भारत उठाए शांति की आवाज / यूक्रेन पर हमले के लिए पुतिन की करें निंदा, अमेरिकी सांसदों के समूह का आह्वान

अमेरिकी सांसदों के एक द्विदलीय समूह ने भारत से आह्वान किया है कि वह यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के खिलाफ आवाज उठाए। इन सांसदों ने यूक्रेन में शांति के लिए पहल करने के अनुरोध के साथ यह भी कहा कि भारत रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विरोध करे। अमेरिकी सांसद जो विल्सन और भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना के नेतृत्व में सांसदों ने अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू से इस मामले पर चर्चा की।

Vikrant Shekhawat : Mar 18, 2022, 11:06 AM
अमेरिकी सांसदों के एक द्विदलीय समूह ने भारत से आह्वान किया है कि वह यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के खिलाफ आवाज उठाए। इन सांसदों ने यूक्रेन में शांति के लिए पहल करने के अनुरोध के साथ यह भी कहा कि भारत रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विरोध करे। अमेरिकी सांसद जो विल्सन और भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना के नेतृत्व में सांसदों ने अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू से इस मामले पर चर्चा की।

खन्ना ने संधू के साथ चर्चा में विल्सन के शामिल होने की सराहना की। उन्होंने भारत से यूक्रेन में नागरिकों को निशाना बनाए जाने के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, '

दोनों दलों के भारत के मित्र उससे शांति के लिए अपने प्रभाव का उपयोग करने का आग्रह कर रहे हैं। सांसद विल्सन ने ट्वीट किया, 'यह महत्वपूर्ण है कि विश्व के नेता यूक्रेन में पुतिन द्वारा किए जा रहे अत्याचारों की निंदा करें। 

दो दिनों में यह दूसरी बार है जब अमेरिकी सांसदों ने भारत से यूक्रेन के खिलाफ सैन्य हमले को लेकर रूस की निंदा करने का आग्रह किया है। एक दिन पहले, दो अमेरिकी सांसदों टेड डब्ल्यू लियू और टॉम मालिनोवस्की ने भारत से आग्रह किया था कि वह रूस की निंदा करे। इन सांसदों ने संधु को लिखे पत्र में कहा था कि हम रूस के साथ भारत की मित्रता को समझते हैं, लेकिन 2 मार्च को संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान के वक्त भारत के गैर हाजिर रहने से निराश हैं। 

रूस से तेल खरीदी की आलोचना

इस हफ्ते की शुरुआत में भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसी अमी बेरा ने भी संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ मतदान के वक्त भारत के अनपस्थित रहने पर निराशा व्यक्त की थी। बेरा ने कहा कि इससे भी बदतर यह है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को किनारे करते हुए रूस से घटी दरों से कथित तौर पर तेल खरीद रहा है। यह पुतिन को एक तरह के जीवनदान जैसा है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के कारण रूस की अर्थव्यवस्था बुरी तरह जूझ रही है।