News18 : Jul 21, 2020, 09:00 AM
नई दिल्ली। देश में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (Consumer Protection Act 2019) लागू हो जाने के बाद अब प्रिंट (Print), टीवी (TV) और डिजिटल मीडिया (Digital Media) पर प्रसारित होने वाले भ्रामक विज्ञापनों की मॉनिटरिंग (Monitoring of Misleading Advertisements) शुरू होने वाली है। देश में विज्ञापनों की प्रमाणिकता की जांच करने वाली संस्था एडवटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) इसकी जांच जल्द शुरू करने की बात कही है। बता दें कि यह एक स्वयंसेवी और स्वनियंत्रित संस्था है, जो भारतीय कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत रजिस्टर्ड है। हालांकि, यह सरकारी संस्था नहीं है, लेकिन आम जनता या इंडस्ट्री के लिए नियामक (रगुलेटरी बॉडी) का काम करती है। एडवटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया ने 34 साल बाद देश में आए नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 का स्वागत किया है।
ASCI का क्या कहना हैएडवटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन रोहित गुप्ता कहते हैं, '20 जुलाई 2020 से अस्तित्व में आए नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का ASCI स्वागत करती है। हम एक स्वंयसेवी और स्वनियंत्रित संस्था हैं, लेकिन हमारा प्रयास उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए भी हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस एक्ट के आने के बाद भ्रामक विज्ञापनों के नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। हम जल्द हीं प्रिंट, टीवी के साथ-साथ डिजिटल मीडिया पर भी प्रसारित होने वाले भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी शुरू करेंगे।’34 साल बाद नया कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट हुआ लागूबता दें कि केंद्र सरकार ग्राहकों को पहले से और भी मजबूत बनाने और ज्यादा अधिकार देने के लिए 34 साल बाद नया कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट लेकर आई, जिसे 20 जुलाई लागू कर दिया गया है। बीते गुरुवार को ही सरकार ने इस बारे में नोटिफिकेशन जारी किया था। नया कानून कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 का स्थान लेगा। नए कानून में ग्राहकों को पहली बार नए अधिकार मिलेंगे।
देश में कहीं पर भी होंगे अब मामले दर्जअब उपभोक्ता किसी भी उपभोक्ता न्यायालयों में मामला दर्ज करा सकेगा। पहले के कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। मोदी सरकार ने इस अधिनियम में कई बदलाव किए हैं। केंद्र सरकार में उपभोक्ता और खाद्य मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने सोमवार को कहा है कि इसे लागू हो जाने के बाद अब अगले 50 सालों तक देश में कोई और कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।केंद्रीय उपोभक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने बताया कि किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी देने पर निर्माता जिम्मेदार होंगे। (फाइल फोटो)केंद्रीय उपोभक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने बताया कि किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी देने पर निर्माता जिम्मेदार होंगे। (फाइल फोटो)लगेगी लगाम भ्रामक विज्ञापनों परनए कानून में उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर भी कार्रवाई की जाएगी। इस कानून के आने के बाद उपभोक्ता विवादों को समय पर, प्रभावी और त्वरित गति से निपटारा किया जा सकेगा। नए कानून के तहत उपभोक्ता अदालतों के साथ-साथ एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) बनाया गया है। इस प्राधिकरण का गठन उपभोक्ता के हितों की रक्षा कठोरता से हो इसके लिए की गई है। नए कानून में उपभोक्ता किसी भी सामान को खरीदने से पहले भी उस सामान की गुणवत्ता की शिकायत सीसीपीए में कर सकती है।
ASCI का क्या कहना हैएडवटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन रोहित गुप्ता कहते हैं, '20 जुलाई 2020 से अस्तित्व में आए नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का ASCI स्वागत करती है। हम एक स्वंयसेवी और स्वनियंत्रित संस्था हैं, लेकिन हमारा प्रयास उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए भी हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस एक्ट के आने के बाद भ्रामक विज्ञापनों के नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। हम जल्द हीं प्रिंट, टीवी के साथ-साथ डिजिटल मीडिया पर भी प्रसारित होने वाले भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी शुरू करेंगे।’34 साल बाद नया कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट हुआ लागूबता दें कि केंद्र सरकार ग्राहकों को पहले से और भी मजबूत बनाने और ज्यादा अधिकार देने के लिए 34 साल बाद नया कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट लेकर आई, जिसे 20 जुलाई लागू कर दिया गया है। बीते गुरुवार को ही सरकार ने इस बारे में नोटिफिकेशन जारी किया था। नया कानून कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 का स्थान लेगा। नए कानून में ग्राहकों को पहली बार नए अधिकार मिलेंगे।
देश में कहीं पर भी होंगे अब मामले दर्जअब उपभोक्ता किसी भी उपभोक्ता न्यायालयों में मामला दर्ज करा सकेगा। पहले के कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। मोदी सरकार ने इस अधिनियम में कई बदलाव किए हैं। केंद्र सरकार में उपभोक्ता और खाद्य मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने सोमवार को कहा है कि इसे लागू हो जाने के बाद अब अगले 50 सालों तक देश में कोई और कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।केंद्रीय उपोभक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने बताया कि किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी देने पर निर्माता जिम्मेदार होंगे। (फाइल फोटो)केंद्रीय उपोभक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने बताया कि किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी देने पर निर्माता जिम्मेदार होंगे। (फाइल फोटो)लगेगी लगाम भ्रामक विज्ञापनों परनए कानून में उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर भी कार्रवाई की जाएगी। इस कानून के आने के बाद उपभोक्ता विवादों को समय पर, प्रभावी और त्वरित गति से निपटारा किया जा सकेगा। नए कानून के तहत उपभोक्ता अदालतों के साथ-साथ एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) बनाया गया है। इस प्राधिकरण का गठन उपभोक्ता के हितों की रक्षा कठोरता से हो इसके लिए की गई है। नए कानून में उपभोक्ता किसी भी सामान को खरीदने से पहले भी उस सामान की गुणवत्ता की शिकायत सीसीपीए में कर सकती है।