कास्ट: दीपिका पादुकोण, अनन्या पांडे, सिद्धांत चतुर्वेदी, धैर्य करवा, नसीरुद्दीन शाह, रजत कपूर आदि निर्देशक: शकुन बत्रास्टार रेटिंग: 2.5 कहां देख सकते हैं: प्राइम वीडियोज परजब भी अपनों से, अपने आप से लड़ाई होती है तो भागवद गीता से बेहतर और क्या उपाय हो सकता है कि कैसे सही और गलत की लड़ाई में अपनों से भी युद्ध लड़ना है और किसी भी मुश्किल से खुद को खुद ही उबार कर आगे बढ़ना है. दीपिका-अनन्या की मूवी ‘गहराइयां’ इसी तरह के ‘मूव ऑन’ का संदेश देती है, लेकिन मूवी के ताने बाने को मॉर्डन सोसायटी के अंर्तविरोधों के इर्द गिर्द रचा गया है. ऐसे में डायरेक्टर ने सोचा कि दीपिका के कुछ अच्छे स्मूच सींस डाल दो फिल्म कामयाब हो जाएगी, लेकिन ये वाला फॉर्मूला पूरी तरह काम आता नहीं दिख रहा है.फिल्म में बोल्ड सीन्स की भरमारहालांकि आज ही रिलीज हुई राजकुमार राव और भूमि पेडेनकर की ‘बधाई दो’ का विषय ऐसा था कि इसमें बोल्ड सींस की काफी गुंजाइशें थीं, हीरो गे और हीरोइन लेस्बियन. काफी सींस डाले जा सकते थे, लेकिन ढंग से एक किस सीन भी नहीं डाला गया, बावजूद उसके मूवी अच्छी बन पड़ी है, जबकि गहराइयां के ये बोल्ड सींस ही मूवी को शुरूआत में इतनी धीमी कर देते हैं और बाद में क्राइम थिलर की तरह इतनी तेज कर देते हैं कि आपको अपना मूड चेंज करने में समय लेगा और यही मूड स्विंग आपका मूड भी ऑफ कर सकता है.क्या है कहानीकहानी है अलीशा (दीपिका) और टिया (अनन्या पांडे) की, जो कजिन हैं. एक दौर में दोनों के पिता विनोद (नसीरुद्दीन शाह) और जितेश (रजत कपूर) साथ में मुंबई में बिजनेस करते थे, लेकिन अचानक एक दिन विनोद अपनी बेटी और पत्नी के साथ नासिक शिफ्ट हो जाता है और इस तरह दोनों कजिंस भी बिछड़ जाती हैं. वो सालों बाद अपने अपने बॉय फ्रेंड्स के साथ मिलती हैं. टिया का बॉयफ्रेंड जेन (सिद्धांत), रियलिटी सेक्टर में बिजनेसमैन है तो लिव इन में रह रही अलीशा का बॉयफ्रेड करन (धैर्य) एक संघर्षरत लेखक है, जो एक एड एजेंसी से अपनी नौकरी छोड़कर किताब लिखकर कुछ चमत्कार करने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में जेन के यॉट पर छुट्टियां मनाने आई बॉय फ्रेंड के खर्चे भी उठा रही अलीशा उसकी फ्लर्टिंग के जाल में फंस जाती है. वो भी अपने योगा एप में कोई इन्वेस्टर चाहती थी.रोमांस से क्राइम थ्रिलर की ओर बढ़ती मूवीमूवी फर्स्ट हाफ में यहीं ठहर जाती है, लगता है एक रोमांटिक सी मूवी होगी, जिसमें बस स्मूच, किसेज, बोल्ड सींस ही दिख रहे होते हैं. फिर अलीशा का लालच, चारों का अपने अपने पार्टनर से झगड़ा, देखकर लग रहा था कि दोनों के पार्टनर बदल जाएंगे. लेकिन फिर कहानी में लालच का स्तर इतना ऊंचा दिखा दिया जाता है कि सारी रोमांटिकनेस गायब हो जाती है और एक हत्या का प्लान बनता है. चारों में से एक ही हत्या कहानी को ऐसा मोड़ देती है कि अतीत से अलीशा की मां की आत्महत्या के राज से भी परदा उठता है तो कहानी का भंवर मूवी को एक क्राइम थ्रिलर बना देता है. लेकिन आखिर में खुद से लड़कर, अपनों से लड़कर, सब कुछ खोकर लेकिन शांति की राह पाकर अलीशा की जिंदगी कैसे भंवर की गहराइयों से बाहर आकर किनारे पर आती है, सिखाता है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है यानी गीता ज्ञान.डायरेक्टर से कहां हुई गलती चूंकि दीपिका पादुकोण, रजत कपूर, नसीरुद्धीन शाह जैसे कलाकार हैं तो उनकी एक्टिंग के स्तर ने मूवी का स्तर बनाए रखा है. अनन्या को अभी भी काफी कुछ सीखना है. हालांकि ये मूवी 2 घंटे में आसानी से सिमट सकती थी. डायरेक्टर ने यही दो गलतियां कीं जिसके चलते बहुत लोगों को ये मूवी पटरी से उतरी लग सकती है. एक फिल्म के फर्स्ट हाफ को जरुरत से ज्यादा धीमा रखना और फिर दूसरे हाफ को क्राइम थ्रिलर जैसा तेज बनाना, दूसरे मूवी में दीपिका को ज्यादा तबज्जो देने के चलते मूवी को कम से कम आधे घंटे ज्यादा बनाना. हां अनन्या के हिस्से में उतने अच्छे सींस भी नहीं आए हैं.दीपिका हैं फिल्म की जानजरूरत से ज्यादा बड़े स्टार को तबज्जों देने से डायरेक्टर उसकी बॉडी, उसके सींस को ज्यादा समय देने के चक्कर में बाकी मूवी पर ध्यान नहीं देते. तभी तो अगर इस मूवी से दीपिका को निकाल दिया जाए तो बाकी कुछ नहीं बचता है. मूवी का एक और निगेटिव पहलू है और वो है डायलॉग्स, यूथफुल मूवी बनाने के लिए जानी जाती हैं शकुन बत्रा, लेकिन किसी भी डायलॉग या सीन में आपको गलती से भी हंसी आ जाए, कुछ फनी सा हो, ऐसा कर पाने में वो नाकाम रही हैं. गाने और बैकग्राउंड म्यूजिक भी समय काटने के लिए है या फिल्म को और इमोशनल, रोमांटिक बनाने के लिए है, सो आप मूवी देखते वक्त उसे नोटिस नहीं कर पाते हैं. थिएटर्स में रिलीज होतो तो मिलती निराशाकुल मिलाकर दीपिका ने अपने कंधों पर ये मूवी उठाने की कोशिश तो की है, पति रणवीर सिंह की एक दो मूवीज की तरह खूब बोल्ड सींस भी दिए हैं. लेकिन उनकी ये मेहनत बाकी मोर्चों पर कमजोरी के चलते पूरी तरह सफल होती नहीं दिख रही है. हां, दीपिका फैंस हैं तो ये मूवी आपके लिए ही है. ऐसे में बेहतर बस यही है कि ओटीटी पर रिलीज होने से एक फिक्स रकम तो मिल जाएगी, वरना थिएटर्स में शायद इतने की भी उम्मीद ना होती.