News18 : Apr 24, 2020, 04:46 PM
मुंबई। नए कोरोना वायरस (Novel Coronavirus) के खिलाफ लड़ाई के दौरान लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन (Nationwide Lockdown) के दौरान भारत के कई हिस्सों में वायरस से जुड़ी मौतों (Deaths) में कोई अनदेखी बढ़ोत्तरी देखने को नहीं मिली है।
पूरी दुनिया में पिछले साल के आखिरी दौर से चीन (China) से शुरू हुए खतरनाक कोरोना वायरस (Deadly Coronavirus) के प्रसार के बाद के प्रभाव की जांच के लिए मृत्यु दर (Mortality Rate) की जांच की जा रही है। और पाया गया है कि अब तक दुनिया में इससे करीब 27 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं इससे करीब 1 लाख 90 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
शवदाह गृहों में आने वाले शवों की संख्या लगभग आधी हुई
जबकि कुछ देशों में हाल के हफ्तों में मृत्यु दर तेजी से बढ़ी है, भारत में अस्पतालों, शवदाह गृहों (Crematoriums) और कब्रिस्तानों में कुछ को छोड़कर, इससे उल्टा देखने को मिला है।कोलकाता (Kolkata) और बेंगलुरु के दक्षिणी टेक हब में चलने वाली अंत्येष्टि फ्यूनरल सर्विसेस की चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर श्रुति रेड्डी कहती हैं, "हमारे लिए यह बहुत ही चौंकाने वाला है।"
रेड्डी ने बताया, कंपनी के पास जनवरी में एक दिन में ऐसे करीब पांच मामले आ रहे थे लेकिन फिलहाल एक दिन में करीब तीन मामले आ रहे हैं। हमने कर्मचारियों को साफ कर दिया है कि अगर हमारी आय (Revenue) में एक स्तर से ज्यादा कमी आई तो हमें कर्मचारियों के वेतन में कटौती करनी होगी।
मुंबई और अहमदाबाद जैसे अन्य महानगरों में भी मौतों में कमी
कई अन्य भी ऐसी ही कहानी सुनाते हैं। नगरपालिका के डाटा के मुताबिक केंद्रीय मुंबई (Central Mumbai), जहां करीब 1 करोड़ 20 लाख लोग रहते हैं, वहां पर मार्च में पिछले साल के मुकाबले मौतों में 21% की कमी देखी गई है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद (Ahmedabad) में इस समय होने वाली कुल मौतों में 67% की कमी आई है।कम से कम दो अन्य शहरों का डाटा, जिसमें राज्य स्वास्थ्य विभागों (State Health Department) का डाटा भी शामिल है, ऐसा ही एक पैटर्न देखने को मिलता है। आधा दर्जन शवदाह का काम करने वालों ने अप्रैल में मामलों में कमी आने की बात कही है।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर गिरिधर बाबू कहते हैं, अगर हम मौतों में बढ़ोत्तरी नहीं देख रहे हैं, तो यह शक कि वहां और COVID-19 से जुड़ी मौतें हो सकती हैं, सच नहीं है।
कम हो रहे हादसे
कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रसार को रोकने के लिए पीएम मोदी ने 130 करोड़ भारतीयों के लिए 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी। हालिया आंकड़ों के मुताबिक कोरोना वायरस से भारत में अब तक 23 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। और इससे 718 लोोगं की मौत हुई है।कोविड ट्रैकिंग प्रोजेक्ट (Covid Tracking Project) के मुताबिक भारत ने अभी तक करीब 5 लाख 25 हजार लोगों का टेस्ट किया है, जिसमें से मात्र 4% ही पॉजिटिव पाए गए हैं। अमेरिका में करीब 18% टेस्ट पॉजिटिव पाए गए हैं।
भारत की कम मृत्यु दर (Mortality Rate) को अन्य जगहों से विरोधी आंकड़ों के तौर पर देखा जा रहा है। भारतीय डॉक्टरों, अधिकारियों और शवदाह गृह के कर्मचारियों का मानना है कि कम मृत्यु दर का बड़ा हिस्सा रोड और ट्रेन एक्सीडेंट्स (Accidents) के चलते कम हुआ है।
असम (Assam) के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने कहा, "सड़क हादसे के मामले, यहां तक कि शराब और ड्रग्स से होने वाली, आघात और दिल के दौरे से होने वाली मौतों में बहुत कमी आई है।"
हत्याओं में भी कमी?
उत्तर प्रदेश में गंगा के तट पर शवदाह गृह चलाने वाले नीरज कुमार बताते हैं कि अपराधों में मारे गए लोगों को भी नहीं लाया जा रहा। उन्होंने कहा कि पहले उनके पास रोज कम से कम एक्सीडेंट में मारे गए 10 शव और कई हत्या (Murder) का शिकार बने शव आते थे। लेकिन लॉकडाउन के बाद से स्वाभाविक मौतों के मामले ही आ रहे हैं।अधिकारियों ने यह भी कहा कि कम मामले सामने आने का यह मतलब भी हो सकता है कि लॉकडाउन के चलते मौतों (Deaths) के सभी मामले रिपोर्ट न किए जा रहे हों।
पूरी दुनिया में पिछले साल के आखिरी दौर से चीन (China) से शुरू हुए खतरनाक कोरोना वायरस (Deadly Coronavirus) के प्रसार के बाद के प्रभाव की जांच के लिए मृत्यु दर (Mortality Rate) की जांच की जा रही है। और पाया गया है कि अब तक दुनिया में इससे करीब 27 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं इससे करीब 1 लाख 90 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
शवदाह गृहों में आने वाले शवों की संख्या लगभग आधी हुई
जबकि कुछ देशों में हाल के हफ्तों में मृत्यु दर तेजी से बढ़ी है, भारत में अस्पतालों, शवदाह गृहों (Crematoriums) और कब्रिस्तानों में कुछ को छोड़कर, इससे उल्टा देखने को मिला है।कोलकाता (Kolkata) और बेंगलुरु के दक्षिणी टेक हब में चलने वाली अंत्येष्टि फ्यूनरल सर्विसेस की चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर श्रुति रेड्डी कहती हैं, "हमारे लिए यह बहुत ही चौंकाने वाला है।"
रेड्डी ने बताया, कंपनी के पास जनवरी में एक दिन में ऐसे करीब पांच मामले आ रहे थे लेकिन फिलहाल एक दिन में करीब तीन मामले आ रहे हैं। हमने कर्मचारियों को साफ कर दिया है कि अगर हमारी आय (Revenue) में एक स्तर से ज्यादा कमी आई तो हमें कर्मचारियों के वेतन में कटौती करनी होगी।
मुंबई और अहमदाबाद जैसे अन्य महानगरों में भी मौतों में कमी
कई अन्य भी ऐसी ही कहानी सुनाते हैं। नगरपालिका के डाटा के मुताबिक केंद्रीय मुंबई (Central Mumbai), जहां करीब 1 करोड़ 20 लाख लोग रहते हैं, वहां पर मार्च में पिछले साल के मुकाबले मौतों में 21% की कमी देखी गई है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद (Ahmedabad) में इस समय होने वाली कुल मौतों में 67% की कमी आई है।कम से कम दो अन्य शहरों का डाटा, जिसमें राज्य स्वास्थ्य विभागों (State Health Department) का डाटा भी शामिल है, ऐसा ही एक पैटर्न देखने को मिलता है। आधा दर्जन शवदाह का काम करने वालों ने अप्रैल में मामलों में कमी आने की बात कही है।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर गिरिधर बाबू कहते हैं, अगर हम मौतों में बढ़ोत्तरी नहीं देख रहे हैं, तो यह शक कि वहां और COVID-19 से जुड़ी मौतें हो सकती हैं, सच नहीं है।
कम हो रहे हादसे
कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रसार को रोकने के लिए पीएम मोदी ने 130 करोड़ भारतीयों के लिए 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी। हालिया आंकड़ों के मुताबिक कोरोना वायरस से भारत में अब तक 23 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। और इससे 718 लोोगं की मौत हुई है।कोविड ट्रैकिंग प्रोजेक्ट (Covid Tracking Project) के मुताबिक भारत ने अभी तक करीब 5 लाख 25 हजार लोगों का टेस्ट किया है, जिसमें से मात्र 4% ही पॉजिटिव पाए गए हैं। अमेरिका में करीब 18% टेस्ट पॉजिटिव पाए गए हैं।
भारत की कम मृत्यु दर (Mortality Rate) को अन्य जगहों से विरोधी आंकड़ों के तौर पर देखा जा रहा है। भारतीय डॉक्टरों, अधिकारियों और शवदाह गृह के कर्मचारियों का मानना है कि कम मृत्यु दर का बड़ा हिस्सा रोड और ट्रेन एक्सीडेंट्स (Accidents) के चलते कम हुआ है।
असम (Assam) के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने कहा, "सड़क हादसे के मामले, यहां तक कि शराब और ड्रग्स से होने वाली, आघात और दिल के दौरे से होने वाली मौतों में बहुत कमी आई है।"
हत्याओं में भी कमी?
उत्तर प्रदेश में गंगा के तट पर शवदाह गृह चलाने वाले नीरज कुमार बताते हैं कि अपराधों में मारे गए लोगों को भी नहीं लाया जा रहा। उन्होंने कहा कि पहले उनके पास रोज कम से कम एक्सीडेंट में मारे गए 10 शव और कई हत्या (Murder) का शिकार बने शव आते थे। लेकिन लॉकडाउन के बाद से स्वाभाविक मौतों के मामले ही आ रहे हैं।अधिकारियों ने यह भी कहा कि कम मामले सामने आने का यह मतलब भी हो सकता है कि लॉकडाउन के चलते मौतों (Deaths) के सभी मामले रिपोर्ट न किए जा रहे हों।