Gold Rate History in India | Business Desk | जब भी मुसीबत या आपदा आती है तो मार्केट धड़ाम से नीचे गिरता है। परन्तु सोना एक ऐसी धातु है जो आपदा के समय में अधिक चमकती है। लॉकडाउन के वक्त की गई उम्मीद के मुताबिक सोना और चांदी की कीमत में लगातार उछाल आ रहा है। आज की तरीख में सोने की दर ऑल टाइम हाई है। आज सोने का भाव करीब 55 हजार रुपए प्रति दस ग्राम के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। बताया जा रहा है यदि यही हालात रहा तो दीवाली तक इसकी दर 56 हजार तक पहुंच जाएगी। भारत में आर्थिक मंदी के दौर में लोग सोने को ही श्रेष्ठ इन्वेस्ट मानते हैं। वहीं दुनियाभर में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले के बाद सोने और चांदी के भाव में काफी उछाल आया है। कहा जा रहा है डॉलर में जैसे-जैसे कमजोरी आएगी, महंगी धातुओं की कीमत में तेजी आएगी। परन्तु आज हम बात कर रहे हैं कि बीती शताब्दी में वर्ष वार सोने के दाम क्या रहे। किस वर्ष में सोना कितना महंगा हुआ और उसकी कितनी दर रही। गोल्ड रेट को आपने पसंद के वर्ष के अनुसार देख सकते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि 1925 में मात्र 18 रुपए 75 पैसे में दस ग्राम सोना मिल जाता था। यानि 1875 रुपए का एक किलो। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में उस वक्त रुपए की स्थिति कितनी मजबूत रही होगी। यह दर लगभग 1931 तक कायम रही। यही नहीं देश जब आजाद हुआ 1947 में तब 88 रुपए 62 का दस ग्राम सोना मिला करता था। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में जब जब आर्थिक या राजनैतिक आपातकाल और युद्ध की स्थिति आई तब—तब गोल्ड की रेट बढ़ी है। नीचे दी गई सारणी में आप बीते 95 वर्ष की दर को वर्ष में अधिकतम के अनुसार देख सकते हैं। यह डाटा डाक विभाग श्रीनगर कश्मीर से साभार लिया गया है।
सोना है विश्वास का प्रतीक
सोना खानों से निकाली जाने वाली सर्वाधिक मूल्यवान धातुओं में से एक है और यह विश्वसनीयता का प्रतीक है। साथ ही, यह मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने तथा लंबे समय के लिए निवेश के रूप में कार्य करता है। असली सोने को न जंग नहीं लगता है और न ही यह खराब होता है। इसके अलावा, इसे पिघलाया जा सकता है और कोई भी रूप दिया जा सकता है। सोने के सिक्के खरीदना निवेश का एक सुरक्षित तरीका है। बचत का दस प्रतिशत सोने में निवेश करने की सिफारिश की गई है क्योंकि सोना लंबे समय तक अपनी कीमत बनाए रखता है और इसमें जोखिम की कम गुंजाइश है। सोने के सिक्कों को किसी उपलब्धि के लिए, तथा जन्मदिन अथवा विवाह आदि अवसर पर यादगार के रूप में दिया जा सकता है। इसमें खास बात यह है कि यह कम कीमत के सिक्कों जैसे 0.5 ग्राम, 1 ग्राम आदि के रूप में दिया जा सकता है।
अमेरिकी डालर हुआ कमजोर
जिस तरह से अमेरिकी डॉलर टूटा है उसके कारण बुलियन के दामों में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद लोग सुरक्षित निवेश की तरफ रुख कर रहे हैं। सोने के भाव में उतार-चढ़ाव शुरू में रहा था लेकिन अब इसमें तेजी रहने के संकेत हैं। दीवाली तक भाव 56 हजार तक के लेवल को भी छू सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना जल्द ही 2000 डॉलर के आंकड़े को भी छू सकता है।
क्यों बढ़ती है सोने की दर
दरअसल, सोने को सुरक्षित निवेश का सबसे बेहतर साधन माना जाता है। ऐसे में जब भी निवेशकों को आर्थिक हालात ठीक नहीं लगते तब वह सोने के निवेश को प्राथमिकता देते हैं। इसका नतीजा ये होता है कि सोने की डिमांड बढ़ जाती है। सोने की डिमांड बढ़ने की वजह से कीमत में इजाफा होता है। इसके अलावा घरेलू बाजार में खरीदारी ज्यादा होती है, तब भी सोने के भाव में तेजी आती है। खासतौर पर त्योहारी सीजन में सोने की खरीदारी बढ़ जाती है। वहीं सरकार की नीतियों और फैसलों का भी सोने के भाव पर असर पड़ता है। डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से गुरुवार को सोने की कीमत (Gold Price Today) में तेजी आ रही है। सोना हमेशा ही मुसीबत की घड़ी में खूब चमका है। 1979 में कई युद्ध हुए और उस साल सोना करीब 120 फीसदी उछला था। अभी हाल ही में 2014 में सीरिया पर अमेरिका का खतरा मंडरा रहा था तो भी सोने के दाम आसमान छूने लगे थे। हालांकि, बाद में यह अपने पुराने स्तर पर आ गया। जब ईरान से अमेरिका का तनाव बढ़ा या फिर जब चीन-अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर की स्थिति बनी, तब भी सोने की कीमत बढ़ी।
इतना क्यों चमक रहा है सोना?
इस समय कोरोना के चलते अमेरिका सहित कई विकसित देशों में ब्याज दरें जीरो से माइनस तक हो चुकी हैं। भारत में भी ब्याज दरें घटाई जा चुकी हैं। एफडी पर कभी तगड़ा ब्याज मिला करता था, लेकिन अब ब्याज दर गिरकर 6 फीसदी तक पहुंच चुकी है। ऐसे में निवेशकों को सोना सबसे सुरक्षित विकल्प दिख रहा है, जिसने कभी निराश नहीं किया है और इसी के चलते सोने में निवेश लगातार बढ़ रहा है।
भारत में क्यों महंगा हो रहा सोना
- भारत में सोने के भाव बढ़ने का पहला सबसे बड़ा कारण आम बजट में सोने पर सरकार का फैसला है। दरअसल, पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने गोल्ड पर आयात शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया है। आयात शुल्क बढ़ने की वजह से गोल्ड का कारोबार तेजी से घटा है। बता दें कि भारत गोल्ड का बहुत बड़ा आयातक है। यह अपनी जरूरत का ज्यादा हिस्सा आयात करता है।
- सोने के भाव में तेजी की दूसरी सबसे बड़ी वजह आरबीआई द्वारा लगातार रेपो रेट में की जा रही कटौती है। वैसे रेपो रेट में कटौती का आम लोगों को सीधा फायदा तो मिलता है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से सोने के भाव में बढ़ोतरी भी इसी वजह से होती है। दरअसल, रेपो रेट में कटौती का मतलब है कि बैंक अब आरबीआई से ज्यादा आसानी से लोन ले पाएंगे। इसके बाद बैंकों में पैसों का प्रवाह बढ़ेगा। फिर बैंक बाजार में लोन देगा। इस पूरी प्रक्रिया में पैसों का प्रवाह बढ़ेगा। इसका नतीजा ये होगा कि संस्थाएं और आम लोग अपने पैसों का निवेश सोना खरीदने की ओर करेंगे। इससे सोने की डिमांड और कीमत दोनों बढ़ेगी।
- बीते कुछ सालों से भारतीय शेयर बाजार की सेहत बिगड़ती जा रही है। पिछले साल लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही निफ्टी और सेंसेक्स में भारी उतार चढ़ाव नजर आता है।
- आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी निवेश पर सरचार्ज लगाने का ऐलान किया था। इसके बाद से शेयर बाजार की हालत बदतर हो गई है. इस सुस्ती की वजह से निवेशक अपने शेयर बेचक सोने में निवेश पर जोर दे रहे हैं। जाहिर है, डिमांड बढ़ने की वजह से कीमत में भी इजाफा हुआ और इस साल आए कोविड संकट ने सोने की कीमतें भारी कर दी है।
- देश में सोने की कीमत में तेजी की एक बड़ी वजह ग्लोबल राजनीतिक संकट है। दरअसल, वैश्विक स्तर पर भारत और चीन, अमेरिका और चीन के बीच तनाव बरकरार है। अमेरिका की ओर से चीन की वस्तुओं पर आयात शुल्क लगा दिया गया है। वहीं चीन पर अपनी करेंसी युआन के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगे हैं। इन हालातों में चीन की ओर से कठोर जवाब के संकेत मिल रहे हैं।
इन सभी हालातों ने भी निवेशकों में भय का माहौल बनाया है। इसके अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताओं ने भी निवेशकों को डराया है। बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने ग्लोबल इकनॉमिक ग्रोथ रेट का अनुमान 3.5 से घटाकर 3.3% कर दिया है।
कितना फायदेमंद
- 24 फीसदी से अधिक रिटर्न दे चुका है सोना छह माह में
- 25 फीसदी रिटर्न दिया था सोने ने पिछले साल निवेशकों को
- 40 फीसदी तक रिटर्न दे चुके हैं गोल्ड बॉन्ड एक साल में
- 55 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंचने की उम्मीद इस साल के अंत तक
- 70 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंचने की संभावना दो साल में
- 10 से 15 फीसदी सोना अपने पोर्टफोलियो में जरूर रखें
- 75 से 80 फीसदी तक सोने के मूल्य के बराबर मिलता है लोन
सोने के मूल्य में वृद्धि का रूखगत 95 वर्षों के लिए 10 ग्राम सोने के मूल्य का इतिहास
वर्ष | मूल्य |
| वर्ष् | मूल्य |
| वर्ष् | मूल्य |
| वर्ष | मूल्य |
1925 | रू.18.75 | 1947 | रू.88.62 | 1969 | रू.176.00 | 1991 | Rs.3,466.00 | |||
1926 | रू..18.43 | 1948 | रू.95.87 | 1970 | रू.184.50 | 1992 | Rs.4,334.00 | |||
1927 | रू..18.37 | 1949 | रू.94.17 | 1971 | रू.193.00 | 1993 | Rs.4,140.00 | |||
1928 | रू..18.37 | 1950 | रू.99.18 | 1972 | रू.202.00 | 1994 | Rs.4,598.00 | |||
1929 | रू..18.43 | 1951 | रू.98.05 | 1973 | रू.278.50 | 1995 | Rs.4,680.00 | |||
1930 | रू..18.05 | 1952 | रू.76.81 | 1974 | रू.506.00 | 1996 | Rs.5,160.00 | |||
1931 | रू..18.18 | 1953 | रू.73.06 | 1975 | रू.540.00 | 1997 | Rs.4,725.00 | |||
1932 | रू..23.06 | 1954 | रू.77.75 | 1976 | रू.432.00 | 1998 | Rs.4,045.00 | |||
1933 | रू..24.05 | 1955 | रू.79.18 | 1977 | रू.486.00 | 1999 | Rs.4,234.00 | |||
1934 | रू..28.81 | 1956 | रू.90.81 | 1978 | रू.685.00 | 2000 | Rs.4,400.00 | |||
1935 | रू..30.81 | 1957 | रू.90.62 | 1979 | रू.937.00 | 2001 | Rs.4,300.00 | |||
1936 | रू..29.81 | 1958 | रू.95.38 | 1980 | रू.1,330.00 | 2002 | Rs.4,990.00 | |||
1937 | रू..30.18 | 1959 | रू.102.56 | 1981 | रू.1,800.00 | 2003 | Rs.5,600.00 | |||
1938 | रू..29.93 | 1960 | रू.111.87 | 1982 | रू.1,645.00 | 2004 | Rs.5,850.00 | |||
1939 | रू.31.74 | 1961 | रू.119.35 | 1983 | रू.1,800.00 | 2005 | Rs.7,000.00 | |||
1940 | रू.36.04 | 1962 | रू.119.75 | 1984 | रू.1,970.00 | 2006 | Rs.8,400.00 | |||
1941 | रू.37.43 | 1963 | रू.97.00 | 1985 | रू.2,130.00 | 2007 | Rs.10,800.00 | |||
1942 | रू..44.05 | 1964 | रू.63.25 | 1986 | रू.2,140.00 | 2008 | Rs.12,500.00 | |||
1943 | रू.51.05 | 1965 | रू.71.75 | 1987 | रू.2,570.00 | 2009 | Rs.14,500.00 | |||
1944 | रू.52.93 | 1966 | रू.83.75 | 1988 | रू.3,130.00 | 2010 | Rs.18,500.00 | |||
1945 | रू.62.00 | 1967 | रू.102.50 | 1989 | रू.3,140.00 | 2011 | Rs.26,400.00 | |||
1946 | रू.83.87 | 1968 | रू.162.00 | 1990 | रू.3,200.00 | 2012 | Rs.34,495.00 | |||
2013 | Rs.29,600.00 | |||||||||
2014 | Rs.28,006.00 | |||||||||
2015 | Rs.26,343.50 | |||||||||
2016 | Rs.28,623.50 | |||||||||
2017 | Rs.29,667.50 | |||||||||
2018 | Rs.31,438.00 | |||||||||
2019 | Rs.35,220.00 | |||||||||
2020 | Rs.55,000.00 |