देश / सर्वे में 14 राज्यों व यूटी की 30% महिलाओं ने पुरुषों द्वारा पत्नियों की पिटाई को ठहराया जायज़

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ने खुलासा किया है कि 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 30% से अधिक महिलाओं ने कुछ परिस्थितियों में पति द्वारा पत्नी की पिटाई को जायज़ ठहराया है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की 84% महिलाओं ने पुरुषों द्वारा पत्नियों की पिटाई को उचित ठहराया जबकि हिमाचल प्रदेश में सबसे कम 14.8% महिलाएं इससे सहमत थीं।

Vikrant Shekhawat : Nov 29, 2021, 08:18 AM
नई दिल्ली: देश में घरेलू हिंसा कितनी आम बात है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बड़ी संख्या में महिलाएं अब इसे सहज और स्वभाविक मान चुकी है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS) के हालिया सर्वे के मुताबिक, 18 में से 14 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की 30 फीसदी से अधिक महिलाएं पुरुषों के हाथों महिलाओं की पिटाई को कुछ परिस्थितियों में गलत नहीं मानती हैं।

NHFS के मुताबिक, तीन राज्यों तेलंगाना (84 फीसदी), आंध्र प्रदेश (84फीसदी) और कर्नाटक (77 फीसदी) की 75 फीसदी से अधिक महिलाएं पति के हाथों पत्नी की पिटाई को सही ठहराती हैं। मणिपुर में 66 फीसदी, केरल में 52 फीसदी, जम्मू-कश्मीर में 49 फीसदी, महाराष्ट्र में 44 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 42 फीसदी महिलाओं ने पति से पिटाई को सही माना है।  

एनएफएचएस की ओर से पूछे गए सवाल कि क्या आपके विचार से पति के द्वारा पत्नी की पिटाई जायज है? 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 30 फीसदी से अधिक महिलाओं ने जवाब 'हां' में दिया। सर्वे ने उन संभावित परिस्थितियों को सामने रखा जिनमें एक पति अपनी पत्नी की पिटाई करता है: यदि उसे उसके विश्वासघाती होने का संदेह है; अगर वह ससुराल वालों का अनादर करती है; अगर वह पति से बहस करती है; अगर वह यौन संबंध बनाने से इनकार करती है; अगर वह उसे बताए बिना बाहर जाती है; अगर वह घर या बच्चों की उपेक्षा करती है; अगर वह अच्छा खाना नहीं पकाती है। सबसे अधिक महिलाओं ने घर या बच्चों की उपेक्षा और ससुराल वालों के अनादर की वजह से पिटाई को सामान्य बताया।

18 राज्यों में से 13- हिमाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, गुजरात, नागालैंड, गोवा, बिहार, कर्नाटक, असम, महाराष्ट्र, तेलंगाना, और पश्चिम बंगाल की महिलाओं ने 'ससुराल वालों के अनादर' पर पिटाई को जायज बताया। सबसे कम हिमाचल प्रदेश की 14.8 फीसदी महिलाओं ने पति के हाथों पत्नी की पिटाई को जायज बताया। वहीं, कर्नाटक की 81.9 फीसदी महिलाओं ने इसे सही बताया।

हैदराबाद स्थित एनजीओ 'रोशनी' की निदेशक उषाश्री, जो भावनात्मक संकट में लोगों को परामर्श और अन्य सेवाएं प्रदान करती है, ने कहा कि उनके संगठन ने कोविड ​​​​-19 के दौरान यौन शोषण और घरेलू हिंसा में वृद्धि देखी है। उन्होंने कहा, "कुछ पुरुष अपनी हताशा, आय की हानि और महामारी के कारण अन्य कारणों से, अपने परिवार के सदस्यों पर निकालते दिखाई देते हैं। हमें प्राप्त होने वाली कॉलों की संख्या में वृद्धि हुई है क्योंकि परिवार के सदस्यों के बीच टकराव बढ़ गया है। वजह यह है कि  महामारी के कारण चौबीसों घंटे चार दीवारों के भीतर सीमित रहते हैं।"