Rajasthan Political Crisis / सचिन पायलट खेमे के विधायक ने अशोक गहलोत को कहा- धन्यवाद, जानें क्यों

सचिन पायलट के साथ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले बृजेंद्र ओला ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने दिवंगत पिता और किसान नेता शीशराम ओला की जयंती पर ट्विटर पर लिखा कि वह व्यथित जरूर हैं, लेकिन अब सिद्धांतों से समझौता संभव नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी पिता को याद करने के लिए आभार जताया है

Live Hindustan : Jul 31, 2020, 04:59 PM
Jaipur: सचिन पायलट के साथ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले बृजेंद्र ओला ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने दिवंगत पिता और किसान नेता शीशराम ओला की जयंती पर ट्विटर पर लिखा कि वह व्यथित जरूर हैं, लेकिन अब सिद्धांतों से समझौता संभव नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी पिता को याद करने के लिए आभार जताया है। साथ ही कहा कि उम्मीद है कि गहलोत पद्मश्री शीशराम ओला के सिद्धांतों के अनुरूप पार्टी व किसानों के प्रति द्वेष रहित कर्तव्य पालन करेंगे।

वहीं, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी ट्वीट कर शीशराम ओला को याद किया। उन्होंने लिखा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय शीशराम ओला जी की जयंती पर मैं उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। स्वर्गीय ओला जी ने अनेक महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर रहकर विकास में अमूल्य योगदान दिया।

कौन हैं शीशराम ओला

30 जुलाई 1927 को जन्मे जाट नेता ओला राजस्थान के झुंझुनू संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे। ओला ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़कर की। वह 1957 में राजस्थान की दूसरी विधानसभा से 1990 तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे और 1980 से 1990 तक राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। 

ओला ने 1996 से 1997 तक रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 1997 से 1998 तक जल संसाधन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में अपनी सेवाएं दीं। वह 23 मई 2004 से 27 नवंबर 2004 तक केंद्र सरकार में श्रम एवं रोजगार मंत्री रहे। उन्होंने मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय खनन मंत्री का कार्यभार संभाला। 

उनके बेटे बीजेंद्र ओला कांग्रेस से विधायक हैं और राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री हैं। 1968 में पद्मश्री से सम्मानित ओला ने 1952 में गांधी बालिका निकेतन अरडावता नाम से तीन लड़कियों के साथ एक स्कूल खोला था। उन्होंने इसके जरिए ग्रामीण राजस्थान के दूर दराज के इलाकों में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया।