देश / हथियारों के लिए दूसरे देशों का मोहताज नहीं रहेगा भारत, होगा आत्मनिर्भर

सरकार रक्षा खरीद में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कार्य कर रही है। इस कड़ी में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से बड़े पैमाने पर खरीद होने लगी है। सार्वजनिक रक्षा उपक्रमों को हाल के दिनों में काफी ऑर्डर भी दिए गए हैं। अब रक्षा सौदों में किफायत बरतने के लिए यह फैसला लिया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को खरीद का ऑर्डर देते समय उनसे कीमतों पर मोलभाव किया जाएगा।

Vikrant Shekhawat : Dec 20, 2020, 10:39 PM
नई दिल्ली | सरकार रक्षा खरीद में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कार्य कर रही है। इस कड़ी में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से बड़े पैमाने पर खरीद होने लगी है। सार्वजनिक रक्षा उपक्रमों को हाल के दिनों में काफी ऑर्डर भी दिए गए हैं। अब रक्षा सौदों में किफायत बरतने के लिए यह फैसला लिया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को खरीद का ऑर्डर देते समय उनसे कीमतों पर मोलभाव किया जाएगा।

सार्वजनिक रक्षा कंपनियों को आमतौर पर सीधे सरकार रक्षा सामग्री की खरीद का आर्डर देती है। इसलिए कीमतें प्रतिस्पर्धी नहीं होती हैं, लेकिन कई बार देखा गया है कि सामग्री की महंगी आपूर्ति हो रही है। जबकि विदेशों से खरीदने पर वह कम दाम में उपलब्ध हो सकती है। ऐसे में जब भी ऐसी खरीद होगी तो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से भी दामों को लेकर मोलभाव किया जाएगा। मकसद यह है कि उपयुक्त दाम पर सामग्री उपलब्ध हो सके।

इसी प्रकार हाल में सेनाओं ने आयुध फैक्टरियों से ली जाने वाली कई गैर युद्धक सामग्री की खरीद बंद कर दी है। दरअसल, यह पता चला कि आयुध फैक्टरियां महंगे दामों पर सेनाओं को जूते, वर्दी आदि सामग्री मुहैया करा रही थी। जबकि बाजार में वही सामग्री कम दामों पर उपलब्ध थी। आयुध फैक्टियों को भी साफ-साफ कह दिया है कि भविष्य में जो भी सामग्री खरीद जाएगी, उनमें कीमतों को लेकर मोलभाव किया जाएगा।

बता दें कि हाल में रक्षा मंत्रालय ने 101 रक्षा उपकरणों को विदेशों से नहीं खरीदने का फैसला किया है। इसलिए बड़े पैमाने पर आयुध फैक्टरियों, सार्वजनकि रक्षा उपक्रमों को रक्षा सामग्री की आपूर्ति का जिम्मा सौंपा जा रहा है, लेकिन कीमतों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इस समय कुल रक्षा खरीद का आधे से अधिक हिस्सा देश के भीतर से ही पूरा किया जा रहा है।