News18 : Sep 21, 2020, 08:03 AM
Delhi: हर साल 21 सितंबर (21 September) को विश्व शांति दिवस (International Peace Day) मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का खास मकसद यही है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों और नागरिकों के बीच शांति व्यवस्था कायम रहे और इसके लिए प्रयास किए जाते रहें। इस दिवस के जरिये दुनिया भर के देशों और नागरिकों के बीच शांति के संदेश का प्रचार और प्रसार किया जाता है। सफेद कबूतर को शांति का दूत माना जाता है। इसलिए विश्व शांति दिवस के मौके पर सफेद कबूतरों को उड़ाकर शांति का संदेश दिया जाता है।
शांति बनाए रखने को मनाया जाता है यह दिवसदुनिया के सभी देशों और लोगों के बीच शांति बनी रहे इसके लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1981 में विश्व शांति दिवस मनाने की घोषणा की थी। यही वजह है कि पहली बार 1982 में विश्व शांति दिवस मनाया गया।1982 से लेकर 2001 तक सितंबर महीने के तीसरे मंगलवार को विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता रहा, लेकिन 2002 से यह 21 सितंबर को मनाया जाने लगा।विश्व शांति के लिए भारत का मूल मंत्र
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विश्व में शांति बनी रहे इसके लिए 5 मूल मंत्र दिए थे। ये 'पंचशील के सिद्धांत' के तौर पर भी जाने जाते हैं। इनके मुताबिक विश्व में शांति की स्थापना के लिए एक-दूसरे की प्रादेशिक अखंडता बनाए रखने और सम्मान किए जाने की बात कही गई थी।
बजाई जाती है खास घंटीइंटरनेशनल पीस डे यानी विश्व शांति दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय (न्यूयॉर्क) में संयुक्त राष्ट्र शांति की घंटी बजाकर की जाती है। इस घंटी के एक तरफ लिखा हुआ है कि विश्व में शांति सदैव बनी रहे। यह घंटी अफ्रीका को छोड़कर सभी महाद्वीपों के बच्चों के दान किए गए सिक्कों से बनाई गई है। खास बात यह है कि इसे जापान के यूनाइटेड नेशनल एसोसिएशन ने तोहफे में दिया था।
सफेद कबूतर उड़ा कर शांति का संदेशइंटरनेशनल पीस डे के अवसर को दुनिया के हर देश में जगह-जगह सफ़ेद कबूतरों को उड़ा कर शांति का संदेश दिया जाता है। यह कबूतर शांति के प्रतीक हैं जो 'पंचशील' के सिद्धांतों को दुनिया भर में फैलाते हैं। सफेद कबूतर उड़ाने की यह परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। कबूतर को शांत स्वभाव का पक्षी माना जाता है। यही वजह है कि इसे शांति और सदभाव का प्रतीक बनाया गया है।
शांति बनाए रखने को मनाया जाता है यह दिवसदुनिया के सभी देशों और लोगों के बीच शांति बनी रहे इसके लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1981 में विश्व शांति दिवस मनाने की घोषणा की थी। यही वजह है कि पहली बार 1982 में विश्व शांति दिवस मनाया गया।1982 से लेकर 2001 तक सितंबर महीने के तीसरे मंगलवार को विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता रहा, लेकिन 2002 से यह 21 सितंबर को मनाया जाने लगा।विश्व शांति के लिए भारत का मूल मंत्र
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विश्व में शांति बनी रहे इसके लिए 5 मूल मंत्र दिए थे। ये 'पंचशील के सिद्धांत' के तौर पर भी जाने जाते हैं। इनके मुताबिक विश्व में शांति की स्थापना के लिए एक-दूसरे की प्रादेशिक अखंडता बनाए रखने और सम्मान किए जाने की बात कही गई थी।
बजाई जाती है खास घंटीइंटरनेशनल पीस डे यानी विश्व शांति दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय (न्यूयॉर्क) में संयुक्त राष्ट्र शांति की घंटी बजाकर की जाती है। इस घंटी के एक तरफ लिखा हुआ है कि विश्व में शांति सदैव बनी रहे। यह घंटी अफ्रीका को छोड़कर सभी महाद्वीपों के बच्चों के दान किए गए सिक्कों से बनाई गई है। खास बात यह है कि इसे जापान के यूनाइटेड नेशनल एसोसिएशन ने तोहफे में दिया था।
सफेद कबूतर उड़ा कर शांति का संदेशइंटरनेशनल पीस डे के अवसर को दुनिया के हर देश में जगह-जगह सफ़ेद कबूतरों को उड़ा कर शांति का संदेश दिया जाता है। यह कबूतर शांति के प्रतीक हैं जो 'पंचशील' के सिद्धांतों को दुनिया भर में फैलाते हैं। सफेद कबूतर उड़ाने की यह परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। कबूतर को शांत स्वभाव का पक्षी माना जाता है। यही वजह है कि इसे शांति और सदभाव का प्रतीक बनाया गया है।