News18 : Jan 02, 2020, 05:25 PM
क्या कभी आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) किसी ह्यूमन रेडियोलॉजिस्ट की तुलना में ज्यादा बेहतर तरीके से कैंसर मरीजों की पहचान कर सकता है। अगर यही सवाल गूगल से पूछा जाएगा तो उसका उत्तर 'हां' होगा। कंपनी का दावा है कि उसने एक ऐसे एआई मॉडल (AI Model) को विकसित किया गया है जो कि ह्यूमन रेडियोलॉजिस्ट (Human Radiologists) से बेहतर कैंसर मरीजों की पहचान कर सकता है। 6 रेडियोलॉजिस्ट को लेकर एक स्टडी की गई जिसमें एआई सिस्टम ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया। गूगल इस प्रोजेक्ट पर यूके और यूए में स्थित क्लिनिकल रिसर्च पार्टनर्स के साथ मिलकर दो साल से काम कर रहा है। साइंटिफिक जरनल नेचर में छपे एक पेपर के मुताबिक कंपनी ने इसके बारे में जानकारी दी। गूगल ने कहा कि गूगल मॉडल रेडियोलॉजिस्ट को रिप्लेस नहीं करेगा। हालांकि, कंपनी का कहना है कि इसका एलगोरिद्म सिंगल रेडियोलॉजिस्ट की तुलना में बेहतर है। आमतौर पर ब्रेस्ट कैंसर के मामले में मेमोग्राम को कई रेडियोलॉजिस्ट द्वारा चेक किया जाता है। हालांकि, जहां यूएस में एक रेडियोलॉजिस्ट और यूके में दो रेडियोलॉजिस्ट ब्रेस्ट कैंसर का डिटेक्शन करते हैं, वहीं भारत में इसके लिए कोई निश्चित पैटर्न नहीं है।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक मेमोग्राम से छोटे से छोटे ब्रेस्ट कैंसर का पता लग जाता है लेकिन इसका इलाज हो पाना आसान नहीं है। अगर गूगल के एलगोरिद्म की बात करें तो जरूरी नहीं है कि यह रेडियोलॉजिस्ट को रिप्लेस कर पाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति दो लाख अठारह हज़ार की जनसंख्या पर एक रेडियोलॉजिस्ट है। तो इन स्थितियों में ऐसी तकनीक से सहायता मिल सकती है। हालांकि, डॉक्टर्स का कहना है कि एआई कभी भी आदमी की जगह नहीं ले पाएगा खासकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में। हालांकि, इनका बेहतरीन उपकरण के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक मेमोग्राम से छोटे से छोटे ब्रेस्ट कैंसर का पता लग जाता है लेकिन इसका इलाज हो पाना आसान नहीं है। अगर गूगल के एलगोरिद्म की बात करें तो जरूरी नहीं है कि यह रेडियोलॉजिस्ट को रिप्लेस कर पाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति दो लाख अठारह हज़ार की जनसंख्या पर एक रेडियोलॉजिस्ट है। तो इन स्थितियों में ऐसी तकनीक से सहायता मिल सकती है। हालांकि, डॉक्टर्स का कहना है कि एआई कभी भी आदमी की जगह नहीं ले पाएगा खासकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में। हालांकि, इनका बेहतरीन उपकरण के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।