Vikrant Shekhawat : Mar 23, 2021, 10:07 AM
मुंबई: चिट्ठी कांड के बाद महाराष्ट्र में आए सियासी बवाल के बीच अब एनडीए के सहयोगी रामदास अठावले ने बड़ी मांग कर दी है. उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है और महाराष्ट्र की मौजूदा सियासी स्थिति को देखते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. आरपीआई के अध्यक्ष ने कहा कि महाराष्ट्र में कायदा-कानून पूरी तरह से डगमगा चुका है, इसलिए राष्ट्रपति शासन की मांग की है.एक तरफ जहां विरोधी महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सत्ता पक्ष ने साफ कर दिया है कि अनिल देशमुख का इस्तीफा नहीं होगा. एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने कहा कि जिस मंत्री के बारे में आरोप था, उनकी उस समय की स्थिति साफ हो गई है और ऐसी परिस्थिति में उनके इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने कहा कि पूर्व कमिश्नर के पत्र में उन्होंने जिक्र किया है कि फरवरी महीने में उन्हें कुछ अधिकारियों से गृह मंत्री के फलां निर्देशों की जानकारी मिली थी. 6 से 16 फरवरी तक अनिल देशमुख कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती थे. शरद पवार ने कहा कि फरवरी में सचिन वाजे और अनिल देशमुख की मुलाकात की बात गलत है. फरवरी में वाजे और देशमुख की मुलाकात नहीं हुई.वहीं एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि हमें लगता है कि परमबीर सिंह की चिट्ठी एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है. परमबीर सिंह की दिल्ली में किस-किस से मुलाकात हुई थी उसकी हमें जानकारी है. जांच के माध्यम से सच्चाई सामने आएगी. उन्होंन ेकहा कि उच्च अधिकारियों के माध्यम से चिट्ठी की जांच होगी. एक चिट्ठी के आधार पर गृह मंत्री अनिल देशमुख के इस्तीफे की मांग हो रही है. इस्तीफा देने का सवाल नहीं होता है. पार्टी ने निर्णय लिया है कि जांच होने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.एनसीपी के अलावा शिवसेना भी बचाव में उतर गई है. संजय राउत ने कहा कि अगर राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख(शरद पवार) ने तय किया है कि अनिल देशमुख के ऊपर जो आरोप लगे हैं, उनमें तथ्य नहीं है और उनकी जांच होनी चाहिए तो इसमें गलत क्या है? आरोप सभी नेताओं के ऊपर लगते रहे हैं. सबका इस्तीफा लेकर बैठे तो सरकार चलाना मुश्किल हो जाएगा.