दुनिया / हुआवेई सहित 20 कंपनियों को चलाती है चीनी सेना, बहुत बड़ा झटका देने की तैयारी में अमेरिका

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने ऐसी 20 कंपनियों की लिस्ट तैयार की है, जिनपर या तो चीनी सेना का नियंत्रण है या चीनी सेना का स्वामित्व है। इसमें टेलीकॉम सेक्टर की दिग्गज कंपनी हुआवेई और वीडियो सर्विलांस कंपनी हिकविजन शामिल है। माना जा रहा है कि इस लिस्ट में शामिल कंपनियों पर अमेरिकी सरकार प्रतिबंध लगा सकती है।

Live Hindustan : Jun 25, 2020, 04:09 PM
वाशिंगटन | अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने ऐसी 20 कंपनियों की लिस्ट तैयार की है, जिनपर या तो चीनी सेना का नियंत्रण है या चीनी सेना का स्वामित्व है। इसमें टेलीकॉम सेक्टर की दिग्गज कंपनी हुआवेई और वीडियो सर्विलांस कंपनी हिकविजन शामिल है। माना जा रहा है कि इस लिस्ट में शामिल कंपनियों पर अमेरिकी सरकार प्रतिबंध लगा सकती है। 

अमेरिका ने हुआवेई और हिकविजन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक बताते हुए पिछले साल ही ब्लैक लिस्ट कर दिया था और सहयोगी देशों के साथ मुहिम चलाई थी कि हुआवेई को 5जी नेटवर्क से अलग रखा जाए। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (DOD) ने अमेरिका में कारोबार कर रही 20 ऐसी कंपनियों की लिस्ट तैयार की है, जिनको चीनी सेना का समर्थन प्राप्त है।

DOD के इस लिस्ट में चाइना मोबाइल कॉम्युनिकेशंस ग्रुप और चाइना टेलीकॉम कॉर्प, विमान निर्माता कंपनी एविएशन इंडस्ट्री कॉर्प ऑप चाइना शामिल है। इसमें चाइना रेलवे कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (CRRC), चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉर्प भी शामिल है। CRRC पैंसेंजर ट्रेन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। डिफेंस डिपार्टमेंट ने 1999 के एक कानून के तहत अमेरिका में कारोबार कर रही चीन की उनक कंपनियों सूचीबद्ध किया है, जिनका नियंत्रण या स्वामित्व पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के पास है। 

कानून के मुताबिक पेंटागन की इस सूची में शामिल कंपनियों पर राष्ट्रपति प्रतिबंध लगा सकते हैं और इन कंपनियों की सभी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है। हुआवेई, चाइना मोबाइल, चाइना टेलीकॉम, एवीआईसी और वॉशिंगटन में चाइनीज दूतावास ने इस मुद्दे पर बोलने से इनकार किया है। 

हिकविजन ने आरोपों को आधारहीन बताते हुए कहा कि यह चाइनीज सेना की कंपनी नहीं है और ना ही कंपनी ने कभी सेना के लिए कोई रिसर्च या डिवेलपमेंट किया है। कंपनी ने कहा कि वह मुद्दे के समाधान के लिए अमेरिकी सरकार से बात करेगी। वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमेरिकी की दोनों राजनीतिक पार्टियों के सांसदों ने पेंटागन पर इस लिस्ट को प्रकाशित करने का दबाव बढ़ा दिया है। सांसदों ने अमेरिकी राष्ट्रपति से इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है। वॉइट हाउस की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

माना जा रहा है कि इस लिस्ट से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव और अधिक बढ़ेगा। इससे पहले ट्रेड वॉर और कोरोना वायरस महामारी को लेकर दोनों देशों में टकराव रहा है। हांगकांग को लेकर अमेरिकी रुख से भी चीन परेशान है। चाइना में उइगर मुस्लिमों पर जुल्म को लेकर चाइनीज अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने वाले एक आदेश पर राष्ट्रपति ट्रंप ने दस्तखत किया तो ड्रैगन ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी थी।