानों के लिए कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अपनी संपत्ति का 80% हिस्सा दान में देना अनिवार्य करें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाला छात्र का नाम अभिनव कुमार शर्मा है जो सेंट जोसेफ अकादमी का छात्र है। अभिनव कुमार शर्मा ने 26 मार्च, 2020 को एक ईमेल भेजा। अभिनव ने अपने पत्र में लिखा कि 21 दिनों से चल रहे लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था को झटका लगने वाला है। अभिनव ने पीएम से अपील की है कि सभी धार्मिक ट्रस्टों के लिए अपने फंड का 80% हिस्सा पीएम के राहत कोष में दान करना अनिवार्य हो चाहें वह जिस भी धर्म का पालन करते हों। ताकि इस धन का उपयोग उन लोगों के लिए किया जा सके, जिन्हें कोरोना वायरस की इस महामारी में जरूरत है।


बताया जा रहा है कि जब अभिनव ने लॉकडाउन के दौरान हजारों प्रवासी श्रमिक को उनकी नौकरी खोते हुए देखा जिसके बाद उसने यह पत्र लिखने का फैसला किया। अपने पत्र में, अभिनव का कहना है कि कोरोना वायरस की आपदा को  देखते हुए मैं धार्मिक ट्रस्टों से विनम्र निवेदन करता हूं कि वे अपने धर्म की परवाह किए बगैर पीएम राहत कोष से देश को 80% राशि दान करें।'

अभिनव पत्र में लिखा है कि मुझे पता है कि सभी धार्मिक ट्रस्टों और संस्थानों में कितना पैसा जाता है। मुझे उम्मीद है कि हमारे माननीय पीएम अपने लोगों को हर चीज- महामारी, गरीबी, भूख और किसी अन्य आपदा से बचाने  के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।'

अभिनव ने अपने पत्र में गरीबों की दुर्दशा के बारे में चिंता जताते हुए कहा है कि यह स्वास्थ्य आपातकाल निश्चित रूप से वित्तीय आपातकाल का कारण बनेगा, जिसके कारण भिखारी, मजदूर आदि भुखमरी के कगार पर होंगे। इस तालाबंदी से छोटे उद्योग, कारखाने, व्यवसाय बंद हो सकते हैं। कोई व्यवसाय नहीं होने के कारण बेरोजगारी बढ़ सकती है।'

अभिनव का मानना है कि यदि धार्मिक संस्थानों का यह पैसा भगवान के बच्चों को बचाता है तो  'ईश्वर' खुश होगा और हम सभी को आशीर्वाद देगा साथ ही हमें मानवता में अधिक विश्वास होगा। वहीं मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के परिवार से आने वाले अभिनव को इस बात की भी जानकारी है कि डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ क्या कर रहे हैं।

अभिनव कहते हैं, 'डॉक्टर इस घातक वायरस से लड़ने के लिए हमारे सिपाही हैं।  मुझे उम्मीद है कि हमारी सरकार यह सब जानती है और उन्हें वे सभी उपकरण और सुरक्षा जाल मुहैया करा रही है, जो उन्हें इस लड़ाई से लड़ने की जरूरत है।'