रायगढ़ / आरएसएस के लोगों की खाकी पैंट व ड्रम भारतीय नहीं, हिटलर से प्रेरित: भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को कहा, "आरएसएस के लोग हिटलर और मुसोलिनी (इटली के पूर्व प्रधानमंत्री) को आदर्श मानते हैं।" बघेल ने कहा, "उनसे प्ररेणा लेकर ये लोग काली टोपी व खाकी पैंट पहनते हैं और ड्रम बजाते हैं। यह न भारत की वेशभूषा है और न ही यहां के वाद्ययंत्र हैं।"

Live Hindustan : Nov 15, 2019, 10:46 AM
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बृहस्पतिवार को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को घेरा और कहा कि संघ की वेशभूषा और वाद्ययंत्र भारतीय नहीं है। बघेल ने रायपुर के राजीव भवन में नेहरू जयंती व्याख्यान देते हुए कहा कि यह न भारत की वेशभूषा है और न ही यहां का वाद्ययंत्र है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस मुसोलिनी से मिलने दुनिया भर के नेता तरसते थे। वह कभी किसी के सम्मान में खड़े नहीं होते थे। वह मुसोलिनी नेहरू जी से मिलना चाहते थे लेकिन नेहरू जी नहीं मिले। बघेल ने कहा कि आज जो लोग नेहरू जी का कद कम करना चाहते हैं, दरअसल वह लोकतंत्र को कमजोर करना चाहते हैं। वह नेहरू जी का कद इसलिए कम करना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने जो लकीर खींची थी उस लकीर तक पहुंचना उनके लिए दूर की बात है। इसलिए वह कद कम करने की कोशिश करते हैं।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि हमारे नेता हमेशा अपने विचारों में दृ़ढ़ रहे। उन्होंने अंग्रेजों के शासनकाल में जेल जाना पसंद किए। गांधी जी कहते थे कि आपके कानून में इससे कड़ी सजा हो तो दीजिए क्योंकि मैने अपराध किया है। यह गांधी जी और नेहरू जी के विचार हैं। 

बघेल ने कहा कि राम मंदिर के लिए ये लोग आंदोलन कर रहे थे जबकि कांग्रेस शुरू से कहती रही है कि जो न्यायालय फैसला करेगा हम उसका सम्मान करेंगे। जो फैसला आया भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नहीं किया यह माननीय उच्चतम न्यायालय ने किया है। ये तो केवल राजनीतिक रोटी सेकते रहे। ये अपने लिए, अपने स्वार्थ के लिए देश में आग लगाने का काम कर सकते हैं।