CNG Price: सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) उपयोगकर्ताओं के लिए आने वाले दिनों में महंगाई की नई लहर का सामना करना पड़ सकता है। जहां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई कटौती नहीं की जा रही है, वहीं सरकार ने शहरी क्षेत्रों में सीएनजी की आपूर्ति के लिए प्राकृतिक गैस की घरेलू सप्लाई में 20% तक कटौती कर दी है। इसका सीधा असर सीएनजी की कीमतों पर पड़ सकता है, और अगले कुछ दिनों में सीएनजी के दाम में 4 से 6 रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि हो सकती है।
प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में कटौती क्यों की गई?
सूत्रों के अनुसार, पुरानी गैस उत्पादन साइटों से प्राकृतिक गैस का उत्पादन घट रहा है। इन क्षेत्रों से प्राप्त गैस का उपयोग मुख्य रूप से शहरी गैस वितरण कंपनियों के लिए किया जाता था, लेकिन उत्पादन में सालाना 5% की गिरावट हो रही है। इसके चलते सरकार ने सीएनजी के लिए कच्चे माल की आपूर्ति में कटौती का फैसला किया है। हालांकि, घरेलू रसोई गैस (पीएनजी) की आपूर्ति संरक्षित है, जिससे आम लोगों के घरों में इस्तेमाल होने वाली गैस की कीमतें प्रभावित नहीं होंगी।मई 2023 में पुरानी उत्पादन साइटों से निकाली गई गैस सीएनजी की कुल मांग का 90% हिस्सा पूरी करती थी, लेकिन अब यह घटकर अक्टूबर में 50.75% तक आ गई है। पिछले महीने यह आपूर्ति 67.74% थी, जो अब और कम हो गई है।
सीएनजी की कीमतों में संभावित वृद्धि
शहरी गैस खुदरा विक्रेताओं को अब इस कमी की भरपाई के लिए आयातित और महंगी तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) खरीदनी पड़ रही है। इससे सीएनजी की कीमतों में 4-6 रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि संभव है। जहां पुरानी उत्पादन साइटों से मिलने वाली गैस की कीमत 6.50 अमेरिकी डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) थी, वहीं आयातित एलएनजी की कीमत 11-12 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू है, जिससे लागत बढ़ गई है।हालांकि, खुदरा विक्रेताओं ने अभी तक सीएनजी की दरें नहीं बढ़ाई हैं, क्योंकि वे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहे हैं। वे इस मुद्दे को हल करने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं ताकि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार न पड़े।
सरकार के पास क्या विकल्प हैं?
एक संभावित विकल्प यह है कि सरकार सीएनजी पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती करे। वर्तमान में, केंद्र सरकार सीएनजी पर 14% उत्पाद शुल्क लगाती है, जो लगभग 14-15 रुपये प्रति किलोग्राम बैठता है। अगर सरकार इस टैक्स को कम कर देती है, तो खुदरा विक्रेताओं को कीमतें बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, और उपभोक्ताओं पर बोझ नहीं डाला जाएगा।सीएनजी की कीमतों में वृद्धि का मुद्दा राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील है, क्योंकि महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में चुनाव करीब हैं। दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख शहर सीएनजी के बड़े बाजार हैं, और यहां की जनता पर सीएनजी के दाम बढ़ने का सीधा असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
सीएनजी की कीमतों में संभावित वृद्धि से आने वाले समय में सीएनजी पर निर्भर रहने वाले वाहन मालिकों को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है। सरकार और खुदरा विक्रेताओं के बीच इस मामले पर बातचीत जारी है, और उम्मीद की जा रही है कि कोई ऐसा समाधान निकलेगा, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार न पड़े। हालांकि, अगर ईंधन पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती नहीं की गई, तो सीएनजी की कीमतों में वृद्धि होना लगभग तय है।