Vikrant Shekhawat : Aug 14, 2024, 04:40 PM
Munawar Faruqui News: स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी अपने चुटकुलों को लेकर जितने लोकप्रिय हैं, उतने ही विवादों को लेकर चर्चा में रहते हैं. अपने विवादित चुटकुले के कारण जेल यात्रा तक कर आए हैं तो रियलिटी टीवी शो बिग बॉस भी जीत चुके हैं. अब एक बार फिर वह विवादों में घिरे हैं कोंकणी समुदाय पर अपनी टिप्पणी को लेकर. इसके बाद उन्हें रौंदने की धमकी तक दे दी गई. हालांकि, उन्होंने माफी मांग ली है. आइए इसी बहाने जान लेते हैं कि आखिर क्या है कोंकणी समुदाय, जिस पर मुनव्वर फारुकी ने टिप्पणी की थी.महाराष्ट्र से गोवा तक फैला है कोंकणमुन्नवर फारुकी ने जिस कोंकणी समुदाय पर टिप्पणी की है, वह महाराष्ट्र और गोवा के तटीय जिलों के मूल निवासी हैं. कोंकण वास्तव में 720 किमी लंबा समुद्र तटीय इलाका है, जो महाराष्ट्र और गोवा के अलग-अलग जिले में फैला है. यहां निवास करने वाले लोगों की मूल भाषा कोंकणी है. हालांकि, कोंकणी लोग इस भाषा की अलग-अलग बोलियों का इस्तेमाल करते हैं, ठीक उसी तरह से जैसे हिन्दी की कई बोलियां अवधी, भोजपुरी, मगही, कशिका आदि हैं. यही कोंकणी भाषा गोवा की राजकीय भाषा भी है. ऐसा माना जाता है कि कोंकणी भाषा प्राकृत और अपभ्रंश से विकसित हुई है और यह सरस्वती नदी के किनारों पर रहने वाले सारस्वत ब्राह्मणों की पुरानी भाषा सरस्वती का ही बचा हुआ रूप है.काफी प्राचीन है कोंकणी समुदाय का इतिहासवास्तव में कोंकणी लोग कोंकण क्षेत्र में रहने वाले इंडो-आर्यन जातीय भाषाई समूह के लोग हैं. कोंकणी समुदाय की संस्कृति अद्वितीय है. इनकी वेशभूषा, भोजन, परंपराएं, रीति रिवाज, कला और वास्तुकला बेजोड़ है. इनकी कवि कला वास्तव में अद्वितीय है. इसका नमूना कोंकणी मंदिरों के अंदर और बाहर के हिस्सों को सुशोभित करता है. कोंकणी समुदाय का इतिहास काफी प्राचीन है और ये मूल रूप से सरस्वती नदी के किनारे रहने वाले सारस्वत ब्राह्मण हैं.बताया जाता है कि 2500 से 1700 ईसा पूर्व के बीच भौगोलिक बदलावों के कारण उत्तर, दक्षिण और पूर्व में फैली सरस्वती नदी विलुप्त होती चली गई. इसके कारण सरस्वती तट पर जीवन-यापन करने वाले लोगों को पलायन करना पड़ा और ये मुख्य रूप से सह्याद्री पर्वत शृंखला के दक्षिण और पश्चिम की ओर चले गए.सारस्वत ब्राह्मण ही वास्तव में कोंकणी समुदायसह्याद्री पर्वत शृंखला के दक्षिण और पश्चिम क्षेत्र को सामान्यतया कोना कहा जाता था. इसे सबसे सुरक्षित कोना भी माना जाता था. यही आगे चलकर कोंकणा कहलाया और अब कोंकण क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. इस क्षेत्र में आकर बसे सारस्वत ब्राह्मण कोंकणी कहे गए. साल 1351 ईस्वी में कोंकण क्षेत्र खासकर गोवा की प्रमुख बस्ती पर बहमनी साम्राज्य के हसन गंगू जाफर ने हमला कर दिया था और साल 1357 ईस्वी से उसके बेटे गजनी मोहम्मद ने इस क्षेत्र पर शासन शुरू किया जो बेहद क्रूर था. फिर बीजापुर के तुर्की शासक यूसुफ आदिल शाह के समय में भी सारस्वत ब्राह्मओं पर अत्याचार हुआ. इन सबके कारण सारस्वत ब्राह्मणों को एक बार फिर दक्षिण की ओर पलायन करना पड़ा.हमले के कारण करना पड़ा पलायनइतिहासकार बताते हैं कि 26 फरवरी 1510 को पुर्तगाल के कमांडर अल्फोंसो डी अल्बुकर्क और तिम्मन्ना नायक ने गोवा को जीत लिया. इसके बाद स्थानीय लोगों को जबरन ईसाई बनाया जाने लगा. कोंकणी लोगों का दमन होने लगा और उनकी भाषा-संस्कृति पर हमला किया गया. सारस्वत ब्राह्मण अपने साथ जिन वेदों और पांडुलिपियों को बचाकर लाए थे, उन्हें नष्ट कर दिया गया. इसके कारण फिर से कोंकणी लोगों ने महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक और गुजरात की ओर पलायन किया था. इसीलिए कोंकणी भाषा बोलने वाले लोग गोवा और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों के अलावा कर्नाटक, दमन, केरल और गुजरात में भी पाए जाते हैं.मुनव्वर ने वीडियो जारी कर माफी मांगीमुनव्वर फारुकी ने अपने एक शो में मजाक-मजाक में महाराष्ट्र के कोंकणी समुदाय के लिए अपशब्द का प्रयोग किया था. इस पर शिवसेना के शिंदे गुट के विधायक सदा सरवणकर के बेटे समाधान सरवरणकर ने एक्स पर पोस्ट कर उन्हें धमकी दी थी कि पाकिस्तान प्रेमी मुनव्वर फारुकी ने माफी नहीं मांगी, तो जहां भी दिखेंगे, वहीं पिटाई कर दी जाएगी. मुनव्वर की पिटाई करने वाले को एक लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा भी की थी.भाजपा नेता नितेश राणे ने कहा था कि तुम (मुनव्वर) जैसे हरे सांप को पाकिस्तान भेजने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. इसके बाद मुनव्वर फारुकी ने एक वीडियो शेयर कर कोंकणी समुदाय से माफी मांग ली.बताते चलें कि मुनव्वर फारुकी ने साल 2021 में भगवान राम और माता सीता के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके कारण उनको जेल जाना पड़ा था. मुनव्वर से जुड़ा आयशा खान विवाद तो जगजाहिर है.