Vikrant Shekhawat : Jul 18, 2022, 08:26 AM
राष्ट्रपति चुनाव 2022 (President Election 2022) के लिए वोटिंग आज (सोमवार को) सुबह 10 बजे से शुरू होकर शाम 5 बजे तक होगी. एनडीए (NDA) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) चुनौती दे रहे हैं. वोटिंग से पहले ये जान लीजिए कि राष्ट्रपति चुनाव (President Election) में वोटिंग किस प्रक्रिया के तहत होती है? राष्ट्रपति चुनाव में ईवीएम (EVM) का इस्तेमाल क्यों नहीं होता है और इसके अलावा वोटिंग के लिए सांसदों को हरा और विधायकों को गुलाबी मतपत्र क्यों दिया जाता है? इसके पीछे की वजह क्या है?
राष्ट्रपति चुनाव में इस प्रक्रिया के तहत होती है वोटिंगजान लें कि राष्ट्रपति चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के मुताबिक एकल संक्रमणीय मत के जरिए होता है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के मुताबिक एकल संक्रमणीय मत के जरिए से, हर निर्वाचक उतनी ही वरीयताएं अंकित कर सकता है, जितने कैंडिडेट चुनाव लड़ रहे हैं. ये वरीयताएं निर्वाचक द्वारा उम्मीदवारों के लिए मतपत्र के कॉलम 2 में दी गई जगह पर उम्मीदवारों के नाम के सामने वरीयता क्रम में, नंबर 1,2,3, 4, 5 और इसी तरह रखकर चिह्नित की जाती हैं.
ईवीएम का इस्तेमाल राष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं होता?गौरतलब है कि इसी कारण राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में ईवीएम का उपयोग नहीं किया जाता है. दरअसल ईवीएम एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जिसमें वो लोकसभा और विधानसभा जैसे प्रत्यक्ष चुनावों में वोटों को जमा करने का काम करती है. वोटर अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने वाले बटन को दबा देते हैं और जो सबसे ज्यादा वोट पाता है उसे विजयी घोषित किया जाता है.
सांसदों-विधायकों को क्यों दिए जाते हैं अलग रंग के मतपत्र?निर्वाचन आयोग के निर्देश के मुताबिक, राष्ट्रपति चुनाव के तहत वोटिंग के दौरान सांसदों और विधायकों को अलग-अलग रंग का मतपत्र दिया जाता है. सांसदों को हरा और विधायकों को गुलाबी रंग का मतपत्र मिलता है. ऐसा इसलिए किया जाता है, जिससे काउंटिंग के दौरान निर्वाचन अधिकारियों को वोटों की गिनती करने में आसानी हो.
बता दें कि वोटिंग की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचन अधिकारी और वोटर्स को अपने मतपत्रों पर निशान लगाने के लिए बैंगनी स्याही वाला एक खास तरह का पेन उपलब्ध कराया है.
राष्ट्रपति चुनाव में इस प्रक्रिया के तहत होती है वोटिंगजान लें कि राष्ट्रपति चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के मुताबिक एकल संक्रमणीय मत के जरिए होता है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के मुताबिक एकल संक्रमणीय मत के जरिए से, हर निर्वाचक उतनी ही वरीयताएं अंकित कर सकता है, जितने कैंडिडेट चुनाव लड़ रहे हैं. ये वरीयताएं निर्वाचक द्वारा उम्मीदवारों के लिए मतपत्र के कॉलम 2 में दी गई जगह पर उम्मीदवारों के नाम के सामने वरीयता क्रम में, नंबर 1,2,3, 4, 5 और इसी तरह रखकर चिह्नित की जाती हैं.
ईवीएम का इस्तेमाल राष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं होता?गौरतलब है कि इसी कारण राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में ईवीएम का उपयोग नहीं किया जाता है. दरअसल ईवीएम एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जिसमें वो लोकसभा और विधानसभा जैसे प्रत्यक्ष चुनावों में वोटों को जमा करने का काम करती है. वोटर अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने वाले बटन को दबा देते हैं और जो सबसे ज्यादा वोट पाता है उसे विजयी घोषित किया जाता है.
सांसदों-विधायकों को क्यों दिए जाते हैं अलग रंग के मतपत्र?निर्वाचन आयोग के निर्देश के मुताबिक, राष्ट्रपति चुनाव के तहत वोटिंग के दौरान सांसदों और विधायकों को अलग-अलग रंग का मतपत्र दिया जाता है. सांसदों को हरा और विधायकों को गुलाबी रंग का मतपत्र मिलता है. ऐसा इसलिए किया जाता है, जिससे काउंटिंग के दौरान निर्वाचन अधिकारियों को वोटों की गिनती करने में आसानी हो.
बता दें कि वोटिंग की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचन अधिकारी और वोटर्स को अपने मतपत्रों पर निशान लगाने के लिए बैंगनी स्याही वाला एक खास तरह का पेन उपलब्ध कराया है.