Zee News : Sep 06, 2020, 06:42 AM
नई दिल्लीः भारतीय सेना की पहली माउंटेन स्ट्राइक कोर (Mountain Strike Corps) लद्दाख में मोर्चे पर पहुंच गई है। इस कोर का गठन चीन को ध्यान में रखकर ही किया गया है। इसमें पहाड़ों में तुरंत तैनात होने के लिए जरूरी सभी साजोसामान हैं और इसको सबसे आधुनिक हथियारों से लैस किया गया है। इसमें अत्याधुनिक अल्ट्रा लाइट हॉविट्जर तोपें हैं जिन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए पहाड़ों पर तैनात किया जा सकता है।
इसे इंडिपेंडेंट बैटल ग्रुप्स यानि आईबीजी में बांटा गया है और हर ग्रुप में 6 तक बटालियन हो सकती हैं, जिसमें तोपखाना, टैंक, मिसाइल यूनिट्स, सिग्नल जैसे सारे कंपोनेंट होते हैं। तीन साल पहले इस कोर ने लद्दाख में बेहद खामोशी से एक बड़ा युद्धाभ्यास किया था और खुद को इस इलाक़े में लड़ने के लिए तैयार किया था।एलएसी पर तनाव बहुत बढ़ चुका है और अगले चार हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं। इस दौरान चीन एलएसी पर स्थिति बदलने के लिए कोई भी कार्रवाई कर सकता है। एक महीने बाद सर्दियों की शुरुआत हो जाएगी और उस दौरान कोई भी ऑपरेशन करना मुश्किल हो जाएगा। भारतीय सेना ने अब तक तीन अतिरिक्त डिवीजन तैनात कर दी है जिनमें से दो माउंटेन डिवीजन है। इनमें से एक उत्तर प्रदेश और एक हिमाचल प्रदेश में अपनी लोकेशन से आई हैं।इसके अलावा पहाड़ों की लड़ाई में माहिर लद्दाख स्काउट्स और विकास बटालियन भी मोर्चे पर तैनात हैं। पैराशूट रेजिमेंट की स्पेशल फोर्सेज़ भी खास अभियानों के लिए तैनात हैं जिन्होंने 29 से 31 अगस्त तक पेंगांग झील के दक्षिणी किनारे में हुई कार्रवाइयों में हिस्सा लिया था।17 माउंटेन स्ट्राइक कोर जिसे ब्रह्मास्त्र कोर का नाम दिया गया है, ने 2019 सितंबर से अक्टूबर तक अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी इलाक़ों में एक बड़ा सैनिक अभ्यास किया था। इसे हिम विजय नाम दिया गया था। इसमें सैनिकों को पहाड़ों में कम से कम वक्त में तैनात होना, ऊंचाई के इलाक़ों में लड़ाई के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार करना और दुश्मन पर कम वक्त में बड़ा हमला करने की क्षमता जांची गई थी।ब्रह्मास्त्र कोर के पास पहाड़ों की लड़ाई के लिए सबसे बड़ा हथियार अल्ट्रा लाइट होविट्ज़र तोप है जिसे हेलीकॉप्टरों के ज़रिए तुरंत कहीं भी ले जाकर तैनात किया जा सकता है। आईबीजी को तेज़ी से दुश्मन के इलाक़े में घुसने के लिए खास रफ्तार दी गई है। टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों का इस्तेमाल चुशूल के इलाक़े में बहुत अच्छे ढंग से किया जा सकता है। इसलिए ब्रह्मास्त्र कोर लद्दाख में लड़ाई का रुख पलटने की हर सामर्थ रखता है।
इसे इंडिपेंडेंट बैटल ग्रुप्स यानि आईबीजी में बांटा गया है और हर ग्रुप में 6 तक बटालियन हो सकती हैं, जिसमें तोपखाना, टैंक, मिसाइल यूनिट्स, सिग्नल जैसे सारे कंपोनेंट होते हैं। तीन साल पहले इस कोर ने लद्दाख में बेहद खामोशी से एक बड़ा युद्धाभ्यास किया था और खुद को इस इलाक़े में लड़ने के लिए तैयार किया था।एलएसी पर तनाव बहुत बढ़ चुका है और अगले चार हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं। इस दौरान चीन एलएसी पर स्थिति बदलने के लिए कोई भी कार्रवाई कर सकता है। एक महीने बाद सर्दियों की शुरुआत हो जाएगी और उस दौरान कोई भी ऑपरेशन करना मुश्किल हो जाएगा। भारतीय सेना ने अब तक तीन अतिरिक्त डिवीजन तैनात कर दी है जिनमें से दो माउंटेन डिवीजन है। इनमें से एक उत्तर प्रदेश और एक हिमाचल प्रदेश में अपनी लोकेशन से आई हैं।इसके अलावा पहाड़ों की लड़ाई में माहिर लद्दाख स्काउट्स और विकास बटालियन भी मोर्चे पर तैनात हैं। पैराशूट रेजिमेंट की स्पेशल फोर्सेज़ भी खास अभियानों के लिए तैनात हैं जिन्होंने 29 से 31 अगस्त तक पेंगांग झील के दक्षिणी किनारे में हुई कार्रवाइयों में हिस्सा लिया था।17 माउंटेन स्ट्राइक कोर जिसे ब्रह्मास्त्र कोर का नाम दिया गया है, ने 2019 सितंबर से अक्टूबर तक अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी इलाक़ों में एक बड़ा सैनिक अभ्यास किया था। इसे हिम विजय नाम दिया गया था। इसमें सैनिकों को पहाड़ों में कम से कम वक्त में तैनात होना, ऊंचाई के इलाक़ों में लड़ाई के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार करना और दुश्मन पर कम वक्त में बड़ा हमला करने की क्षमता जांची गई थी।ब्रह्मास्त्र कोर के पास पहाड़ों की लड़ाई के लिए सबसे बड़ा हथियार अल्ट्रा लाइट होविट्ज़र तोप है जिसे हेलीकॉप्टरों के ज़रिए तुरंत कहीं भी ले जाकर तैनात किया जा सकता है। आईबीजी को तेज़ी से दुश्मन के इलाक़े में घुसने के लिए खास रफ्तार दी गई है। टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों का इस्तेमाल चुशूल के इलाक़े में बहुत अच्छे ढंग से किया जा सकता है। इसलिए ब्रह्मास्त्र कोर लद्दाख में लड़ाई का रुख पलटने की हर सामर्थ रखता है।