देश / मुस्लिम पुरुषों के बहुविवाह के खिलाफ जनहित याचिका पर केंद्र को दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने उस जनहित याचिका पर केंद्र का रुख जानना चाहा, जिसमें एक मुस्लिम पति द्वारा उसकी पत्नी अथवा पत्नियों की बिना लिखित अनुमति के द्विविवाह या बहुविवाह (Polygamy) करने को असंवैधानिक एवं अवैध घोषित किए जाने का अनुरोध किया गया है। इस याचिका को एक महिला की तरफ से दायर की गई है।

Vikrant Shekhawat : May 02, 2022, 10:56 PM
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने उस जनहित याचिका पर केंद्र का रुख जानना चाहा, जिसमें एक मुस्लिम पति द्वारा उसकी पत्नी अथवा पत्नियों की बिना लिखित अनुमति के द्विविवाह या बहुविवाह (Polygamy) करने को असंवैधानिक एवं अवैध घोषित किए जाने का अनुरोध किया गया है। इस याचिका को एक महिला की तरफ से दायर की गई है।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायामूर्ति नवीन चावला की पीठ ने याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिका में मुस्लिम पति द्वारा द्विविवाह या बहुविवाह को विनियमित करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया।

साथ ही कहा गया कि इसके लिए पत्नी की लिखित अनुमति ली जाए और पति द्वारा न्यायिक अधिकारी से एक प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाए, जिसमें यह सत्यापित हो कि वह सभी पत्नियों की समान रूप से जिम्मेदारी उठाने में सक्षम है।

इसके अलावा, निकाह से पहले वह पूर्व में हुए विवाह के बारे में पूरी जानकारी घोषित करे। याचिकाकर्ता ने मुस्लिम शादियों का अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराए जाने के लिए भी कानून बनाने का अनुरोध किया है।

याचिका कर्ता रेश्मा ने याचिका में कहा कि शरिया कानून में कहा गया है कि कोई भी मुस्लिम व्यक्ति को यह घोषित करना होगा कि वह अपनी सभी पत्नियों को समान रूप से रखेगा। जिन देशों में इस शरिया कानून का पालन होता है वहां भी विषम परिस्थितियों में ही मुस्लिम व्यक्ति को दूसरी शादी की इजाजत दी जाती है।

महिला ने याचिका में बताया कि उसका निकाह 2019 में मोहम्मद शोएब खान से हुआ था। उसका एक बच्चा भी है। महिला ने कहा कि उसके पति ने उसे तीन बार तलाक क