National Scout Guide Jamboree / 35 हजार बच्चों के लिए बसाया गांव

जोधपुर-पाली बॉर्डर पर बसे निम्बली गांव में आज से 18वीं नेशनल स्काउट-गाइड जम्बूरी की शुरुआत हो रही है। पाली जिले में रीको की जमीन पर 35 हजार स्टूडेंट के रहने के लिए यहां टेंट के ब्लॉक बनाए गए हैं। इस जम्बूरी की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व राज्यपाल कलराज मिश्र करेंगे। इससे पूर्व मंगलवार को उद्घाटन समारोह को लेकर रिहर्सल की गई। ये राजस्थान की अब तक की दूसरी जम्बूरी है, इससे पहले राजस्थान में 1956 में पहली जम्बूरी

Vikrant Shekhawat : Jan 04, 2023, 09:11 PM
National Scout Guide Jamboree: जोधपुर-पाली बॉर्डर पर बसे निम्बली गांव में आज से 18वीं नेशनल स्काउट-गाइड जम्बूरी की शुरुआत हो रही है। पाली जिले में रीको की जमीन पर 35 हजार स्टूडेंट के रहने के लिए यहां टेंट के ब्लॉक बनाए गए हैं। इस जम्बूरी की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व राज्यपाल कलराज मिश्र करेंगे। इससे पूर्व मंगलवार को उद्घाटन समारोह को लेकर रिहर्सल की गई। ये राजस्थान की अब तक की दूसरी जम्बूरी है, इससे पहले राजस्थान में 1956 में पहली जम्बूरी जयपुर में आयोजित हुई थी। 66 साल बाद राजस्थान को दूसरी बार मौका मिल रहा है। ऐसे में इस बार इसको लेकर तैयारियां भी खास है।


इस जम्बूरी में 35 हजार देशी-विदेशी स्काउट-गाइड भाग लेंगे। इनके लिए 220 हेक्टेयर के विशाल मैदान में 3520 टेंट लगाए जाने की व्यवस्था की गई है। जम्बूरी में विदेशी राष्ट्रों जैसे बांग्लादेश, घाना, सऊदी अरब, नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया, केन्या आदि से 400 स्काउट-गाइड भाग लेंगे।

राष्ट्रीय जम्बूरी को लेकर जैसे-जैसे आयोजन होते रहे हैं, वैसे ही इसमें हिस्सा लेने वाले स्काउट-गाइड की संख्या बढ़ती गई। 70 साल में 5 गुना संख्या बढ़ी। 1953 में जब पहली बार हैदराबाद में जम्बूरी का आयोजन किया गया था। उस दौरान 7 हजार के करीब स्काउट-गाइड ने हिस्सा लिया। जबकि इस बार राजस्थान में हो रही जम्बूरी में ये संख्या बढ़कर 35 हजार हो गई।

आयोजन स्थल पर पहुंचीं राष्ट्रपति


राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू 3 बजे आबूरोड से जम्बूरी स्थल पहुंचीं। यहां उन्होंने आयोजन स्थल का निरीक्षण किया। इससे पहले राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू माउंट आबू थीं। यहां सुबह साढ़े तीन 30 बजे ध्यान साधना की मेडिटेशन किया। इसके बाद 7:00 बजे का मुरली क्लास में हिस्सा लिया और वहां सदस्यों को संबोधित किया। वे संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय पांडव भवन गईं और वहां ब्रह्मा बाबा की कमरे में और उसके बाद उनकी कुटिया , समाधि स्थल शांति स्तम्भ पर पुष्पाजंलि अर्पित की। हिस्ट्री हाल में बाबा का ध्यान कर फिर वह अपने काफिले के साथ ज्ञान सरोवर पहुंच गई। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने ज्ञान सरोवर में किया प्लांटेशन भी किया।

राष्ट्रपति ने जम्बूरी में संबोधित करते हुए कहा कि स्काउट-गाइड देश का सबसे बड़ा संगठन है। इसमें 24 लाख स्काउट-गाइड है लेकिन इसकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है। स्काउटिंग आपका जीवन सवारने का काम करती है। इस दौरान उन्होंने स्काउट-गाइड के बच्चों के साथ हम होंगे कामयाब गीत भी गाया।

इससे पहले सीएम अशोक गहलोत ने भी संबोधित करते हुए कहा कि स्काउट-गाइड बनना गर्व की बात है। स्काउटिंग में हम संस्कार और सोशल सर्विस सीखते हैं। सीएम ने कहा कि राष्ट्रपति का आना हमारे लिए गर्व की बात है।


इस दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। बीएसएफ की ओर से सूर्य किरण विमान से आसमान में करतब दिखाए गए।

लेकिन, जम्बूरी में हिस्सा लेने वाले स्काउट-गाइड की कहानी भी बड़ी रोचक है...ये वो बच्चों की सेना थी जिन्होंने युद्ध लड़ा।

सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में बच्चों की सेना बना ट्रेनिंग दी गई

साउथ अफ्रिका के मैफकिंग कस्बे में सन 1899-1900 के बीच 1500 गोरे और 8000 स्थानीय लोग रहते थे। डच लोग जिन्हें बोआर कहा जाता था वह मैफकिंग को अपने कब्जे में लेना चाहते थे। बोआर की 9000 सेना ने मैफकिंग को घेर लिया। इस दौर में बेडन पावल (जिन्होंने स्काउट की स्थापना की) वहां पोस्टेड थे। युद्ध लड़ने के लिए उनके पास महल 1 हजार सैनिक और 8 बंदूकें थीं। पावेल ने 218 दिन तक डच लोगों को अपने कस्बे में घुसने नहीं दिया। कारण था कि पावल के स्टाफ ऑफिसर एडवर्ड सिसिल ने मैफकिंग के 9 वर्ष से अधिक उम्र के लड़कों की एक सेना तैयार की। उन्हें वर्दी पहना कर ट्रेनिंग दी गई। फर्स्ट ऐड और दूसरे कामों में उन्हें लगाया और जो सैनिक थे उन्हें युद्ध लड़ने के लिए।


इस घटना से प्रेरित होकर उन्होंने एड्स टू स्काउटिंग नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक से प्रभावित होकर मि. स्मिथ ने बेडन पावल से लड़कों के लिए स्काउटिंग शुरू करने का आग्रह किया। इस पर 1907 में इंग्लिश चैनल में पुल हार्वर के निकट ब्राउन सी द्वीप में 29 जुलाई से 9 अगस्त तक समाज के विभिन्न वर्गों के 20 लड़कों का प्रथम स्काउट शिविर बेडन पावेल ने आयोजित किया। इस शिविर के अनुभवों को उन्होंने स्काउटिंग फॉर बॉयज नामक अपनी प्रसिद्ध पुस्तक में लिखा है।

राजस्थान में स्काउट गाइड

जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, भरतपुर, अलवर और अजमेर में विभिन्न इकाइयों की स्थापना के बाद से स्काउट गाइड राजस्थान में 20वीं सदी के दूसरे दशक में सक्रिय हुआ। प्रथम स्काउट टुकड़ी 1912 में चालू हुई। राज्य में अब, एक राज्य मुख्यालय 7 मंडल मुख्यालय, 33 जिला मुख्यालय और 273 स्थानीय संघ स्कूलों में इकाइयों के साथ अच्छी तरह से चल रही हैं ।

1947 में भारत ने 165 सदस्य दल पेरिस विश्व स्काउट और गाइड की जम्बूरी में गया

1947 में विश्व युद्ध के बाद जब पेरिस में विश्व स्काउट और गाइड की जम्बूरी हुई तब भारत ने 165 सदस्य दल पेरिस भेजा। इस दल में तत्कालीन राजपूताना के स्काउट गाइड, जिसमें अजमेर के मेयो कॉलेज के छात्र और जयपुर के जसदेव सिंह, पी.पी सिंह एच एन निगम के अलावा जयपुर के मेयो कॉलेज के छात्र रणबीर सिंह भी दल में शामिल थे। इस राजपूताना दल का नेतृत्व अजमेर के दान मन माथुर ने किया था।

कार्यक्रम में बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड, एक साथ 35 हजार बच्चे गाएंगे जम्बूरी गीत

18वीं नेशनल जम्बूरी को लेकर पाली के टीचर दीपक जावा ने एक सॉन्ग लिखा है। इस गीत के प्रोमो को कुछ दिनों पहले सीएम अशोक गहलोत ने लॉन्च किया था। कार्यक्रम के दौरान एक दिन 35 हजार बच्चे एक साथ ये सॉन्ग गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएंगे। इतना ही नहीं अब तक की हुई जम्बूरी में 22 हजार कैंडिडेट आए थे, लेकिन इस बार पाली में होने वाली जम्बूरी रिकॉर्ड तोड़ेगी।

खास बात ये भी रहेगी कि इसमें स्थानीय लोगों को भी जाने का मौका मिलेगा, इसके लिए विजिटर्स पास बनाए जाएंगे।