AMAR UJALA : Aug 23, 2020, 09:17 AM
Delhi: पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के अडिग रुख के कारण कोई गतिविधि नहीं कर पा रहे चीन ने अब दक्षिण चीन सागर में अपना हस्तक्षेप और बढ़ा दिया है। वहीं वियतनाम ने चीन के इस कदम के बारे में भारत को जानकारी दी है। वियतनाम ने बताया कि कीमती जल संसाधनों से भरपूर दक्षिणी चीन सागर में कई देशों की तरफ से संयम की अपील के बावजूद चीन लगातार बड़ी संख्या में अपने युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की तैनाती कर सैन्य उपस्थिति को बढ़ा रहा है।
वियतनामी राजदूत फाम सान चाऊ ने विदेश सचिव हर्ष वर्धन शृंगला के साथ शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाया। बैठक से जुड़े रहे एक शख्स के मुताबिक, वियतनामी राजदूत ने दक्षिण चीन सागर के ताजा हालातों की जानकारी दी। इसमें वियतनामी समुद्र का वह इलाका भी शामिल है, जहां वियतनामी कंपनियों के साथ मिलकर भारतीय सरकारी कंपनी ओएनजीसी तेल की खोज का प्रोजेक्ट चला रही है।
हालांकि विदेश मंत्रालय या वियतनामी दूतावास की तरफ से इस बैठक का कोई अधिकृत ब्योरा जारी नहीं किया गया है। बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक ट्वीट के जरिये महज भारत के साथ मजबूत रिश्ते और समग्र रणनीतिक साझेदारी रखने वाले वियतनाम के राजदूत और विदेश सचिव की मुलाकात की जानकारी दी थी। चीन मानता है समूचे दक्षिण चीन सागर को अपनाबता दें कि चीन समूचे दक्षिण चीन सागर पर अपना अधिकार होने का दावा करते हुए इस प्रोजेक्ट पर एतराज जताता रहा है। दक्षिण चीन सागर को हाइड्रोकार्बन उत्पादों के लिहाज से खाड़ी देशों के बराबर माना जाता है। हालांकि वियतनाम, फिलीपींस और ब्रुनेई समेत कई आसियान सदस्य देश चीन के दावे को खारिज करते रहे हैं।चीन 2014 में वियतनामी दावे वाले पारासल द्वीप पर तेल की खोज के लिए खनन करने का प्रयास कर चुका है। इसके चलते वियतनाम में चीन विरोधी दंगे हुए थे, जिनमें कई चीनी फैक्ट्रियां नष्ट कर दी गई थीं। भारत की व्यापारिक आवाजाही का 55 फीसदी हिस्साभारत 1982 के समुद्री कानून पर हुए समझौते समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत दक्षिण चीन सागर में आवाजाही और संसाधनों के उपयोग का समर्थन करता रहा है। भारत के लिए दक्षिण चीन सागर महज वहां भारतीय कंपनियों के प्रोजेक्ट चलने के कारण ही अहम नहीं हैं, बल्कि भारतीय व्यापार का 55 फीसदी हिस्सा भी इसी के जरिये इधर से उधर जाता रहा है।
इसी कारण चीन की तरफ से वियतनाम के साथ तेल समझौते पर किए गए एतराज को भारत ने ठुकरा दिया था। अमेरिका ने भी चीनी सेना की हरकतों को देखते हुए विवादित द्वीप के करीब अपना सैन्य युद्धपोत तैनात किया है।
वियतनामी राजदूत फाम सान चाऊ ने विदेश सचिव हर्ष वर्धन शृंगला के साथ शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाया। बैठक से जुड़े रहे एक शख्स के मुताबिक, वियतनामी राजदूत ने दक्षिण चीन सागर के ताजा हालातों की जानकारी दी। इसमें वियतनामी समुद्र का वह इलाका भी शामिल है, जहां वियतनामी कंपनियों के साथ मिलकर भारतीय सरकारी कंपनी ओएनजीसी तेल की खोज का प्रोजेक्ट चला रही है।
हालांकि विदेश मंत्रालय या वियतनामी दूतावास की तरफ से इस बैठक का कोई अधिकृत ब्योरा जारी नहीं किया गया है। बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक ट्वीट के जरिये महज भारत के साथ मजबूत रिश्ते और समग्र रणनीतिक साझेदारी रखने वाले वियतनाम के राजदूत और विदेश सचिव की मुलाकात की जानकारी दी थी। चीन मानता है समूचे दक्षिण चीन सागर को अपनाबता दें कि चीन समूचे दक्षिण चीन सागर पर अपना अधिकार होने का दावा करते हुए इस प्रोजेक्ट पर एतराज जताता रहा है। दक्षिण चीन सागर को हाइड्रोकार्बन उत्पादों के लिहाज से खाड़ी देशों के बराबर माना जाता है। हालांकि वियतनाम, फिलीपींस और ब्रुनेई समेत कई आसियान सदस्य देश चीन के दावे को खारिज करते रहे हैं।चीन 2014 में वियतनामी दावे वाले पारासल द्वीप पर तेल की खोज के लिए खनन करने का प्रयास कर चुका है। इसके चलते वियतनाम में चीन विरोधी दंगे हुए थे, जिनमें कई चीनी फैक्ट्रियां नष्ट कर दी गई थीं। भारत की व्यापारिक आवाजाही का 55 फीसदी हिस्साभारत 1982 के समुद्री कानून पर हुए समझौते समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत दक्षिण चीन सागर में आवाजाही और संसाधनों के उपयोग का समर्थन करता रहा है। भारत के लिए दक्षिण चीन सागर महज वहां भारतीय कंपनियों के प्रोजेक्ट चलने के कारण ही अहम नहीं हैं, बल्कि भारतीय व्यापार का 55 फीसदी हिस्सा भी इसी के जरिये इधर से उधर जाता रहा है।
इसी कारण चीन की तरफ से वियतनाम के साथ तेल समझौते पर किए गए एतराज को भारत ने ठुकरा दिया था। अमेरिका ने भी चीनी सेना की हरकतों को देखते हुए विवादित द्वीप के करीब अपना सैन्य युद्धपोत तैनात किया है।