गुजरात / मोबाइल कनेक्शन की ही तरह उपभोक्ताओं के पास कंपनियों से बिजली खरीदने का होगा विकल्प

केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने शुक्रवार को केवडिया शहर में राज्यों के विद्युत एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि रिटेल बिजनेस सरकार का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कंपनी हर क्षेत्र में तीन-चार छोटी निजी कंपनी तय करें। वे कंपनी उस क्षेत्र में लोगों को बिजली सप्लाई करें। सरकार के नुकसान में कमी आएगी और वहीं उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्तिकर्ता को बदलने का विकल्प भी मिलेगा।

Live Hindustan : Oct 12, 2019, 07:06 AM
केवडिया (गुजरात) | लोग जल्द मोबाइल कनेक्शन की ही तरह बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी को भी बदल सकेंगे। उपभोक्ताओं के पास कई कंपनियों से बिजली खरीदने का विकल्प होगा। इसके लिए केंद्र ने राज्यों को एक क्षेत्र में चार-पांच कंपनियों को वितरण लाइसेंस देने को कहा है। साथ ही राज्यों से कहा है कि वे एक साल के अंदर कृषि के फीडर को अलग कर लें।

सरकार का घाटा कम होगा 

केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने शुक्रवार को केवडिया शहर में राज्यों के विद्युत एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि रिटेल बिजनेस सरकार का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कंपनी हर क्षेत्र में तीन-चार छोटी निजी कंपनी तय करें। वे कंपनी उस क्षेत्र में लोगों को बिजली सप्लाई करें। इससे जहां एक तरफ सरकार के नुकसान में कमी आएगी और वहीं उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्तिकर्ता को बदलने का विकल्प भी मिलेगा।

महंगी बिजली पर नाराजगी

केंद्रीय बिजली ने बिजली की अधिक कीमत पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में बिजली की दर आठ रुपये प्रति यूनिट है। जबकि बिजली वितरण कंपनी इससे कम दाम पर प्रति यूनिट बिजली खरीदती हैं।

एक देश, एक दाम 

बैठक में पूरे देश में बिजली की दर प्रति यूनिट एकसमान करने का भी सुझाव आया। इस बारे में बिजली मंत्री ने कहा कि वह इस पर विचार कर रहे हैं। सम्मलेन में उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने पर भी चर्चा हुई। इस पर आरक सिंह ने कहा कि नई टैरिफ पॉलिसी कैबिनेट के पास है। 

सरकारी विभागों में प्रीपेड मीटर

विभिन्न राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों पर बिजली बनाने वाली कंपनियों के 59 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। सिंह ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि इनमें से 47 हजार करोड़ रुपये राज्यों के सरकारी विभागों पर बकाया हैं। सरकारी विभाग अपना बिल दे दें, तो वितरण कंपनियों की हालत सुधार जाए। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों के दफ्तर में फौरन प्रीपेड मीटर लगाए जाएं।