News18 : Jul 16, 2020, 08:40 AM
बीजिंग। हांगकांग (Hong Kong) का स्पेशल स्टेटस खत्म करने के डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) प्रशासन के फैसले के बाद चीन (China) ने अमेरिका (US) को खुली धमकी दे दी है। चीन ने स्पष्ट कहा है कि वह हमेशा से शांति और बातचीत से मामले का हल निकलना चाहता है लेकिन अगर अमेरिका समुद्र में लहरे बनाने की कोशिश कर रहा तो अब उसे एक बड़े तूफ़ान के लिए भी तैयार रहना चाहिए। चीन ने कहा कि हांगकांग उसका आंतरिक मामला है और अमेरिका इसमें दखल देने से पहले सोच-समझ ले।
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने ट्वीट कर कहा- अगर इसे बातचीत की ताकत कहा जा रहा है तो ये जंगल के कानून से कम नहीं है। सद्भावना के बिना ताकत जितनी ज्यादा बड़ी होती है उसका खतरा भी उतना ही ज्यादा होता है। पेड़ अक्सर शांति की उम्मीद करता है, लेकिन तेज हवा बहती रहती है। अगर अमेरिका लहरें बनाना चाहता है तो अब तूफ़ान के सामने के लिए उसे तैयार रहना चाहिए। बता दें कि ट्रंप ने मंगलवार को हांगकांग पर एक नए कानून को मंजूरी दी थी। इसके तहत अमेरिका अब उन चीनी अफसरों और कंपनियों पर कार्रवाई कर सकेगा जो वहां लोकतंत्र की मांग दबा रहे हैं। अब तक अमेरिका इन कंपनियों को स्पेशल स्टेटस के तहत कुछ छूट देता था। अब यह नहीं हो सकेगा।
हांगकांग का ट्रेड स्टेटस भी ख़त्म कियाअमेरिका ने हांगकंग का स्पेशल ट्रेड स्टेटस खत्म कर दिया है तो चीन को भारी नुकसान का डर सता रहा है। चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री ने बुधवार को ‘अल जजीरा’ टीवी चैनल से कहा- हम अमेरिकी कदम की निंदा करते हैं। इसका जवाब देने के लिए चीन तैयार है। ट्रंप ने आदेश जारी करते हुए कहा कि अब हांगकांग का दर्जा भी मेनलैंड चायना की तरह ही होगा। हांगकांग में कार्रवाई करने वाले अधिकारियों पर पाबंदी लगाने के क़ानून को भी ट्रंप की हरी झंडी मिल गई है।
अपनी गलती सुधारे अमेरिकाचीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया है- हांगकांग में नए सुरक्षा क़ानून को लागू करने से रोकने की अमेरिका की कोशिश कभी सफल नहीं होगी। हम अमरीका से अपील करते हैं कि वो अपनी ग़लती सुधारे। इस क़ानून को लागू न करे और चीन के आंतरिक मामलों में दख़ल देना बंद करे। अगर अमेरिका ने ऐसा करना जारी रखा, तो चीन भी इसका कड़ाई से जवाब देगा। दोनों देशों में कोरोना संक्रमण को लेकर पहले ही तनावपूर्ण रिश्ते बने हुए हैं।
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने ट्वीट कर कहा- अगर इसे बातचीत की ताकत कहा जा रहा है तो ये जंगल के कानून से कम नहीं है। सद्भावना के बिना ताकत जितनी ज्यादा बड़ी होती है उसका खतरा भी उतना ही ज्यादा होता है। पेड़ अक्सर शांति की उम्मीद करता है, लेकिन तेज हवा बहती रहती है। अगर अमेरिका लहरें बनाना चाहता है तो अब तूफ़ान के सामने के लिए उसे तैयार रहना चाहिए। बता दें कि ट्रंप ने मंगलवार को हांगकांग पर एक नए कानून को मंजूरी दी थी। इसके तहत अमेरिका अब उन चीनी अफसरों और कंपनियों पर कार्रवाई कर सकेगा जो वहां लोकतंत्र की मांग दबा रहे हैं। अब तक अमेरिका इन कंपनियों को स्पेशल स्टेटस के तहत कुछ छूट देता था। अब यह नहीं हो सकेगा।
हांगकांग का ट्रेड स्टेटस भी ख़त्म कियाअमेरिका ने हांगकंग का स्पेशल ट्रेड स्टेटस खत्म कर दिया है तो चीन को भारी नुकसान का डर सता रहा है। चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री ने बुधवार को ‘अल जजीरा’ टीवी चैनल से कहा- हम अमेरिकी कदम की निंदा करते हैं। इसका जवाब देने के लिए चीन तैयार है। ट्रंप ने आदेश जारी करते हुए कहा कि अब हांगकांग का दर्जा भी मेनलैंड चायना की तरह ही होगा। हांगकांग में कार्रवाई करने वाले अधिकारियों पर पाबंदी लगाने के क़ानून को भी ट्रंप की हरी झंडी मिल गई है।
हांगकांग पर अमेरिका के नए कानून का असर चीन के उन बैंकों पर भी पड़ेगा जो वहां इन्वेस्टमेंट के लिए कर्ज देते हैं। इतना ही नहीं चीन के वो अफसर जो हांगकांग में तैनात हैं, और वहां के वीजा पर ट्रेड के लिए अमेरिकी दौरे करते हैं, उनका अब अमेरिका जाना मुश्किल हो जाएगा। चीनी कंपनियां हांगकांग के नाम पर अपना माल सप्लाई करती हैं। अब यह सिलसिला बंद हो जाएगा। चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इस क़दम की आलोचना की है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीन भी अपने हितों की रक्षा के लिए अमरीकी लोगों और संस्थाओं पर पाबंदी लगाएगा।If only strength talks, then it's no different from the law of the jungle. Without goodwill, the greater the strength, the greater the menace. The tree hopes for peace, but the wind keeps blowing. If the #US wants to make waves, then let the storm rage on!
— Hua Chunying 华春莹 (@SpokespersonCHN) July 15, 2020
अपनी गलती सुधारे अमेरिकाचीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया है- हांगकांग में नए सुरक्षा क़ानून को लागू करने से रोकने की अमेरिका की कोशिश कभी सफल नहीं होगी। हम अमरीका से अपील करते हैं कि वो अपनी ग़लती सुधारे। इस क़ानून को लागू न करे और चीन के आंतरिक मामलों में दख़ल देना बंद करे। अगर अमेरिका ने ऐसा करना जारी रखा, तो चीन भी इसका कड़ाई से जवाब देगा। दोनों देशों में कोरोना संक्रमण को लेकर पहले ही तनावपूर्ण रिश्ते बने हुए हैं।