US Tariff War / डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ ​हथियार चल दिया, भारत क्या सहने को है तैयार?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 26% टैरिफ लगाया, जो यूरोप, जापान और दक्षिण कोरिया से अधिक है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की व्यापारिक रणनीति और निर्यात विविधीकरण इस प्रभाव को सीमित कर सकते हैं।

US Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 26% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया से अधिक है। यह कदम भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में एक नया तनाव जोड़ता है। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके अच्छे व्यक्तिगत संबंधों के बावजूद, यह निर्णय अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए लिया गया है।

टैरिफ विवाद का कारण

भारत पर लगाए गए उच्च टैरिफ को लेकर ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर अधिक कर वसूलता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है। उदाहरण के लिए, भारत अमेरिकी व्हिस्की और हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिलों पर भारी कर लगाता है। वहीं, भारत ने अपनी टैरिफ प्रणाली में कई बदलाव किए हैं और अमेरिकी निर्यात पर करों में कटौती भी की है, लेकिन ट्रंप प्रशासन इससे संतुष्ट नहीं है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से भारत के कई निर्यात क्षेत्रों को झटका लग सकता है। कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग उत्पाद और रत्न-आभूषण उद्योग विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि:

  • भारतीय निर्यात प्रतिस्पर्धात्मक रूप से कमजोर हो सकता है।

  • निवेशकों का विश्वास घट सकता है।

  • अमेरिका के साथ व्यापार असंतुलन बढ़ सकता है।

हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के व्यापारिक दृष्टिकोण और विविधीकरण रणनीतियों के चलते इस प्रभाव को आंशिक रूप से कम किया जा सकता है।

ट्रेड डील और भविष्य की संभावनाएं

भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन ट्रंप प्रशासन के टैरिफ निर्णय ने इस योजना को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

टैरिफ विवाद के बीच, भारत अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता जारी रखेगा और नई रणनीतियों के माध्यम से अपने निर्यात को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।