Vikrant Shekhawat : Dec 06, 2022, 09:55 AM
Corona Virus : कोरोना वायरस चीन के वुहान से निकला, इसे लेकर आपने तमाम खबरें पढ़ी होंगी, कई बार ये आरोप भी लगा कि चीन ने इसे जानबूझकर लीक किया. हालांकि हर बार चीन इसका खंडन करता रहा, लेकिन अब इसे लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. वुहान में एक विवादास्पद रिसर्च लैब में काम करने वाले अमेरिका के एक वैज्ञानिक ने एक आश्चर्यजनक रहस्योद्घाटन किया है. उसका कहना है कि COVID-19 एक "मानव निर्मित वायरस" था जो लैब से ही लीक हुआ था.
राज्य द्वारा संचालित लैब है वुहानअमेरिकी साइंटिस्ट एंड्रयू हफ के बयान के आधार पर ब्रिटिश अखबार द सन में छपी रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे यह खतरनाक वायरस वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (डब्ल्यूआईवी) से लीक किया गया था, जो एक राज्य द्वारा संचालित और वित्त पोषित अनुसंधान सुविधा है. इसे अमेरिका से भी काफी फंड मिलता था.
पर्याप्त नियंत्रण उपाय न होने की वजह से हुआ लीकसाइंटिस्ट डॉ. एंड्रयू हफ ने अपनी किताब द ट्रुथ अबाउट वुहान में दावा किया है कि कोरोना महामारी खतरनाक जेनेटिक इंजीनियरिंग का परिणाम थी. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि ईकोहेल्थ एलायंस और विदेशी प्रयोगशालाओं के पास उचित जैव सुरक्षा, बॉयो सिक्योरिटी और रिस्क मैनेजमेंट के लिए पर्याप्त नियंत्रण के उपाय नहीं थे, इसी वजह से वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की लैब से इस खतरनाक वायरस का रिसाव हुआ. बता दें कि मिस्टर हफ न्यूयॉर्क में स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन इकोहेल्थ एलायंस के पूर्व उपाध्यक्ष हैं, जो संक्रामक रोगों का अध्ययन करता है. मिस्टर हफ ने अपनी किताब में दावा किया है कि चीन की तरफ से इसे लेकर काफी लापरवाही बरती गई थी. जिस कारण यह वायरस लैब से लीक हुआ. बता दें कि वुहान लैब COVID की उत्पत्ति पर हमेशा बहस का केंद्र रहा है, चीनी सरकार के अधिकारियों और लैब कर्मचारियों दोनों ने इस बात से इनकार किया है कि वायरस की उत्पत्ति वहीं हुई है.
डॉ हफ का वुहान लैब से कनेक्शनडॉ. हफ वर्ष 2014 से 2016 तक ईकोहेल्थ एलायंस में काम कर चुके हैं. 2015 में उन्हें इस कंपनी का वाइस प्रेजिडेंट नियुक्त किया गया था. वे अमेरिकी सरकार के वैज्ञानिक के तौर पर इस रिसर्च प्रोग्राम पर सीक्रेट तरीके से काम कर रहे थे. उन्होंने बताया कि इकोहेल्थ एलायंस, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ से मिली फंडिंग के जरिए दस साल से अधिक समय से चमगादड़ों में पाए जाने वाले अलग-अलग तरह के कोरोना वायरसों का अध्ययन कर रहा था. इस काम को करने के दौरान उसके और चीन के वुहान लैब के बीच काफी घनिष्ठ संबंध बन गए थे.
चीन को पहले से पता था कोरोना के बारे मेंउन्होंने दावा किया कि चीन पहले दिन से जानता था कि कोरोना वायरस जेनेटिकली इंजीनियर्ड वायरस है और यहीं से निकला है. इसके अलावा इसके लीक होने में अमेरिकी सरकार भी दोषी है. डॉ. हफ ने अपनी किताब में दावा किया कि चंद लालची वैज्ञानिकों ने दुनियाभर में लाखों लोगों को मार डाला. उन्होंने कहा कि किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि चीनियों ने SARS-CoV-2 के प्रकोप के बारे में झूठ बोला था.
राज्य द्वारा संचालित लैब है वुहानअमेरिकी साइंटिस्ट एंड्रयू हफ के बयान के आधार पर ब्रिटिश अखबार द सन में छपी रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे यह खतरनाक वायरस वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (डब्ल्यूआईवी) से लीक किया गया था, जो एक राज्य द्वारा संचालित और वित्त पोषित अनुसंधान सुविधा है. इसे अमेरिका से भी काफी फंड मिलता था.
पर्याप्त नियंत्रण उपाय न होने की वजह से हुआ लीकसाइंटिस्ट डॉ. एंड्रयू हफ ने अपनी किताब द ट्रुथ अबाउट वुहान में दावा किया है कि कोरोना महामारी खतरनाक जेनेटिक इंजीनियरिंग का परिणाम थी. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि ईकोहेल्थ एलायंस और विदेशी प्रयोगशालाओं के पास उचित जैव सुरक्षा, बॉयो सिक्योरिटी और रिस्क मैनेजमेंट के लिए पर्याप्त नियंत्रण के उपाय नहीं थे, इसी वजह से वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की लैब से इस खतरनाक वायरस का रिसाव हुआ. बता दें कि मिस्टर हफ न्यूयॉर्क में स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन इकोहेल्थ एलायंस के पूर्व उपाध्यक्ष हैं, जो संक्रामक रोगों का अध्ययन करता है. मिस्टर हफ ने अपनी किताब में दावा किया है कि चीन की तरफ से इसे लेकर काफी लापरवाही बरती गई थी. जिस कारण यह वायरस लैब से लीक हुआ. बता दें कि वुहान लैब COVID की उत्पत्ति पर हमेशा बहस का केंद्र रहा है, चीनी सरकार के अधिकारियों और लैब कर्मचारियों दोनों ने इस बात से इनकार किया है कि वायरस की उत्पत्ति वहीं हुई है.
डॉ हफ का वुहान लैब से कनेक्शनडॉ. हफ वर्ष 2014 से 2016 तक ईकोहेल्थ एलायंस में काम कर चुके हैं. 2015 में उन्हें इस कंपनी का वाइस प्रेजिडेंट नियुक्त किया गया था. वे अमेरिकी सरकार के वैज्ञानिक के तौर पर इस रिसर्च प्रोग्राम पर सीक्रेट तरीके से काम कर रहे थे. उन्होंने बताया कि इकोहेल्थ एलायंस, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ से मिली फंडिंग के जरिए दस साल से अधिक समय से चमगादड़ों में पाए जाने वाले अलग-अलग तरह के कोरोना वायरसों का अध्ययन कर रहा था. इस काम को करने के दौरान उसके और चीन के वुहान लैब के बीच काफी घनिष्ठ संबंध बन गए थे.
चीन को पहले से पता था कोरोना के बारे मेंउन्होंने दावा किया कि चीन पहले दिन से जानता था कि कोरोना वायरस जेनेटिकली इंजीनियर्ड वायरस है और यहीं से निकला है. इसके अलावा इसके लीक होने में अमेरिकी सरकार भी दोषी है. डॉ. हफ ने अपनी किताब में दावा किया कि चंद लालची वैज्ञानिकों ने दुनियाभर में लाखों लोगों को मार डाला. उन्होंने कहा कि किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि चीनियों ने SARS-CoV-2 के प्रकोप के बारे में झूठ बोला था.