सत्याग्रह / नींदड़ जमीन समाधि सत्याग्रह : वे जब विपक्ष थे तो साथ थे, सरकार में आए तो मौन हैं

जब कांग्रेस प्रदेश में विपक्ष की भूमिका निभा रही थी तब नींदड़ के किसानों के सत्याग्रह के समर्थन में थी और किसान हित के नाम पर ही सत्ता में आई थी, लेकिन अब सरकार में आने के बाद उनका मौनव्रत शुरू हो गया है। प्रस्तावित नींदड़ आवासीय योजना के तहत जेडीए ने अपना कब्जा लेना शुरू कर दिया तो वहीं किसानों ने इसके विरोध में एक बार फिर से जमीन सत्याग्रह शुरू कर दिया है। छात्रसंघ अध्यक्ष डॉ. नगेन्द्रसिंह शेखावत की अगुवाई में ...

Vikrant Shekhawat : Jan 08, 2020, 04:27 PM
जयपुर। जब कांग्रेस प्रदेश में विपक्ष की भूमिका निभा रही थी तब नींदड़ के किसानों के सत्याग्रह के समर्थन में थी और किसान हित के नाम पर ही सत्ता में आई थी, लेकिन अब सरकार में आने के बाद उनका मौनव्रत शुरू हो गया है। राजधानी के हरमाड़ा में प्रस्तावित नींदड़ आवासीय योजना के तहत जेडीए ने अपना कब्जा लेना शुरू कर दिया तो वहीं किसानों ने इसके विरोध में एक बार फिर से जमीन सत्याग्रह शुरू कर दिया है। राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष डॉ. नगेन्द्रसिंह शेखावत की अगुवाई में बड़ी संख्या में किसान नींदड़ में एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने फिर से जमीन समाधि सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत कर दी है। कंधों तक का शरीर जमीन में दबाकर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। काफी समय बीत जाने के बावजूद सरकार की ओर से अभी तक कोई सुनवाई करने नहीं पहुंचा है।

धरने की अगुवाई कर रहे डॉ. नगेन्द्रसिंह शेखावत ने बताया कि JDA के अधिकारी नए साल पर किसानों को बिना बताए जमीन पर कब्जा कर करने के लिए आ गए। सरकार यदि जनवरी 2014 में लागू हुए नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत सरकार यदि किसानों की भूमि को अवाप्त करती है तो हम भूमि देने को तैयार है अन्यथा पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत सरकार को 1 इंच भी भूमि नहीं देंगे।

हम आपको बता दें कि वर्ष 2017 में भी तकरीबन डेढ़ महीने तक किसानों ने जमीन समाधि सत्याग्रह आंदोलन का किया था, जिसमें कई किसानों को जेल भी जाना पड़ा था। किसान डेढ़ महीने तक जमीन समाधि सत्याग्रह पर बैठे थे। उस समय सरकार से बातचीत हुई थी, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकला और अब फिर से किसानों ने बड़े आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है।

किसानों का अनूठे तरीके से किया गया सत्याग्रह भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के मीडिया की सुखियां बना था, लेकिन किसानों को उनका हक नहीं मिला। तत्कालीन सरकार और जेडीए प्रशासन ने किसानों को उनकी मांगे मानने का भरोसा दिलाकर सत्याग्रह खत्म करवाया था। परंतु सरकार और जेडीए दोनों ही अब किसानों की मांगे पूरी करने के वादे से मुकर गए हैं।
डॉ. शेखावत बताते हैं कि यूपीए सरकार में ही भूमि अधिग्रहण का नया कानून आया था। मोदी सरकार इसे अध्यादेश लाकर खत्म करना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस ने पूरे देश में इसका विरोध किया। अब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। ऐसे में कांग्रेस को अपनी नीति और पूर्व में किए वादे पर कायम रहते हुए किसानों को उनका हक दिलवाए। उनका कहना है पिछले अशोक गहलोत ने फोन पर बात की थी। प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट यहां पर आए। डॉ. सीपी जोशी भी आए थे और वायदे किए थे। अब मौका है कि उन्हें पूरा किया जाए। जेडीए जबरदस्ती किसानों की जमीन हथियाना चाहता है। अब इस कड़कड़ाती सर्दी में हम सत्याग्रह कर रहे हैं लेकिन सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही। जेडीए कमाई का जरिया नहीं है। जयपुर का विकास किसानों के बच्चों की उम्मीदें कुचलकर स्वीकार नहीं है। उनका कहना है कि उनकी मांगें नहीं माने जाने तक एक इंच भूमि किसान नहीं देंगे।