Farmer Protest News: शुक्रवार को शंभु बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले दागे जाने के बाद किसानों का दिल्ली की ओर पैदल मार्च अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया। इस घटनाक्रम में कई किसान घायल हुए, जिसके चलते किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने ‘जत्थे’ को वापस बुलाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि घायल किसानों की स्थिति में सुधार और केंद्र सरकार से वार्ता की संभावना को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
किसानों की अगली रणनीति
पंढेर ने बताया कि अगला जत्था अब रविवार को दोपहर 12 बजे रवाना होगा। उन्होंने कहा, "हरियाणा पुलिस के एसपी ने हमसे पूछा कि किस स्तर की बातचीत हम केंद्र सरकार से चाहते हैं। हमने स्पष्ट किया है कि हमारी बातचीत केंद्रीय कृषि मंत्री या किसी अन्य वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री से होनी चाहिए।"हरियाणा पुलिस ने यह भरोसा दिलाया कि उनकी मांगें केंद्र सरकार तक पहुंचाई जाएंगी। पंढेर ने कहा, "हम एक दिन का समय दे रहे हैं ताकि केंद्र सरकार हमारी मांगों पर विचार करे। घायल किसानों के इलाज और स्थिति की समीक्षा के लिए भी यह समय महत्वपूर्ण है।"
शांतिपूर्ण आंदोलन की प्रतिबद्धता
हरियाणा पुलिस अधिकारियों से चर्चा के बाद पंढेर ने कहा, "हम टकराव के पक्ष में नहीं हैं। हमारा मकसद साफ है—या तो हमें दिल्ली जाने दिया जाए, या केंद्र सरकार हमसे बातचीत करे।" हरियाणा सरकार के अधिकारियों ने किसानों से उनकी मांगों का विवरण मांगा है।
बीजेपी नेताओं के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध
किसान नेता ने यह भी कहा कि पंजाब में बीजेपी नेताओं के खिलाफ उनका विरोध जारी रहेगा, लेकिन यह पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा। "हमने तय किया है कि जहां भी बीजेपी के नेता जाएंगे, हम शांतिपूर्ण विरोध करेंगे। हमारे आंदोलन का मकसद किसी भी हिंसा से दूर रहना है," पंढेर ने जोड़ा।
आंसू गैस और किसानों का संघर्ष
शुक्रवार को 101 किसानों का जत्था शंभु बॉर्डर से दिल्ली के लिए रवाना हुआ था। हालांकि, कुछ ही दूरी पर हरियाणा पुलिस द्वारा बैरिकेडिंग और आंसू गैस के गोलों से उन्हें रोक दिया गया। किसानों ने दावा किया कि इस कार्रवाई में कई लोग घायल हुए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया।हरियाणा पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा का हवाला देकर प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक दिया। पुलिस की इस कार्रवाई पर किसानों ने रोष जताया, लेकिन आंदोलन को स्थगित कर शांति बनाए रखने का निर्णय लिया।
केंद्र सरकार से बातचीत की मांग
किसानों की यह मांग मुख्यतः केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानूनों और एमएसपी गारंटी पर आधारित है। किसान आंदोलन के इस नए चरण में वार्ता की पहल को लेकर केंद्र सरकार का रुख महत्वपूर्ण रहेगा।
निष्कर्ष
शंभु बॉर्डर पर हुई घटना किसानों और प्रशासन के बीच टकराव को प्रदर्शित करती है। हालांकि, किसानों ने शांतिपूर्ण आंदोलन और वार्ता पर जोर देते हुए एक दिन का विराम लिया है। आने वाले दिनों में केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया और बातचीत की स्थिति इस आंदोलन की दिशा तय करेगी।