Vikrant Shekhawat : Dec 08, 2024, 02:20 PM
Farmer Protest: किसानों का संघर्ष आज फिर एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। विभिन्न मांगों को लेकर किसानों का एक बड़ा जत्था हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर रवाना हुआ है। पुलिस प्रशासन ने किसानों को रोकने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। बॉर्डर पर कंटीले तार, कीलें, और कंक्रीट की दीवारें बनाई गई हैं। बावजूद इसके, किसान संगठनों का कहना है कि वे अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए पीछे नहीं हटेंगे।
पुलिस और किसानों के बीच तनाव
शंभू बॉर्डर पर हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। किसानों के बढ़ते दबाव को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। किसानों ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह उनकी आवाज दबाने का प्रयास है।किसान संगठनों का कहना है कि उनका विरोध शांतिपूर्ण है, लेकिन उन्हें जबरन रोका जा रहा है। एक किसान ने कहा, "पुलिस पहचान पत्र मांग रही है, लेकिन यह आश्वासन देने को तैयार नहीं कि हमें दिल्ली जाने दिया जाएगा। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखना चाहते हैं, लेकिन हमारे साथ इस तरह का व्यवहार हो रहा है।"ड्रोन वीडियो में दिखी सुरक्षा व्यवस्था
शंभू बॉर्डर पर लगाए गए हाई-सिक्योरिटी इंतजामों का ड्रोन फुटेज भी सामने आया है। वीडियो में कंटीले तार, सड़क पर बिछाई गई कीलें और मोटी कंक्रीट की दीवारें साफ नजर आ रही हैं। यह व्यवस्था यह दर्शाती है कि प्रशासन किसानों को रोकने के लिए कितनी तैयारी कर चुका है।तमिलनाडु के किसानों की सहभागिता
किसानों के इस आंदोलन को देशव्यापी समर्थन मिल रहा है। तमिलनाडु के त्रिची में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के राज्य अध्यक्ष पी. अय्याकन्नू ने कहा कि तमिलनाडु के किसान भी दिल्ली में इस आंदोलन में शामिल होंगे। उनका कहना है, "एमएस स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार किसानों को लागत मूल्य का 150% मिलना चाहिए। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने हमें निराश किया है। हम दिल्ली जाकर इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ेंगे।"पंजाब में बीजेपी नेताओं का विरोध
शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों की मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि पंजाब में भाजपा नेताओं का विरोध किया जाएगा। पंधेर ने कहा, "अगर कोई भाजपा नेता पंजाब में प्रवेश करेगा, तो उसे विरोध का सामना करना पड़ेगा।"आंदोलन का उद्देश्य
किसान संगठनों की मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी है। इसके साथ ही वे फसलों की उचित कीमत और कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं। किसानों का यह आंदोलन कृषि क्षेत्र में सुधार और उनके जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है।निष्कर्ष
किसानों का 'दिल्ली चलो' आंदोलन केवल उनकी समस्याओं का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह उनके अदम्य साहस और अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। प्रशासन और सरकार को इस आंदोलन को दबाने की बजाय संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए, ताकि समाधान निकाला जा सके। किसानों की मांगें केवल उनकी भलाई के लिए नहीं, बल्कि देश के कृषि क्षेत्र की मजबूती के लिए भी अहम हैं।VIDEO | "The police are asking for identity cards, but they should give a guarantee that they would allow us to go Delhi. They say that there is no permission to go to Delhi, then why we should give the identity cards. We will give identity cards if they allow us to go to Delhi,"… pic.twitter.com/CmOxb6nvxd
— Press Trust of India (@PTI_News) December 8, 2024