पाली / अफसर बेटा चुका रहा माटी का कर्ज, चमन कर रहा गांव की फिजा

पाली जिले के मेलावास गांव आइए। भारत के महान राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की संकल्पना प्रोवाइडिंग अरबन एमन​टीज इन रुरल एरियाज यानि गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं यहां पूरी होती नजर आ रही है। किसी सरकारी व्यवस्था के तहत नहीं, बल्कि गांव के एक बेटे के अपनी मिट्टी के प्रति प्रेम की बदौलत। ये हैं 2010 यूपीएससी बैच के आईआरएस अधिकारी घनश्याम सोनी। फिलहाल वे सूरत में कस्टम उपायुक्त के तौर पर कार्यरत हैं।

Vikrant Shekhawat : Oct 10, 2019, 01:50 PM
पाली | पाली (Pali Rajasthan) जिले के मेलावास गांव (Melawas Village) आइए। भारत के महान राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) की संकल्पना प्रोवाइडिंग अरबन एमन​टीज इन रुरल एरियाज PURA (Providing Urban Amenities in Rural Areas) यानि गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं यहां पूरी होती नजर आ रही है। किसी सरकारी व्यवस्था के तहत नहीं, बल्कि गांव के एक बेटे के अपनी मिट्टी के प्रति प्रेम की बदौलत। ये हैं 2010 यूपीएससी बैच के आईआरएस अधिकारी घनश्याम सोनी (IRS Ghanshyam Soni)। जो राजस्व सेवा (Indian Revenue Service) जैसी बिजी शिड्यूल वाली अखिल भारतीय स्तर की सर्विस में होने के बावजूद अपने गांव के लिए समय निकालते हैं और गांव की गलियों में प्रगति के रंग भर रहे हैं। 
मेलावास गांव में प्रवेश करने पर आपको अहसास होगा कि अच्छी सड़क और स्वच्छता के साथ—साथ हरभरे पेड़ आपका स्वागत करते हैं। सोनी ने अपनी मुहिम में सभी गांव वालों को साथ लिया और पूरा गांव उनकी पहल में साथ देता है। फिलहाल वे सूरत में कस्टम उपायुक्त के तौर पर कार्यरत हैं। 
सोनी अपनी सफलता का श्रेय गांव वालों को ही देते हैं। वे कहते हैं कि उनकी मदद और सहयोग के बिना कोई भी प्रयास फलीभूत नहीं हो सकता। मेरे गांव के लोग बहुत सीधे—अच्छे और सरल स्वभाव के हैं। गांव में शिक्षा, चिकित्सा, स्वच्छता जैसे मूलभूत विषयों पर प्रभावी काम करने की सदा से इच्छा थी, और माता—पिता के आशीर्वाद से इन्हें मैं पूरा कर पाया हूं। यह सभी के सहयोग से ही संभव हो सका है। 

सभी के लिए नजीर बन सकता है मेलावास
अफसर तो बहुत जगह पैदा होते हैं। परन्तु घनश्याम सोनी पर पूरे गांव ही नहीं बल्कि जिले को देश को गर्व है। देश में सांसदों और विधायकों ने भी गांव गोद ले रखे हैं, लेकिन उन गांवों की स्थिति अनाथ गांवों जैसी हो रखी है। उन्हें मेलावास में हुए विकास से संकल्प लेना चाहिए और घनश्याम सोनी की तरह ग्रामीणों को योजनाओं से जोड़ते हुए विकास की संकल्पना को मूर्त रूप देना चाहिए। ताकि विकास की गंगा मूर्त रूप से बह सके। 

मेलावास बना मॉडल गांव
सोनी ने बताया कि जिस दिन स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई, उसी दिन हमने स्वच्छ मेलावास की शुरुआत की और गांव वालों से साथ ही मिशन पर जुट गए। परिणाम सामने आया है। समीपवर्ती धुंधला जाने वाली सड़क को चौड़ा करवाया। अतिक्रमण हटावाया गया और सभी के सहयोग से ही यह संभव हो पाया हैं। 

सोलर पावर हाउस बनवाया, CCTV भी 
गांव में बिजली की समस्या को देखते हुए एक सोलर पॉवर हाउस भी बनाया गया है। सड़क पर रोशन 120 बिजली पोल इसी पॉवर हाउस से रोशन हैं। यही नहीं गांव को सीसीटीवी कैमरा लगाकर सुरक्षा की नजर से भी महफूज किया गया है। गांव में चिकित्सालय और पशु चिकित्सालय को प्रभावी करने में भी सोनी का अहम योगदान है।

सोनी को मिला गुजरात रत्न श्री पुरस्कार
वीर नर्मदा गुजरात विश्वविद्यालय में अपने गांव की सेवा के लिए आईआरएस घनश्याम सोनी को विश्व रिकार्ड फाउण्डेशन व अवेयरनेस पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से गुजरात रत्नश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इससे पूर्व इन्हें ग्लोबल डिग्नेट्री पुरस्कार भी दिया जा चुका है।

बचपन से ही गांव के प्रति था सपना
मेलावास गांव में कंवरलाल और घीसीदेवी के घर में वर्ष 1979 में पैदा हुए घनश्याम भारतीय सवि​ल सर्विस जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी ग्लैमर की चकाचौंध में नहीं खोए और गांव को नहीं भूले। यही नहीं वे अपनी पढ़ाई के दौरान गोल्ड मैडलिस्ट रहे बावजूद सरकारी संस्थानों में पढ़ने के। सोनी सरकारी संस्थानों को भारतीय शिक्षण व्यवस्था की रीढ़ मानते हैं। इनकी धर्मपत्नी श्रीमती अनिता सोनी भी कॉलेज व्याख्याता रह चुकी हैं और ग्रामीण विकास के लिए अपने पति की खूब मदद करती हैं। इनका बेटा राजदीप सूरत के केन्द्रीय विद्यालय में अध्ययनरत हैं। सोनी बताते हैं कि गांव के विकास का बचपन से ही सपना था। सभी के सहयोग से वह धीरे—धीरे पूरा हो रहा है।