Vikrant Shekhawat : Jun 02, 2021, 07:35 AM
नई दिल्ली: बच्चों में कोरोना के मामलों को सरकार गंभीरता से ले रही है. आशंका जताई जा रही है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आएगी तो उसमें बच्चों के संक्रमण की संख्या पहले के मुकाबले ज्यादा हो सकती है. ऐसे में उनके लिए सरकार जल्द एक गाइडलाइन लाने की तैयारी कर रही है.नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल के मुताबिक जिन बच्चों में कोरोना संक्रमण पाया गया है, उनमें से ज्यादातर में कोई लक्षण नहीं देखे गए हैं, जबकि कुल संक्रमित बच्चों में से महज 2-3 फीसदी बच्चों को अस्पताल में भर्ती की जरूरत पड़ती है. डॉ. पॉल ने बताया कि बच्चों में दो तरह के लक्षण देखे जा रहे हैं. पहला, कई बच्चों में बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ होने जैसी शिकायतें मिल रही हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है.हालांकि कुछ बच्चों में नए तरह के लक्षण भी देखे जा रहे हैं. डॉ. वीके पॉल ने बताया कि कई बच्चों में कोरोना से उबरने के 2-6 हफ्ते के भीतर बुखार, शरीर में खुजली होना, आंखों का लाल होना, दस्त, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं. डॉ. पॉल के मुताबिक ऐसे बच्चों में कोरोना वायरस तो नहीं पाया गया है लेकिन लक्षण कोरोना जैसे ही हैं. ऐसे लक्षणों को Multi System Inflammatory Syndrome कहा जा रहा है.समिति बनाईसरकार ने ऐसे लक्षणों को देखते हुए विशेषज्ञों की एक राष्ट्रीय समिति बनाई है, जो इस पर विचार कर रही है. डॉ. वीके पॉल ने बताया कि समिति जल्द ही बच्चों में ऐसे लक्षणों के लिए एक गाइडलाइन जारी करेगी. हालांकि उन्होंने ये साफ किया कि बच्चों में पाए जाने वाले ऐसे लक्षणों का इलाज उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि बच्चों के मामलों की देखभाल के लिए व्यवस्था सुदृढ की जा रही है.वहीं महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में 9000 से ज्यादा बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के मामले को सरकार ने सामान्य बताया है. डॉ वीके पॉल ने बताया कि चूंकि दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित सभी लोगों की संख्या पिछली बार से ज्यादा है, लिहाजा बच्चे भी उसी अनुपात में ज्यादा संक्रमित हुए हैं.