India-Russia Relation: भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा कि रूस से सस्ती दरों पर कच्चा तेल मिलने की स्थिति में भारत उसकी खरीद जारी रखेगा। पुरी ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार का प्राथमिक उद्देश्य सबसे किफायती कीमत पर ऊर्जा प्राप्त करना है। इस संदर्भ में भारत ने फरवरी 2022 में रूस से केवल 0.2% कच्चा तेल आयात किया था, जो अब बढ़कर 30% हो गया है। मंत्री ने कहा, "यदि रूस या कोई अन्य देश हमें रियायती दर पर तेल प्रदान करता है, तो हम उसी का चयन करेंगे।"
ऊर्जा उपलब्धता और सरकार की रणनीति
पुरी ने आश्वासन दिया कि बाजार में कच्चे तेल की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि भले ही कुछ तेल उत्पादक देश उत्पादन में कटौती कर रहे हों, फिर भी वैश्विक बाजार में तेल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। भारत का उद्देश्य है कि वह दीर्घकालिक और हाजिर बाजार दोनों में सौदे करके ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करे। पुरी ने स्पष्ट किया कि भारत किसी एक देश से तेल खरीदने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है, बल्कि सर्वोत्तम मूल्य पर खरीदारी करना ही उसकी प्राथमिकता है।
रत्नागिरी रिफाइनरी परियोजना पर पुनर्विचार
महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में प्रस्तावित छह करोड़ टन वार्षिक क्षमता वाली रिफाइनरी परियोजना के संबंध में पुरी ने इसे व्यवहारिक रूप से अव्यावहारिक बताया। इसके बजाय, सरकार दो-दो करोड़ टन वार्षिक क्षमता वाली तीन अलग-अलग रिफाइनरी स्थापित करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। यह निर्णय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की दीर्घकालिक जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया जा रहा है। रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (आरआरपीसीएल) 2017 में स्थापित एक संयुक्त उद्यम है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की तीन प्रमुख पेट्रोलियम कंपनियां शामिल हैं।
भारत ऊर्जा सप्ताह 2025: वैश्विक ऊर्जा मंच
पुरी ने यह भी बताया कि 11 फरवरी से राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित होने वाला 'भारत ऊर्जा सप्ताह 2025' वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा ऊर्जा कार्यक्रम होगा। इस चार दिवसीय आयोजन में हरित पाक-कला मंत्रिस्तरीय बैठक भी होगी, जिसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) पर विशेष चर्चा होगी, जिससे रसोई गैस के हरित समाधानों को अपनाने में तेजी लाने का प्रयास किया जाएगा।
इस आयोजन में 105 सम्मेलन सत्र और 70,000 से अधिक वैश्विक प्रतिनिधियों की भागीदारी की उम्मीद है। यह ऊर्जा क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाकर भारत के ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार और निवेश को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा।
भारत की ऊर्जा नीति: संतुलन और स्थिरता की ओर
भारत की ऊर्जा नीति की प्राथमिकता किफायती, स्थिर और हरित ऊर्जा स्रोतों को सुनिश्चित करना है। रूस से तेल खरीद के बढ़ते प्रतिशत और वैश्विक ऊर्जा कार्यक्रमों में भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि देश ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में प्रतिबद्ध है।
यह स्पष्ट है कि भारत, ऊर्जा क्षेत्र में संतुलन बनाए रखते हुए, अपने नागरिकों और उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। ऐसे में, हरदीप सिंह पुरी की यह घोषणा भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर संकेत करती है।