Vikrant Shekhawat : Sep 13, 2021, 07:25 PM
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बीच एक पुरानी बीमारी डरा रही है। डेंगू, मलेरिया और चिकुनगुनिया का खतरा बढ़ता जा रहा है। दिल्ली में अबतक डेंगू के 150 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इस साल सितंबर महीने के दौरान ही दिल्ली में डेंगू के 34 मामले सामने आए हैं। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी डेंगू के मामले बढ़े हैं। यूपी के कई जिलों में रहस्यमयी बुखार ने हजारों को चपेट में ले रखा है।डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां मच्छरों के काटने से फैलती हैं। मगर हर मच्छर के काटने पर टेंशन लेने की जरूरत नहीं। बुखार आने पर भी घबराएं नहीं। डेंगू में सिर्फ एक प्रतिशत मामले ही खतरनाक होते हैं, इस बीमारी को घर में भी मैनेज किया जा सकता है। जब तक डॉक्टर न कहे, अस्पताल में भर्ती न हों। डेंगू से बचने का क्या तरीका है, इलाज कैसे होता है, एक्सपर्ट्स से बात कर बता रहे हैं प्रियंका सिंह और अमित मिश्रा ...कैसे पहचानें डेंगू वाला बुखार?डेंगू का वायरस मूल रूप से चार तरह का होता है। डेन1, डेन2, डेन3 और डेन4 सेरोटाइप।डेन1 और डेन3 सेरोटाइप का डेंगू डेन2 सेरोटाइप और डेन4 सेरोटाइप के मुकाबले कम खतरनाक होता है।डेंगू वाले मच्छर के किसी इंसान को काटने के बाद डेंगू का वायरस इंसान के ब्लड में 2-7 दिनों तक रहता है।डेंगू बुखार के लक्षण मच्छर के काटने के 4-7 दिनों में दिखते हैं। कभी-कभी इसमें 14 दिनों का वक्त भी लगता है।बुखार अक्सर तेज होता है और दिन में 4-5 बार आता है।डेंगू बुखार तकरीबन 7-10 दिनों तक बना रहता है और अपने आप ठीक हो जाता है। बुखार से प्रभावित कुल लोगों में से 10 फीसदी को ही हॉस्पिटल ले जाने की जरूरत होती है।डेंगू के सामान्य लक्षण हैं: बुखार, तेज़ बदन दर्द, सिर दर्द खास तौर पर आंखों के पीछे, शरीर पर दाने आदि।डेंगू ऐसा भी हो सकता है कि इसके लक्षण न उभरें। ऐसे मरीज़ का टेस्ट करने पर डेंगू पॉजिटिव आता है लेकिन वह खुद-ब-खुद बिना किसी इलाज़ के ठीक हो जाता है।दूसरी तरह का डेंगू बीमारी के लक्षणों वाला होता है। यह भी तीन किस्म का होता है: क्लासिकल डेंगू फीवर, डेंगू हेमरेजिक फीवर और डेंगू शॉक सिंड्रोम।क्लासिकल डेंगू फीवर एक नॉर्मल वायरल फीवर है। इसमें तेज बुखार, बदन दर्द, तेज सिर दर्द, शरीर पर दाने जैसे लक्षण दिखते हैं। यह डेंगू 5-7 दिन के सामान्य इलाज से ठीक हो जाता है।डेंगू हेमरेजिक फीवर थोड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। इसमें प्लेटलेट और W.B.C. की संख्या कम होने लगती है। नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उलटी में खून आना या स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के चकत्ते जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।डेंगू शॉक सिंड्रोम में मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है, उसका बीपी और नब्ज एकदम कम हो जाती है और तेज बुखार के बावजूद स्किन ठंडी लगती है।