Vikrant Shekhawat : Nov 28, 2021, 08:03 PM
देश में अभी 5G शुरू करने की तैयारी चल रही है, लेकिन इसी बीच उसके अगले संस्करण 6G की चर्चा भी तेज हो गई है. इस बारे में कोई और नहीं बल्कि आईटी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णण ने जानकारी दी है. अश्विनी वैष्णव ने देश में ही बने 6G टेक्नोलॉजी की बात की है. उनका कहना है कि यह हाईटेक टेक्नोलॉजी साल 2023 के अंत में या 2024 के शुरू में लॉन्च हो सकती है.केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक वेबीनार में 6G को बनाने और लॉन्चिंग के बारे में बताया. उनके मुताबिक देश में 6G पर काम बहुत पहले शुरू हो गया है और इसके इस्तेमाल हम 2024 तक या 2023 के अंत तक देख सकते हैं. केंद्रीय मंत्री फाइनेंशियल टाइम्स और दि इंडियन एक्सप्रेस के एक वेबीनार में बोल रहे थे.क्या कहा अश्विनी वैष्णव नेइस आयोजन में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, 6G बनाने का काम पहले ही शुरू हो चुका है. पहले से निर्धारित समयावधि में इसे पूरा होते हुए देख सकते हैं. अभी हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं. इसके लिए हमारे पास देश में ही बने टेलीकॉम सॉफ्टवेयर होंगे जिनपर यह टेक्नोलॉजी चलेगी. टेलीकॉम के उपकरण भी देश में ही बनेंगे और यह देसी टेलीकॉम नेटवर्क पूरी दुनिया को अपनी सेवा दे सकेगा. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री वैष्णव का यह बयान छपा है.कब पूरी होगी 5G की नीलामीकेंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि 5G टेक्नोलॉजी की लॉन्चिंग भी पूरी तैयारी में है. अगले साल की तीसरी तिमाही तक 5G टेक्नोलॉजी का कोर सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया जाएगा. वैष्णव ने 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि नीलामी के लिए ट्राई ने परामर्श करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जो अगले साल फरवरी-मार्च तक संपन्न हो जाएगी. 5G की नीलामी प्रक्रिया 2022 की दूसरी तिमाही में शुरू होगी. टेलीकॉम सेक्टर में कुछ मामले वर्षों से लंबित हैं जिनमें सुधार और तेजी लाने के लिए सरकार सुधारों को लागू करने पर जोर दे रही है.बेस प्राइस घटाने का अनुरोधदूसरी ओर, ‘सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने सरकार से 5G स्पेक्ट्रम नीलामी की बेस प्राइस में आधे से भी अधिक कटौती करने का अनुरोध किया है. हालांकि, सीओएआई ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया. स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी प्रक्रिया अप्रैल-जून 2022 की तिमाही में शुरू होने की उम्मीद है. इसके पहले मार्च, 2021 में हुई पिछली स्पेक्ट्रम नीलामी के समय सरकार ने सात बैंड में 2308.80 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की पेशकश की थी जिसका आरक्षित मूल्य करीब चार लाख करोड़ रुपये था.यह अलग बात है कि प्रीमियम श्रेणी के 700 मेगाहर्ट्ज और 2,500 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम बिक ही नहीं पाए. ज्यादा बेस प्राइस होने से दूरसंचार ऑपरेटर इससे दूर ही रहे. सरकार पिछली बार 3.3-3.6 गीगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी के स्पेक्ट्रम की नीलामी भी नहीं कर सकी थी क्योंकि इसे समय पर खाली नहीं कराया जा सका था. इसके अलावा इस बैंड की बेस प्राइस भी 5G सेवाओं के लिए खासी महंगी बताई गई थी.