देश / भारत में ड्रोन संचालन के लिए एयरस्पेस मैप जारी; रेड, येलो व ग्रीन ज़ोन में बांटे गए इलाके

सरकार ने देश में ड्रोन संचालन के लिए इंटरेक्टिव एयरस्पेस मैप जारी किया है जिसमें रेड, येलो व ग्रीन ज़ोन में इलाके बंटे हैं। येलो ज़ोन में ड्रोन उड़ाने के लिए संबंधित एयर ट्रैफिक कंट्रोल अथॉरिटी से अनुमति लेनी होगी जबकि रेड ज़ोन 'नो-ड्रोन ज़ोन' है। ग्रीन ज़ोन में 400-फीट तक ड्रोन संचालन के लिए कोई अनुमति नहीं लेनी होगी।

Vikrant Shekhawat : Sep 25, 2021, 03:48 PM
नई दिल्ली: सरकार ड्रोन ऑपरेशन को लगातार उदार बनाते जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर को ड्रोन मैप को रिलीज किया था. अब ये मैप DGCA के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो गया है. ड्रोन यूजर्स इस मैप को इस वेबसाइट के जरिए देख सकते हैं ( https://digitalsky.dgca.gov.in/home.) लेकिन आखिर इस मैप में क्या हैं खास बातें इसे आप आसानी से नीचे दिए गए दस बिंदुओं से समझ सकते हैं

ड्रोन एयरस्पेस मैप्स की शीर्ष 10 विशेषताएं

ड्रोन एयरस्पेस मैप भारत का एक इंटरेक्टिव मैप है. ये मैप बताएगा कि किस जगह ड्रोन उड़ाई जा सकती है या नहीं. जहां ड्रोन उड़ई जा सकेगी उस जगह को मैप में यलो यानी पीले जोन में दिखाएगा और जिस जगह ड्रोन उड़ने पर प्रतिबंध है वहां रेड यानी लाल जोन दर्शाएगा. मैप इन दो जोनों में बंटा हुआ दिखाई देगा.

ग्रीन ज़ोन 400 फीट तक का एयरस्पेस है जिसे लाल या पीले जोन में शामिल नहीं किया गया है. साथ ही यह किसी भी ऑपरेशनल एयरपोर्ट के दायरे से 8-12 किमी के बीच स्थित क्षेत्र से 200 फीट ऊपर होगा.

ग्रीन जोन में, 500 किलोग्राम तक वजन वाले ड्रोन के संचालन के लिए किसी भी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी.

ग्रीन ज़ोन में ही 400 फीट से ऊपर के एयरस्पेस को यलो जोन स्पेस दर्शाया गया है. ये किसी भी ऑपरेशनल एयरपोर्ट की परिधि से 8-12 किमी के बीच स्थित जोन में 200 फीट से ऊपर और ऑपरेशनल एयरपोर्ट की परिधि से 5-8 किमी के बीच स्थित क्षेत्र में जमीन के ऊपर दिया गया है.

पीले जोन में ड्रोन ऑपरेशन के लिए संबंधित एयर ट्राफिक कंट्रोल अथॉरिटी (हवाई यातायात नियंत्रण प्राधिकरण) - AAI, IAF, नौसेना, HAL आदि से अनुमति की आवश्यकता होगी.

पहले हवाई अड्डे की परिधि से येलो जोन 45 किमी के दायरे में था अब इसे घटाकर 12 किमी कर दिया गया है.

रेड ज़ोन 'नो-ड्रोन ज़ोन' है जिसके भीतर केंद्र सरकार की अनुमति के बाद ही ड्रोन का संचालन किया जा सकता है.

हवाई क्षेत्र के नक्शे को अधिकृत संस्थाओं द्वारा समय-समय पर संशोधित किया जा सकता है.

ड्रोन ऑपरेशन की योजना बनाने वाले किसी भी व्यक्ति को क्षेत्र की सीमाओं में किसी भी बदलाव के लिए नवीनतम हवाई क्षेत्र के नक्शे की अनिवार्य रूप से जांच करनी चाहिए.

ड्रोन एयरस्पेस का नक्शा बिना किसी लॉगिन के सभी के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर मुफ्त में उपलब्ध है.

कितनी उम्मीदे हैं ड्रोन से जुड़े उद्योगों से

ड्रोन PLI स्कीम और आसानी से उपलब्ध किए जा रहे ड्रोन मैप का असर ये होगा कि आनेवाले समय में ड्रोन और ड्रोन कंपोनेंट्स निर्माण उद्योग में अगले तीन वर्षों में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हो सकता है. ड्रोन निर्माण उद्योग का वार्षिक बिक्री कारोबार 2020-21 में 60 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 900 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है. ड्रोन निर्माण उद्योग से अगले तीन वर्षों में 10,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के पैदा होने की उम्मीद है.

ड्रोन सर्विस इंडस्ट्री (ऑपरेशन, मैपिंग, निगरानी, कृषि-छिड़काव, रसद, डेटा विश्लेषण, सॉफ्टवेयर विकास आदि) और भी बड़े पैमाने पर विकसित होगा. अगले तीन वर्षों में इसके बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है. ड्रोन सर्विस इंडस्ट्री से तीन वर्षों में पांच लाख से अधिक रोजगार पैदा होने की उम्मीद है.