AMAR UJALA : Oct 14, 2019, 07:56 AM
नेपाल | भारत से सीधे नेपाल दौरे पर पहुंचे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार को चेतावनी दी कि चीन को ‘बांटने’ की कोशिश करने वालों को बुरी तरह ‘मसल’ दिया जाएगा। जिनपिंग ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ वार्ता के दौरान यह बात कही। इसे जिनपिंग की ओर से नेपाल पर दलाई लामा समर्थक तिब्बतियों की आवाजाही रोकने का दबाव बनाने की कोशिश माना जा रहा है।
जिनपिंग ने यह भी कहा कि ऐसी कोशिश करने वालों का साथ देने वाली बाहरी ताकतों को भी चीनी लोग चकनाचूर कर देंगे। हालांकि जिनपिंग ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि इस बयान के जरिए उन्होंने भारत की ओर इशारा किया है, जिसने सर्वोच्च तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को शरण दे रखी है और तिब्बत की निवार्सित सरकार को भी मान्यता दे रखी है।दलाई लामा को चीन विद्रोही की नजर से देखता हैबता दें कि हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे दलाई लामा को चीन विद्रोही की नजर से देखता है और 84 वर्षीय दलाई लामा की तरफ से चीन को तिब्बत पर से अवैध कब्जा खत्म करने के लिए कहने को भी चीन देश विरोधी मानता है। नेपाल-तिब्बत सैकड़ों किलोमीटर लंबी सीमा के साथ जुड़े हैं। नेपाल में तिब्बत छोड़कर आए करीब 20 हजार शरणार्थी हैं, जो दलाई लामा के समर्थक हैं।इसके अलावा हर साल तिब्बत से करीब दो से ढाई हजार लोग अवैध तरीके से नेपाल की सीमा में घुसकर वहां से दलाई लामा के दर्शन करने धर्मशाला पहुंचते हैं। कई लोगों का मानना है कि चीन की मंशा नेपाल में रह रहे तिब्बतियों को अपने यहां प्रत्यर्पित करने की है और काठमांडू पर इसी का दबाव बनाने को जिनपिंग ने यह बयान दिया है ताकि नेपाल आसानी से प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर कर दे। हालांकि नेपाली प्रधानमंत्री ओली ने जिनपिंग को आश्वस्त किया कि उनका देश किसी भी चीन विरोधी गतिविधि को अपनी धरती से अंजाम नहीं देने देगा।नेपाल ने माना तिब्बत-ताइवान को चीन का आंतरिक मामलानेपाल प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि उनका देश चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का मजबूती से समर्थन करता है और 'एक चीन' नीति के पक्ष में खड़ा है। दोनों शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद संयुक्त बयान में कहा गया कि ताइवान को नेपाल चीनी संप्रभु क्षेत्र का अटूट हिस्सा मानता है और तिब्बत समस्या के भी चीन का आंतरिक मामला होने का समर्थन करता है।
जिनपिंग ने यह भी कहा कि ऐसी कोशिश करने वालों का साथ देने वाली बाहरी ताकतों को भी चीनी लोग चकनाचूर कर देंगे। हालांकि जिनपिंग ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि इस बयान के जरिए उन्होंने भारत की ओर इशारा किया है, जिसने सर्वोच्च तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को शरण दे रखी है और तिब्बत की निवार्सित सरकार को भी मान्यता दे रखी है।दलाई लामा को चीन विद्रोही की नजर से देखता हैबता दें कि हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे दलाई लामा को चीन विद्रोही की नजर से देखता है और 84 वर्षीय दलाई लामा की तरफ से चीन को तिब्बत पर से अवैध कब्जा खत्म करने के लिए कहने को भी चीन देश विरोधी मानता है। नेपाल-तिब्बत सैकड़ों किलोमीटर लंबी सीमा के साथ जुड़े हैं। नेपाल में तिब्बत छोड़कर आए करीब 20 हजार शरणार्थी हैं, जो दलाई लामा के समर्थक हैं।इसके अलावा हर साल तिब्बत से करीब दो से ढाई हजार लोग अवैध तरीके से नेपाल की सीमा में घुसकर वहां से दलाई लामा के दर्शन करने धर्मशाला पहुंचते हैं। कई लोगों का मानना है कि चीन की मंशा नेपाल में रह रहे तिब्बतियों को अपने यहां प्रत्यर्पित करने की है और काठमांडू पर इसी का दबाव बनाने को जिनपिंग ने यह बयान दिया है ताकि नेपाल आसानी से प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर कर दे। हालांकि नेपाली प्रधानमंत्री ओली ने जिनपिंग को आश्वस्त किया कि उनका देश किसी भी चीन विरोधी गतिविधि को अपनी धरती से अंजाम नहीं देने देगा।नेपाल ने माना तिब्बत-ताइवान को चीन का आंतरिक मामलानेपाल प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि उनका देश चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का मजबूती से समर्थन करता है और 'एक चीन' नीति के पक्ष में खड़ा है। दोनों शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद संयुक्त बयान में कहा गया कि ताइवान को नेपाल चीनी संप्रभु क्षेत्र का अटूट हिस्सा मानता है और तिब्बत समस्या के भी चीन का आंतरिक मामला होने का समर्थन करता है।