Vikrant Shekhawat : Aug 13, 2022, 09:46 AM
Lumpy virus in India: भारत में पिछले एक महीने के दौरान लंपी स्किन डिजीज की वजह से करीब 17 हजार से ज्यादा पालतू पशुओं की मौत हो चुकी है, जिनमें से ज्यादातर गायें हैं। ये जानलेवा वायरस से गुजरात, राजस्थान और पंजाब समेत देश के 8 राज्यों में मवेशियों की जान ले रहा है। लंपी वायरस की वजह से अकेले गुजरात में रोज करीब एक लाख लीटर दूध का प्रोडक्शन घट गया है।वही सबसे ज्यादा राजस्थान में गायों की मौत हो चुकी है आंकड़ा 14 हजार के पार जा चूका है सवाल 1: लंपी स्किन डिजीज या LSD क्या है?जवाब: लंपी स्किन डिजीज गायों-भैंसों जैसे मवेशियों में कैप्रिपॉक्स नाम के वायरस से फैलने वाली बीमारी है। ये बहुत तेजी से एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है। यह वायरस बकरियों में होने वाले गोट पॉक्स और भेड़ों में होने वाले शीप पॉक्स जैसी वायरल इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार वायरस जैसा ही है। कैप्रिपॉक्स उसी पॉक्सविरिडे वायरस फैमिली से आता है, जिससे स्मॉलपॉक्स यानी चेचक और मंकीपॉक्स जैसी बीमारियां होती हैं।सवाल 2: लंपी वायरस कितना खतरनाक है?जवाब: हेल्थ एक्सपर्ट्स लंपी को दुनिया भर के मवेशियों के लिए बड़ा खतरा मान रहे हैं। इससे गायें ज्यादा बीमार होती हैं। हालांकि इससे भैंसें, घोड़े, ऊंट, जिराफ और हिरण भी बीमार पड़ सकते हैं। इस वायरस से भैंसों के मुकाबले गायों की मौत ज्यादा होती है क्योंकि भैसों की नैचुरल इम्युनिटी गायों से ज्यादा होती है।सवाल 3: आखिर कैसे फैलता है LSD?जवाब: लंपी एक संक्रामक बीमारी है। यूएन फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गेनाइजेशन यानी FAO के अनुसार, लंपी बीमारी मच्छर, मक्खियों, जूं और पिस्सू जैसे जीवों के जरिए फैलने वाली एक चेचक जैसी बीमारी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये बीमारी जानवरों के एक जगह से दूसरी जगह मूवमेंट से भी फैलती है। ये बारिश में तेजी से फैलता है।सवाल 4: लंपी बीमारी के लक्षण और इसका असर क्या है?जवाब: तेज बुखार और शरीर पर गांठें होना इस बीमारी के सबसे बड़े लक्षण हैं। बीमार पशुओं में बांझपन हो सकता है और इससे उनकी दूध उत्पादन क्षमता भी घट जाती है।संक्रमित मवेशी में ये लक्षण कैसे सामने आते हैं, चलिए समझते हैं…
- इंफेक्शन होने के बाद लक्षण दिखने में 4-7 दिन का समय लगता है। इसे इन्क्यूबेशन पीरियड कहते हैं।
- शुरुआत में गायों या भैसों की नाक बहने लगती है, आंखों से पानी बहता है और मुंह से लार गिरने लगती है।
- इसके बाद तेज बुखार हो जाता है, जो करीब एक हफ्ते तक बना रह सकता है।
- फिर जानवर के शरीर पर 10-50 मिमी गोलाई वाली गांठें निकल आती हैं। साथ ही उसके शरीर में सूजन भी आ जाती है।
- जानवर खाना बंद कर देता है, क्योंकि उसे चबाने और निगलने में परेशानी होने लगती है। इससे दूध का प्रोडक्शन घट जाता है।
- ज्यादा दूध देने वाली वाली गायों पर लंपी का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि उनकी शारीरिक और मानसिक ताकत दूध उत्पादन में लग जाती है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं।
- कई बार लंपी पीड़ित गायों की एक या दोनों आंखों में गहरे घाव हो जाते हैं, जिससे उनके अंधे होने का खतरा रहता है।
- कई बार चेचक के घाव पूरे पाचन, श्वसन और शरीर के लगभग सभी आंतरिक अंगों में हो जाते हैं।
- जानवरों में बांझपन और गर्भपात की समस्या नजर आती है। जानवर बहुत कमजोर हो जाता है।
- ये लक्षण 5 हफ्ते तक बने रहते हैं। इलाज न होने पर मौत भी हो सकती है।
- लंपी संक्रमित मवेशियों को ठीक होने में दो हफ्ते से एक महीने तक का समय लगता है।
- वहीं इस बीमारी से गंभीर रूप से संक्रमित मवेशी के वायरस से पूरी तरह उबरने में करीब 6 महीने तक लग जाते हैं।