Vikrant Shekhawat : May 07, 2022, 08:51 AM
भारत आबादी पर नियंत्रण के लिए अब ‘हम दो, हमारे दो’ लक्ष्य के करीब पहुंच गया है। परिवार नियोजन कार्यक्रम के सात दशक बाद इस सफलता को पाने में हम कामयाब हुए हैं। हालांकि, मोटापा नई परेशानी बनकर उभरा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के पांचवें चरण के अनुसार देश की प्रजनन दर (टीएफआर) 2 पर आ चुकी है। इसके अनुसार, कोई महिला अपने जीवनकाल में जितनी संतानों को जन्म देती है, उसे टीएफआर कहा जाता है।
परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2018 में 2.20 थी दरकिसी देश की मौजूदा आबादी को बनाए रखने के लिए टीएफआर 2.10 के स्तर पर होनी चाहिए। इसे प्रतिस्थापन स्तर कहते हैं।
इन उपायों से घटी यह दर
35 फीसदी पुरुषों के अनुसार गर्भनिरोधक का उपयोग महिलाओं का कामगर्भनिरोधक साधनों को लेकर पुरुषों का अजीब रवैया दिखा। सर्वे में देश के 35% पुरुषों ने कहा, गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग महिलाओं का काम है। वहीं, 19.6% पुरुष मानते हैं गर्भनिरोधक के उपयोग से महिलाएं व्यभिचारी बन सकती हैं।
हर चौथा भारतीय मोटाराष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के पांचवें चरण के आंकड़ों के अनुसार यूं तो भारत में सेहत के हर पैमाने पर पिछले चार साल में सुधार आया है लेकिन इसी अवधि में खान-पान की गलत आदतों और व्यायाम की कमी से मोटापा तेजी से बढ़ा है। 4 साल पहले 21 प्रतिशत महिलाएं मोटी थीं, लेकिन अब 24 प्रतिशत। मोटे पुरुष भी 19 से बढ़कर 23 प्रतिशत हो चुके हैं। यानी हर चार में एक महिला और पुरुष मोटापे के शिकार हैं।
संस्थागत प्रसव बढ़ाअस्पताल में 89% बच्चे पैदा हुए। पहले आंकड़ा 79% था। ग्रामीण क्षेत्रों में 87 व शहरों में 94% संस्थागत प्रसव हुए। असम, बिहार, मेघालय, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल में 10 प्रतिशत संस्थागत प्रसव बढ़े।
सर्वे में 8.25 लाख लोग शामिलएनएफएचएस-5 भारत के 6.37 लाख घर-परिवारों पर आधारित है। यह परिवार 28 राज्यों व 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों में रहते हैं। सर्वे में कुल 7,24,115 महिलाएं और 1,01,839 पुरुषों से जवाब लिए गए।
परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2018 में 2.20 थी दरकिसी देश की मौजूदा आबादी को बनाए रखने के लिए टीएफआर 2.10 के स्तर पर होनी चाहिए। इसे प्रतिस्थापन स्तर कहते हैं।
इन उपायों से घटी यह दर
- 67% लोगों के पास गर्भनिरोधक साधन पहुंच रहे हैं
- पिछली बार यह संख्या 54% थी।
- हालांकि, अब भी 9% परिवारों के पास यह साधन नहीं है।
35 फीसदी पुरुषों के अनुसार गर्भनिरोधक का उपयोग महिलाओं का कामगर्भनिरोधक साधनों को लेकर पुरुषों का अजीब रवैया दिखा। सर्वे में देश के 35% पुरुषों ने कहा, गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग महिलाओं का काम है। वहीं, 19.6% पुरुष मानते हैं गर्भनिरोधक के उपयोग से महिलाएं व्यभिचारी बन सकती हैं।
- सर्वेक्षण में 7.24 लाख महिलाएं और 1.01 लाख पुरुष शामिल थे।
- चंडीगढ़ : 69% पुरुष गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग महिलाओं का काम मानते हैं।
- केरल : 44.1% पुरुषों ने कहा, गर्भनिरोधक उपयोगकर्ता महिलाएं व्यभिचारी हो सकती हैं।
- धर्म के अनुसार ऐसी है स्थिति : 64.7% सिख पुरुषों ने गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग महिलाओं का काम बताया। हिंदुओं में यह संख्या 35.9 तो मुसलमानों में 31.9% थी।
- निर्धन श्रेणी के परिवारों में से 11.4% की परिवार नियोजन संबंधी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती, उच्च श्रेणी में यह आंकड़ा 8.6 प्रतिशत मिला।
- महिलाओं द्वारा आधुनिक गर्भनिरोधकों का उपयोग भी निम्न आय वर्ग में 50.7% तो उच्च आय वर्ग में 58.7% था।
- कामकाजी महिलाओं में से 66.3 प्रतिशत आधुनिक गर्भनिरोधक उपयोग करती हैं। वहीं, बेरोजगार महिलाओं में यह आंकड़ा सिर्फ 53.4 प्रतिशत है।
हर चौथा भारतीय मोटाराष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के पांचवें चरण के आंकड़ों के अनुसार यूं तो भारत में सेहत के हर पैमाने पर पिछले चार साल में सुधार आया है लेकिन इसी अवधि में खान-पान की गलत आदतों और व्यायाम की कमी से मोटापा तेजी से बढ़ा है। 4 साल पहले 21 प्रतिशत महिलाएं मोटी थीं, लेकिन अब 24 प्रतिशत। मोटे पुरुष भी 19 से बढ़कर 23 प्रतिशत हो चुके हैं। यानी हर चार में एक महिला और पुरुष मोटापे के शिकार हैं।
- स्वास्थ्य देखभाल, घरेलू खर्च और रिश्तेदारों से मिलने-जुलने जैसे निर्णयों में महिलाओं की पूछ बढ़ी।
- शहरों में ऐसा 81% और गांवों में 77% परिवारों में हो रहा है।
- नगालैंड, मिजोरम में यह संख्या 99 प्रतिशत है।
संस्थागत प्रसव बढ़ाअस्पताल में 89% बच्चे पैदा हुए। पहले आंकड़ा 79% था। ग्रामीण क्षेत्रों में 87 व शहरों में 94% संस्थागत प्रसव हुए। असम, बिहार, मेघालय, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल में 10 प्रतिशत संस्थागत प्रसव बढ़े।
सर्वे में 8.25 लाख लोग शामिलएनएफएचएस-5 भारत के 6.37 लाख घर-परिवारों पर आधारित है। यह परिवार 28 राज्यों व 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों में रहते हैं। सर्वे में कुल 7,24,115 महिलाएं और 1,01,839 पुरुषों से जवाब लिए गए।