Vikrant Shekhawat : Jul 07, 2021, 07:12 AM
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के सीमाओं पर पिछले सात महीनों से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अब आंदोलन को तेज करने का निर्णय किया है।इसके तहत किसान 19 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान 22 जुलाई से प्रतिदिन संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे।रविवार को कुंडली बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इसका निर्णय किया गया है। इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है।क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।किसान संगठनों की सरकार के साथ विफल रही सभी 11 वार्ताएंइस मामले में सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ताएं भी हुई है, लेकिन किसानों के कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहने के कारण कोई सामाधान नहीं निकला।खास बात यह रही कि सरकार ने किसानों को कानूनों को 18 महीने तक लागू नहीं करने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसानों ने 22 जनवरी को आखिरी वार्ता में कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग करते हुए उसे खारिज कर दिया।बढ़ती महंगाई के खिलाफ 8 जुलाई को किया जाएगा देशव्यापी प्रदर्शनसंयुक्त किसान मोर्चा ने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों के खिलाफ 8 जुलाई को देशव्यापी विरोध का भी आह्वान किया। मोर्चा ने लोगों से सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर अपने वाहन पार्क करने की अपील की है।इसी तरह किसान नेताओं ने लोगों से गैस सिलेंडर अपने साथ लाने तथा 7-8 जुलाई की रात 12 बजे आठ मिनट तक अपने वाहनों का हॉर्न बजाने की भी अपील की है।