NavBharat Times : Jul 17, 2020, 05:20 PM
पेइचिंग: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच चीन अब मंगल ग्रह पर अपने रोवर को भेजने की तैयारी में जुटा हुआ है। तियानवेन-1 नाम के इस मिशन को चीन जुलाई या अगस्त के अंत में हेनान प्रांत में स्थित वेंचांग स्पेस लॉन्च सेंटर से भेजने वाला है। चीन के अलावा अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात भी मंगल ग्रह को लेकर अपने मिशन का ऐलान कर चुके हैं।
चीन के सफल होने के चांस कमतियानवेन-1 मिशन को चीन अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट लॉंग मार्च-5 से मंगल पर भेजेगा। इस रॉकेट का तीन बार सफल परीक्षण किया जा चुका है। लेकिन, तीनों बार रॉकेट पर कोई पेलोड यानी भार नहीं था। ऐसे में यह शंका बनी हुई है कि चीन का यह मिशन उसके पहले मंगल मिशन की तरह फेल न हो जाए। चीन ने मंगल ग्रह को लेकर 2011 में एक मिशन को लॉन्च किया था। जिसमें उसने रूस का भी सहयोग लिया था। लेकिन, यह मिशन फेल हो गया था।
2011 में फेल हो चुका है चीनचीन के इस अभियान को उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम में सर्वाधिक महत्वाकांक्षी माना जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी फैलने के बावजूद इस अभियान की तैयारियां जोरों पर है। चीनी मीडिया के अनुसार, इस मिशन के जरिए मंगल ग्रह से वैज्ञानिक आंकड़े जुटाए जाएंगे। इसके लिए तियानवेन-1 में एक रोवर को भेजा जा रहा है।
अमेरिका और यूएई का अभियान भी जोरों परअमेरिका कार से भी बड़े आकार का रोवर भेज रहा है, जिसका नाम परजरवेंस है। यह वहां के चट्टानों के नमूने एकत्र कर विश्लेषण के लिये करीब एक दशक में धरती पर लाएगा। इसका प्रक्षेपण 30 जुलाई से 15 अगस्त के बीच होने का कार्यक्रम है। वहीं, संयुक्त अरब अमीरात का अमाल या होप नाम का अंतरिक्ष यान एक आर्बिटर है जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ कोलेरैडो बोल्डर की साझेदारी से बनाया गया है। इसे सोमवार को जापान से प्रक्षेपित किये जाने का कार्यक्रम है। यह अरब जगत का पहला अंतर ग्रहीय (दूसरे ग्रह पर भेजा जाने वाला) अभियान होगा।
मंगल की धरती पर आजतक अमेरिका ही पहुंच सकाभी तक अमेरिका ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने मंगल पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारा है और उसने यह कमाल आठ बार किया। नासा के दो लैंडर वहां संचालित हो रहे हैं, इनसाइट और क्यूरियोसिटी। छह अन्य अंतरिक्ष यान मंगल की कक्षा से लाल ग्रह की तस्वीरें ले रहे हैं, जिनमें अमेरिका से तीन, यूरोपीय देशों से दो और भारत से एक है। मंगल ग्रह के लिये चीन ने अंतिम प्रयास रूस के सहयोग से किया था, जो 2011 में नाकाम रहा था।
चीन के सफल होने के चांस कमतियानवेन-1 मिशन को चीन अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट लॉंग मार्च-5 से मंगल पर भेजेगा। इस रॉकेट का तीन बार सफल परीक्षण किया जा चुका है। लेकिन, तीनों बार रॉकेट पर कोई पेलोड यानी भार नहीं था। ऐसे में यह शंका बनी हुई है कि चीन का यह मिशन उसके पहले मंगल मिशन की तरह फेल न हो जाए। चीन ने मंगल ग्रह को लेकर 2011 में एक मिशन को लॉन्च किया था। जिसमें उसने रूस का भी सहयोग लिया था। लेकिन, यह मिशन फेल हो गया था।
2011 में फेल हो चुका है चीनचीन के इस अभियान को उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम में सर्वाधिक महत्वाकांक्षी माना जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी फैलने के बावजूद इस अभियान की तैयारियां जोरों पर है। चीनी मीडिया के अनुसार, इस मिशन के जरिए मंगल ग्रह से वैज्ञानिक आंकड़े जुटाए जाएंगे। इसके लिए तियानवेन-1 में एक रोवर को भेजा जा रहा है।
अमेरिका और यूएई का अभियान भी जोरों परअमेरिका कार से भी बड़े आकार का रोवर भेज रहा है, जिसका नाम परजरवेंस है। यह वहां के चट्टानों के नमूने एकत्र कर विश्लेषण के लिये करीब एक दशक में धरती पर लाएगा। इसका प्रक्षेपण 30 जुलाई से 15 अगस्त के बीच होने का कार्यक्रम है। वहीं, संयुक्त अरब अमीरात का अमाल या होप नाम का अंतरिक्ष यान एक आर्बिटर है जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ कोलेरैडो बोल्डर की साझेदारी से बनाया गया है। इसे सोमवार को जापान से प्रक्षेपित किये जाने का कार्यक्रम है। यह अरब जगत का पहला अंतर ग्रहीय (दूसरे ग्रह पर भेजा जाने वाला) अभियान होगा।
मंगल की धरती पर आजतक अमेरिका ही पहुंच सकाभी तक अमेरिका ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने मंगल पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारा है और उसने यह कमाल आठ बार किया। नासा के दो लैंडर वहां संचालित हो रहे हैं, इनसाइट और क्यूरियोसिटी। छह अन्य अंतरिक्ष यान मंगल की कक्षा से लाल ग्रह की तस्वीरें ले रहे हैं, जिनमें अमेरिका से तीन, यूरोपीय देशों से दो और भारत से एक है। मंगल ग्रह के लिये चीन ने अंतिम प्रयास रूस के सहयोग से किया था, जो 2011 में नाकाम रहा था।