दिल्ली / दिल्ली पुलिस ने दवा की जमाखोरी के मामले में गंभीर व श्रीनिवास को दी क्लीन चिट

कोविड-19 संबंधी दवाओं की कथित कालाबाज़ारी के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा हाईकोर्ट को दी गई अंतरिम रिपोर्ट में बीजेपी सांसद गौतम गंभीर व युवा कांग्रेस नेता श्रीनिवास बी.वी. समेत अन्य को क्लीन चिट मिली है। बकौल पुलिस, इन लोगों ने बिना पैसे लिए वाकई लोगों की मदद की। पुलिस ने 'आप' विधायक दिलीप पांडेय से भी पूछताछ की है।

Vikrant Shekhawat : May 17, 2021, 01:34 PM
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान लोगों की जान बचाने के लिए आगे आए नेताओं को जमाखोरी के आरोपों से राहत मिलती दिख रही है। दिल्ली पुलिस ने ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, कोरोना मरीजों के इलाज में काम आने वाली दवा रेमडेसिविर, फैबी फ्लू व अन्य दावओं की जमाखोरी करने के मामले में नेताओं के खिलाफ शुरू की गई जांच की स्थिति रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश कर दी है।

जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ के समक्ष पेश रिपोर्ट में पुलिस ने कहा है कि अब तक जांच से जो तथ्य समाने आएं है, उससे जाहिर होता है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता महामारी में लोगों की बिना किसी भेदभाव के मदद कर रहे थे। हालांकि पुलिस ने कहा है कि अभी मामले की जांच जारी है और इसे पूरा करने के लिए न्यायालय से छह सप्ताह का वक्त देने की मांग की है।

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से अधिवक्ता संजय लॉ ने यह रिपोर्ट पेश की है। स्थिति रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने अब तक पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद व पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर, आप विधायक दिलीप पांडेय, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व विधायक अनिल चौधरी, युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. सहित 9 नेता लोगों से की गई पूछताछ व उनके बयान के आधार पर यह रिपोर्ट पेश की है।

इसमें पुलिस ने कहा है कि अब तक हुई जांच से जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार विभिन्न रानीतिक दलों के नेता महमारी में ऑक्सीजन, दवा, चिकित्सा उपकरण, अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराने/बेड दिलाने आदि के जरिए जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे थे। जांच से यह भी साफ है कि इसके लिए किसी भी नेता ने लोगों से पैसे नहीं लिए और अपनी स्वेच्छा से बिना किसी भेदभाव के लोगों की महात्रासदी में मदद की।

अधिवक्ता संजय लॉ के माध्यम से दाखिल इस रिपोर्ट में पुलिस ने कहा है कि अभी जांच जारी है और इसे पूरा करने के लिए छह सप्ताह का वक्त मांगा। सभी नेताओं ने पुलिस को दिए बयान में कमोबेश यही बताया कि बतौर जनप्रतिनिधि वे, इस महामारी में लोगों की स्वेच्छा से मदद कर रहे थे। 

उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर विचार करते हुए 4 मई को दिल्ली पुलिस को नेताओं पर लगे जमाखोरी के आरोपों की जांच करने और रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। गैर सरकारी संगठन हृदृय फाउंडेशन के अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज दीपक सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। इस मामले में सुनवाई 17 मई को होगी।

क्या है मांग

अधिक्ता विराग गुप्ता के माध्यम से दाखिल याचिका में नेताओं द्वारा कोरोना संक्रमण के इलाज में व्याप्त तौर पर इस्तेमाल होने वाली दवा रेमडेसिविर खरीदने और बांटने के मामले में मुकदमा दर्ज करने और इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई है। गुप्ता ने याचिका में कहा है कि अलग-अलग राजनीतिक दल के नेता ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स कानून के तहत आवश्यक अनुमति के बगैर बड़ी मात्रा में दवाइयां कैसे खरीद पा रहे हैं, जबकि आम जनता को यह दवा नहीं मिल रही है। साथ ही कहा है कि अपने राजनीतिक लाभ के लिए दवाइयां जमा कर बांट रहे हैं, जबकि कुछ लोगों को दवाइयां नहीं मिल रहा है, ऐसे में यह गंभीर प्रकृति का अपराध है और इससे देशभर में कोरोना के मरीजों को समय से दवा नहीं मिलने के चलते परेशानी, यहां तक की जान चली जा रही है। 

क्या था आदेश

उच्च न्यायालय ने 4 मई को नेताओं द्वारा कोरोना संक्रमण के इलाज में व्याप्त तौर पर इस्तेमाल होने वाली दवा रेमडेसिविर व अन्य दवाइयां खरीदने और वितरित करने के मामले की जांच करने का आदेश दिया है। हालांकि न्यायालय ने फिलहाल मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने मामले की जांच दिल्ली पुलिस को करने का आदेश दिया है। 

पीठ ने कहा कि इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में आने वाली घटनाओं को देखते हुए हम याचिकाकर्ता को अपनी शिकायतें दिल्ली पुलिस आयुक्त के समक्ष पेश करने का निर्देश देते हैं। साथ ही कहा कि पुलिस आयुक्त इसकी जांच कराने के बाद शिकायतकर्ता को इसका जवाब देंगे। पीठ ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि यदि जांच के दौरान किसी अपराध का पता चलता है तो दिल्ली पुलिस मुकदमा दर्ज कर समुचित कार्रवाई करे।